पटनाः एएन कॉलेज में इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्यूनिकेशन के प्रोफेसर अरूण कुमार ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत की. इस दौरान ईटीवी भारत संवाददाता के प्रश्नों का एक-एक कर उत्तर भी दिया. खास बात यह है कि उनके शिष्य इस मिशन में काम कर रहे हैं. अरूण कुमार लगातार इस मिशन के बारे में शिष्य से जानकारी ले रहे हैं.
प्रश्नः जिस तरह से चंद्रयान-2 चन्द्रमा पर गया, आप इसे किस रूप में देखते है?
उत्तरः यह नियरली परफेक्ट मिशन है. विज्ञान में असफलता नाम की कोई चीज नहीं होती. बल्कि यह सफलता की कुंजी होती है. इससे सीखते हैं, यह हमारे लिए लर्निंग एक्सपीरियंस है. चंद्रयान-2 ने 38 लाख 4000 किलोमीटर की यात्रा में से 38 लाख 2000 पूरा किया, इसे परफेक्ट कह सकते हैं, उसका डाटा भी प्राप्त हो गया. 2.1 किलोमीटर में कुछ दिक्कत हो. सेफ लैंडिंग या फिर हो सकता है कि क्रैश भी हुआ हो. अगर सिर्फ लर्निंग हुआ तो कभी ना कभी कम्युनिकेशन भी हो सकता है. चंद्रयान-2 के ऑर्बिटल को इस तरह बनाया गया है कि क्रैश लैंडिंग में भी नए डेटा दे सकता है. यह बिल्कुल नहीं कहा जा सकता है कि यह असफलता है. बल्कि इसे लगभग पूर्णतः सफल है.
प्रश्नः क्या इसरो वो कर दिखाया जो पूरी दुनिया नहीं कर सकी?
उत्तरः जितने देश ने भी जो अभी तक किया है, वह विषुवत रेखा पर किया है. मून पर जाने की हिम्मत हमारे इसरो के वैज्ञानिक ने किया है. हमें गर्व है कि हमारा भी स्टूडेंट अमिताभ कुमार डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर और ऑपरेशन डायरेक्टर के तौर पर इसमें शामिल है.
प्रश्नः तो क्या पल-पल अपने स्टूडेंट जानकारी ले रहे हैं?
उत्तरः बिल्कुल, हमेशा ले रहे हैं. उसका साहस भी बढ़ा रहे हैं. यह बड़े गर्व की बात है. वैज्ञानिक रूप से देखें तो 2 सितंबर को हमारा लेंडर ऑर्बिट से अलग हो गया. लैंडर ऑटो मोनस मूड में चला गया. यानी जो संचालित थे वह स्वतंत्र हो गए और फैसला खुद ले रहे थे. इनके कंप्यूटर के माइक्रोप्रोसेसर में डेट ऑफ फिक्स था. या तो हम लोग किए थे. समय के लिए क्षण के आधार पर एग्जैक्ट डाटा चांद का गिरा. हम लोग एक अंदाजा किए थे हो सकता है कि उस डाटा डिसीजन लेने में गड़बड़ी की गई है. लास्ट स्टेज में जाकर 2 परसेंट में वेरिएशन हुआ. हमारा ऑर्बिटर अभी भी 100 किलोमीटर के दायरे में घूम रहा है और उस पर आठ यंत्र हैं. 8h में टीएमसी ट्रेन मैप कैमरा है. जो चंद्रमा का 3D मैप लेगा. साथ ही एक्स-रे यंत्र के माध्यम से उस जगह का विश्लेषण करे, वहां की वस्तु के बारे में पता लगायेगा. मैग्नीशियम, सोडियम या ट्रेस एलिमेंट्स के बारे में यंत्र पता लगा सकता है.
प्रश्नः अगर चंद्रयान-2 चंद्रमा पर लैंड कर जाता और हमें कामयाबी हासिल होती, तो उसे किस रूप में देखते?
उत्तरः चंद्रयान-2 का लैंडर काम नहीं कर रहा, उसमें इलेक्ट्रीएम था, जो बाहर अर्थ का एलाइडमेंट सभी का मैनेजमेंट था. बहुत सी चीजें हैं, जो अभी भी काम कर रही हैं. लेकिन एग्जैक्ट हमारे मिशन का टेंडर के माध्यम से ही पता चल सकता है. हमारे विज्ञानिक अभी भी काम कर रहे हैं.
प्रश्नः चंद्रयान-2 में कहां सबसे बड़ी चुक हो गई?
उत्तरः जहां कोई नहीं गया, वहां पर हमारे देश ने कर दिखाने के लिए योजना बनाई. अगर वहां की स्थिति सबको पता होती तो और लोग भी वहां चले गए होते. वहां अब तक अचूक कोई नहीं पहुंचा. वहां हम पहुंच गए. गंतव्य स्थान से मात्र दो ही कदम दूर रह गए. हमारा विक्रम लैंडर तो अभी भी वहां काम कर रहा है चंद्रमा की सतह हमारे स्पेस के वैज्ञानिक उसमें अभी भी लगे हुए हैं.
प्रश्नः क्या अभी भी संभावना दिख रही है?
उत्तरः हो सकता है, संभावना इसलिए है कि अगर सॉफ्ट लैंडिंग हुई है. तो विक्रम लैंडर किसी अन्य जगह से भी संपर्क हो सकता है. संभावना यह भी है कि हमारा और ऑर्बिटर अभी उस जगह से तो हट गया हो. लेकिन हो सकता है कि चक्कर लगाकर फिर वहीं पहुंच जाए.
प्रश्नः क्या हम समझ सकते हैं कि इससे वैज्ञानिकों का मनोबल टूटा होगा?
उत्तरः बिल्कुल नहीं मनोबल टूटा, वैज्ञानिक जानते थे कि ऐसा हो सकता है. उसकी संभावना काफी थी. फिर भी वह सब कुछ लेकर चल रहे थे, हां इतने दिनों से परिश्रम कर रहे थे तो थोड़ी तो महसूस होगी उदासी, लेकिन वह मनोबल टूटने की बात नहीं है, साहसी कदम तो बढ़ाते रहेंगे स्पेस में तो ऐसा होता है सबसे कम विफलता तो इसरो का ही है. स्पेस का विज्ञान आसान नहीं है.
प्रश्नः चंद्रयान-2 के माध्यम से डाटा अभी कलेक्ट नहीं हो पाया है, तो क्या भविष्य में कभी फिर उड़ान भर सकते हैं?
उत्तरः नहीं, चंद्रयान-2 से पूरा डाटा कलेक्ट हो रहा है. 8h डाटा लायेगा. केवल सरफेस डाटा सर्वेशन से आ जाएगा. मगर रोवर का कंफर्म नहीं हो पाएगा. दो बार डाटा कंफर्म होता है. जो काम सर्फेसन करता है, वहीं काम रोवर नजदीक से करता है. सर्फेसन 500 मीटर तक ही जाता है. जो एक दिन चलता है. चांद के 1 दिन यानी पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है. हमारा ऑर्बिटल और रोबोट अभी भी 1 साल काम करता तो डाटा तो एकदम समाप्त नहीं हुआ है.
प्रश्नः हमारे देश के वैज्ञानिकों ने बहुत कम बजट में इस मिशन को तैयार किया?
उत्तरः इस मिशन में जो राशि लगी है उससे कहीं अधिक हॉलीवुड फिल्म बनाने में लगती है. हमारे वैज्ञानिकों ने मात्र 978 करोड़ में इतना बड़ा कार्य किया है. यह कार्य भारत में ही हो सकता है. आज तक किसी ने नहीं ऐसा कर दिखाया है. जापान, चीन, अमेरिका और रूस का चंद्रमा पर जाने के लिए बनाया गया मिशन मंहगा था. चंद्रमा के अंधेरे वाले हिस्से में हमने जाने की कोशिश की. जहां कोई नहीं गया है. हम अभी भी चंद्रमा से मात्र 100 किलोमीटर ही दूर हैं. विक्रम लैंडर अभी भी चंद्रमा की सतह पर मौजूद है. यह कभी भी कम्युनिकेशन संपर्क में आ सकता है. यदि नहीं भी हुआ तो इससे सीख भी ले सकते हैं. हमारे मिशन की संभावना, भविष्य के गर्भ में अभी भी छुपी हुई है. हो सकता है एक-दो दिन में मिशन के बारे में पता चलने लगे.
प्रश्नः जो बच्चे इसे देखने बेंगलुरु पहुंचे थे उनके मन में क्या भावना आएगी?
उत्तरः इन बच्चों ने यह जाना कि चंद्रयान-2 चंद्रमा के कक्ष में कैसे प्रवेश किया. 54 दिनों के बदले हमारा चंद्रयान-2 मात्र 44 दिनों में ही पहुंच गया. 30 किलोमीटर के दायरे में जाते हुए हमारे बच्चों ने देखा. 2 सितंबर को यह अलग हुआ, तभी भी हमारा यंत्र 100 किलोमीटर के दायरे में काम कर रहा था. 30 किलोमीटर के दायरे में 28 किलोमीटर तब बिल्कुल परफेक्ट जा रहा था. अचानक 2.1 किलोमीटर के दायरे में ही हमारा संपर्क टूट गया. ऐसे में बच्चे उत्साहित हुए होंगे. शायद, इन्हीं में से कोई बच्चा चंद्रमा के उस सतह पर जाएगा. और उस लेंडर को खोज निकालेगा.
प्रश्नः पीएम मोदी द्वारा बढ़ाए गए हौसले को आप किस रूप में देखते हैं?
उत्तरः यह बहुत ही अच्छी पहल है. प्रधानमंत्री द्वारा स्वयं वहां जाकर पीठ थपथपाना और उत्साहवर्धन करना यह बहुत बड़ी बात है. पीएम का यह प्रयास सराहनीय है. हो सकता है कि हम फिर से कुछ ही दिन बाद चंद्रयान थ्री में लग जाएं और उसमें सफल हो जाएं.
प्रश्नः अगर हम नासा से संपर्क करें तो वह डाटा हमें मिल सकता है?
उत्तरः दूसरे स्पेस एजेंसी के सेटेलाइट भी स्पेस में घूमते होंगे. हमारा ऑर्बिटल भी रिकॉर्ड कर सकता है. कई देश के सेटेलाइट चंद्रमा पर घूम रहे होंगे. वह डाटा रिकॉर्ड कर सकता है.
प्रश्नः चंद्रयान को ट्रैक करना चाहेंगे तो डाटा कलेक्ट कर सकते हैं.
उत्तरः ऐसा संभव है. अगर सॉफ्ट लैंडिंग हुई हो, अभी सुरक्षित हो और हमारा रोवर लैंडर से बाहर निकल चुका हो. ऐसे में तो कम्युनिकेशन हो सकता है, यदि क्रैश भी किया हो तो क्रश डाटा से भी डाटा निकल सकता है.