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बिहारः लोक आस्था के महापर्व का समापन, उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रतियों ने किया पारन

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Published : Nov 3, 2019, 1:55 PM IST

बिहार का सबसे प्रमुख पर्व छठ रविवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हो गया. पूरे प्रदेश में लोक आस्था के पर्व को लेकर लोगों में उत्साह देखने को मिला.

बिहार

बिहारः चार दिनों तक चलने वाला लोक आस्था का अनुठा अनुष्ठान छठ पर्व रविवार की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हो गया. छठ मैया को अर्घ्य देने के लिए प्रदेश भर के छठ घाटों पर व्रतियों और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. लोगों ने दूध और जल से भगवान भास्कर को श्रद्धा का अर्घ्य अर्पित किया.

पटना में लोग उगते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए गंगा किनारे पहुंचे. जहां छठ व्रती और श्रद्धालुओं ने सूर्य देव को अपना अर्घ्य चढ़ाया. राजधानी में कई परिवार अपने घर की छतों पर कृत्रिम घाट बनाकर भगवान भास्कर को अर्घ्य दिए. हांलाकि पटना में सूर्य देव दर्शन देने के लिए व्रतियों को इंतजार कराया. यहां रविवार को सुबह लगभग 7 बजे सूर्य उदय हुआ.

कैमूर में सूर्योपासना का महापर्व शांतिपूर्ण माहौल में सम्पन हो हुआ. सूर्य उदय से पहले ही श्रद्धालु सूप-डाला के साथ घाटों पर पहुंच गए थे. व्रती पानी में उतरकर सूर्य देवता की आराधना में जुटे थे. जैसे-जैसे सूर्य देवता निकलते गए लोगों की आस्था गहराती गई.

बिहार में मनाये गये छठ पर्व का वीडियो

नवादा में भी लोकआस्था के महापर्व छठ के मौके पर लोग भक्ति के रंग में डूबे रखे. शहर से लेकर गांव तक विभिन्न घाटों पर सूर्य देवता की पूजा-अर्चना की गई. उगते सूर्य का दर्शन करने सुबह से लोग तालाब, पोखर और नदी के घाटों पर पहुंच गए थे.

भोजपुर में सुबह 3 बजे से लोग घाटों पर दिखने लगे थे. घाट पर छठ की गीत गूंज रही थी. जिससे माहौल भक्तिमय हो गया था. प्राचीन और पवित्र पर्व पर उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रतियों ने 36 घंटे का निर्जला उपवास तोड़ा.

नालंदा में व्रती सुबह से ही भगवान भास्कर के इंतजार में पानी में उतक गए थे लेकिन सूर्य देव यहां बहुत देर तक बादलों की ओट में रहे. लंबे इंतजार के बाद दर्शन दिए तो श्रद्धालुओं ने भगवान को दूध और जल का अर्घ्य अर्पित किया. जिसके बाद व्रतियों ने पारण किया.

प्रदेश भर में मनाये गये छठ पर्व का वीडियो

सरहसा में भी श्रद्धालुओं का सैलाब तड़के सुबह छठ घाटों की ओर निकल पड़ा. घाटों पर सूप-डालों में दीप जलाकर सूर्य देव के उदीयमान होने की प्रतिक्षा करते है. सूर्य उदय होते ही व्रतियों ने अर्घ्य दिया. इस दौरान घाटों पर आतिशबाजी भी होती रही.

जहानाबाद के प्रसिद्ध अरग संगम घाट सहित जिले के छोटे-बड़े सभी घाटों पर उगते सूर्य नमन किया गया. इसके साथ ही इस महापर्व का समापन हो गया. इसके लिए प्रशासन ने भी खास तैयारी की थी. घाटों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे.

बिहारः चार दिनों तक चलने वाला लोक आस्था का अनुठा अनुष्ठान छठ पर्व रविवार की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हो गया. छठ मैया को अर्घ्य देने के लिए प्रदेश भर के छठ घाटों पर व्रतियों और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. लोगों ने दूध और जल से भगवान भास्कर को श्रद्धा का अर्घ्य अर्पित किया.

पटना में लोग उगते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए गंगा किनारे पहुंचे. जहां छठ व्रती और श्रद्धालुओं ने सूर्य देव को अपना अर्घ्य चढ़ाया. राजधानी में कई परिवार अपने घर की छतों पर कृत्रिम घाट बनाकर भगवान भास्कर को अर्घ्य दिए. हांलाकि पटना में सूर्य देव दर्शन देने के लिए व्रतियों को इंतजार कराया. यहां रविवार को सुबह लगभग 7 बजे सूर्य उदय हुआ.

कैमूर में सूर्योपासना का महापर्व शांतिपूर्ण माहौल में सम्पन हो हुआ. सूर्य उदय से पहले ही श्रद्धालु सूप-डाला के साथ घाटों पर पहुंच गए थे. व्रती पानी में उतरकर सूर्य देवता की आराधना में जुटे थे. जैसे-जैसे सूर्य देवता निकलते गए लोगों की आस्था गहराती गई.

बिहार में मनाये गये छठ पर्व का वीडियो

नवादा में भी लोकआस्था के महापर्व छठ के मौके पर लोग भक्ति के रंग में डूबे रखे. शहर से लेकर गांव तक विभिन्न घाटों पर सूर्य देवता की पूजा-अर्चना की गई. उगते सूर्य का दर्शन करने सुबह से लोग तालाब, पोखर और नदी के घाटों पर पहुंच गए थे.

भोजपुर में सुबह 3 बजे से लोग घाटों पर दिखने लगे थे. घाट पर छठ की गीत गूंज रही थी. जिससे माहौल भक्तिमय हो गया था. प्राचीन और पवित्र पर्व पर उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रतियों ने 36 घंटे का निर्जला उपवास तोड़ा.

नालंदा में व्रती सुबह से ही भगवान भास्कर के इंतजार में पानी में उतक गए थे लेकिन सूर्य देव यहां बहुत देर तक बादलों की ओट में रहे. लंबे इंतजार के बाद दर्शन दिए तो श्रद्धालुओं ने भगवान को दूध और जल का अर्घ्य अर्पित किया. जिसके बाद व्रतियों ने पारण किया.

प्रदेश भर में मनाये गये छठ पर्व का वीडियो

सरहसा में भी श्रद्धालुओं का सैलाब तड़के सुबह छठ घाटों की ओर निकल पड़ा. घाटों पर सूप-डालों में दीप जलाकर सूर्य देव के उदीयमान होने की प्रतिक्षा करते है. सूर्य उदय होते ही व्रतियों ने अर्घ्य दिया. इस दौरान घाटों पर आतिशबाजी भी होती रही.

जहानाबाद के प्रसिद्ध अरग संगम घाट सहित जिले के छोटे-बड़े सभी घाटों पर उगते सूर्य नमन किया गया. इसके साथ ही इस महापर्व का समापन हो गया. इसके लिए प्रशासन ने भी खास तैयारी की थी. घाटों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे.

Intro:Body:कैमूर।


सूर्योपासना का महापर्व छठ पूजा जिले में शांतिपूर्ण सम्पन हो गया।


आखिरी दिन जैसे-जैसे सूर्य निकलते गया वैसे-वैस ही पूजन अर्चन का दौर शुरू हो गया। इस दौरान पूजा स्थलों पर छठ गीत गूंजते रहें। कांच हि बांस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाय.., हे छठी मइया पहली रखनी वरतिया तोहार.., मइया हमरो को ललना दै दे.. आदि गाने गुनगुनाते नजर आए।

31 अक्टूबर को नहाय खाय से शुरू हुआ पर्व दूसरे दिन खरना के बाद निर्जला उपवास में बदल गया। इसके बाद 36 घंटे तक लगातार व्रत रहना शुरू कर दिया। रविवार को सुबह उगते हुए सूर्य को व्रती अ‌र्घ्य दिया।


श्रद्धालुओं को किसी तरह की समस्या न हो इसको लेकर जिला प्रशासन मुस्तैद दिखी।

छठव्रतियों ने बताया कि उनकी हर मनोकामना पूरी होती हैं। इसलिए आस्था और विश्वास के साथ इस महापर्व को परिवार के साथ करते हैं।Conclusion:
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