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बोले विशेषज्ञ- क्रैश लैंडिंग के बावजूद नए डेटा दे सकता है चंद्रयान-2

प्रोफेसर अरुण कुमार ने चंद्रयान 2 को लेकर ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि यह मिशन फेल नहीं हुआ है. इसे असफल नहीं कहा जा सकता. अगर लैंडिंग में सिर्फ लर्निंग हुआ हो तो कम्युनिकेशन भी हो सकता है. अरुण कुमार इस मिशन की जानकारी अपने शिष्य चंद्रयान-2 के डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर अमिताभ कुमार से ले रहे थे.

प्रोफेसर अरुण कुमार
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Published : Sep 7, 2019, 3:18 PM IST

Updated : Sep 7, 2019, 5:41 PM IST

पटनाः एएन कॉलेज में इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्यूनिकेशन के प्रोफेसर अरूण कुमार ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत की. इस दौरान ईटीवी भारत संवाददाता के प्रश्नों का एक-एक कर उत्तर भी दिया. खास बात यह है कि उनके शिष्य इस मिशन में काम कर रहे हैं. अरूण कुमार लगातार इस मिशन के बारे में शिष्य से जानकारी ले रहे हैं.

क्रैश लैंडिंग के बावजूद नए डेटा दे सकता है चंद्रयान-2

प्रश्नः जिस तरह से चंद्रयान-2 चन्द्रमा पर गया, आप इसे किस रूप में देखते है?
उत्तरः यह नियरली परफेक्ट मिशन है. विज्ञान में असफलता नाम की कोई चीज नहीं होती. बल्कि यह सफलता की कुंजी होती है. इससे सीखते हैं, यह हमारे लिए लर्निंग एक्सपीरियंस है. चंद्रयान-2 ने 38 लाख 4000 किलोमीटर की यात्रा में से 38 लाख 2000 पूरा किया, इसे परफेक्ट कह सकते हैं, उसका डाटा भी प्राप्त हो गया. 2.1 किलोमीटर में कुछ दिक्कत हो. सेफ लैंडिंग या फिर हो सकता है कि क्रैश भी हुआ हो. अगर सिर्फ लर्निंग हुआ तो कभी ना कभी कम्युनिकेशन भी हो सकता है. चंद्रयान-2 के ऑर्बिटल को इस तरह बनाया गया है कि क्रैश लैंडिंग में भी नए डेटा दे सकता है. यह बिल्कुल नहीं कहा जा सकता है कि यह असफलता है. बल्कि इसे लगभग पूर्णतः सफल है.

प्रोफेसर अरुण कुमार के साथ चंद्रयान-2 पर बातचीत

प्रश्नः क्या इसरो वो कर दिखाया जो पूरी दुनिया नहीं कर सकी?
उत्तरः
जितने देश ने भी जो अभी तक किया है, वह विषुवत रेखा पर किया है. मून पर जाने की हिम्मत हमारे इसरो के वैज्ञानिक ने किया है. हमें गर्व है कि हमारा भी स्टूडेंट अमिताभ कुमार डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर और ऑपरेशन डायरेक्टर के तौर पर इसमें शामिल है.

professor arun kumar
प्रोफेसर अरुण कुमार

प्रश्नः तो क्या पल-पल अपने स्टूडेंट जानकारी ले रहे हैं?
उत्तरः बिल्कुल, हमेशा ले रहे हैं. उसका साहस भी बढ़ा रहे हैं. यह बड़े गर्व की बात है. वैज्ञानिक रूप से देखें तो 2 सितंबर को हमारा लेंडर ऑर्बिट से अलग हो गया. लैंडर ऑटो मोनस मूड में चला गया. यानी जो संचालित थे वह स्वतंत्र हो गए और फैसला खुद ले रहे थे. इनके कंप्यूटर के माइक्रोप्रोसेसर में डेट ऑफ फिक्स था. या तो हम लोग किए थे. समय के लिए क्षण के आधार पर एग्जैक्ट डाटा चांद का गिरा. हम लोग एक अंदाजा किए थे हो सकता है कि उस डाटा डिसीजन लेने में गड़बड़ी की गई है. लास्ट स्टेज में जाकर 2 परसेंट में वेरिएशन हुआ. हमारा ऑर्बिटर अभी भी 100 किलोमीटर के दायरे में घूम रहा है और उस पर आठ यंत्र हैं. 8h में टीएमसी ट्रेन मैप कैमरा है. जो चंद्रमा का 3D मैप लेगा. साथ ही एक्स-रे यंत्र के माध्यम से उस जगह का विश्लेषण करे, वहां की वस्तु के बारे में पता लगायेगा. मैग्नीशियम, सोडियम या ट्रेस एलिमेंट्स के बारे में यंत्र पता लगा सकता है.

प्रश्नः अगर चंद्रयान-2 चंद्रमा पर लैंड कर जाता और हमें कामयाबी हासिल होती, तो उसे किस रूप में देखते?
उत्तरः चंद्रयान-2 का लैंडर काम नहीं कर रहा, उसमें इलेक्ट्रीएम था, जो बाहर अर्थ का एलाइडमेंट सभी का मैनेजमेंट था. बहुत सी चीजें हैं, जो अभी भी काम कर रही हैं. लेकिन एग्जैक्ट हमारे मिशन का टेंडर के माध्यम से ही पता चल सकता है. हमारे विज्ञानिक अभी भी काम कर रहे हैं.

प्रश्नः चंद्रयान-2 में कहां सबसे बड़ी चुक हो गई?
उत्तरः जहां कोई नहीं गया, वहां पर हमारे देश ने कर दिखाने के लिए योजना बनाई. अगर वहां की स्थिति सबको पता होती तो और लोग भी वहां चले गए होते. वहां अब तक अचूक कोई नहीं पहुंचा. वहां हम पहुंच गए. गंतव्य स्थान से मात्र दो ही कदम दूर रह गए. हमारा विक्रम लैंडर तो अभी भी वहां काम कर रहा है चंद्रमा की सतह हमारे स्पेस के वैज्ञानिक उसमें अभी भी लगे हुए हैं.

प्रश्नः क्या अभी भी संभावना दिख रही है?
उत्तरः हो सकता है, संभावना इसलिए है कि अगर सॉफ्ट लैंडिंग हुई है. तो विक्रम लैंडर किसी अन्य जगह से भी संपर्क हो सकता है. संभावना यह भी है कि हमारा और ऑर्बिटर अभी उस जगह से तो हट गया हो. लेकिन हो सकता है कि चक्कर लगाकर फिर वहीं पहुंच जाए.

प्रश्नः क्या हम समझ सकते हैं कि इससे वैज्ञानिकों का मनोबल टूटा होगा?
उत्तरः बिल्कुल नहीं मनोबल टूटा, वैज्ञानिक जानते थे कि ऐसा हो सकता है. उसकी संभावना काफी थी. फिर भी वह सब कुछ लेकर चल रहे थे, हां इतने दिनों से परिश्रम कर रहे थे तो थोड़ी तो महसूस होगी उदासी, लेकिन वह मनोबल टूटने की बात नहीं है, साहसी कदम तो बढ़ाते रहेंगे स्पेस में तो ऐसा होता है सबसे कम विफलता तो इसरो का ही है. स्पेस का विज्ञान आसान नहीं है.

प्रश्नः चंद्रयान-2 के माध्यम से डाटा अभी कलेक्ट नहीं हो पाया है, तो क्या भविष्य में कभी फिर उड़ान भर सकते हैं?
उत्तरः नहीं, चंद्रयान-2 से पूरा डाटा कलेक्ट हो रहा है. 8h डाटा लायेगा. केवल सरफेस डाटा सर्वेशन से आ जाएगा. मगर रोवर का कंफर्म नहीं हो पाएगा. दो बार डाटा कंफर्म होता है. जो काम सर्फेसन करता है, वहीं काम रोवर नजदीक से करता है. सर्फेसन 500 मीटर तक ही जाता है. जो एक दिन चलता है. चांद के 1 दिन यानी पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है. हमारा ऑर्बिटल और रोबोट अभी भी 1 साल काम करता तो डाटा तो एकदम समाप्त नहीं हुआ है.

प्रश्नः हमारे देश के वैज्ञानिकों ने बहुत कम बजट में इस मिशन को तैयार किया?
उत्तरः इस मिशन में जो राशि लगी है उससे कहीं अधिक हॉलीवुड फिल्म बनाने में लगती है. हमारे वैज्ञानिकों ने मात्र 978 करोड़ में इतना बड़ा कार्य किया है. यह कार्य भारत में ही हो सकता है. आज तक किसी ने नहीं ऐसा कर दिखाया है. जापान, चीन, अमेरिका और रूस का चंद्रमा पर जाने के लिए बनाया गया मिशन मंहगा था. चंद्रमा के अंधेरे वाले हिस्से में हमने जाने की कोशिश की. जहां कोई नहीं गया है. हम अभी भी चंद्रमा से मात्र 100 किलोमीटर ही दूर हैं. विक्रम लैंडर अभी भी चंद्रमा की सतह पर मौजूद है. यह कभी भी कम्युनिकेशन संपर्क में आ सकता है. यदि नहीं भी हुआ तो इससे सीख भी ले सकते हैं. हमारे मिशन की संभावना, भविष्य के गर्भ में अभी भी छुपी हुई है. हो सकता है एक-दो दिन में मिशन के बारे में पता चलने लगे.

प्रश्नः जो बच्चे इसे देखने बेंगलुरु पहुंचे थे उनके मन में क्या भावना आएगी?
उत्तरः इन बच्चों ने यह जाना कि चंद्रयान-2 चंद्रमा के कक्ष में कैसे प्रवेश किया. 54 दिनों के बदले हमारा चंद्रयान-2 मात्र 44 दिनों में ही पहुंच गया. 30 किलोमीटर के दायरे में जाते हुए हमारे बच्चों ने देखा. 2 सितंबर को यह अलग हुआ, तभी भी हमारा यंत्र 100 किलोमीटर के दायरे में काम कर रहा था. 30 किलोमीटर के दायरे में 28 किलोमीटर तब बिल्कुल परफेक्ट जा रहा था. अचानक 2.1 किलोमीटर के दायरे में ही हमारा संपर्क टूट गया. ऐसे में बच्चे उत्साहित हुए होंगे. शायद, इन्हीं में से कोई बच्चा चंद्रमा के उस सतह पर जाएगा. और उस लेंडर को खोज निकालेगा.

प्रश्नः पीएम मोदी द्वारा बढ़ाए गए हौसले को आप किस रूप में देखते हैं?
उत्तरः यह बहुत ही अच्छी पहल है. प्रधानमंत्री द्वारा स्वयं वहां जाकर पीठ थपथपाना और उत्साहवर्धन करना यह बहुत बड़ी बात है. पीएम का यह प्रयास सराहनीय है. हो सकता है कि हम फिर से कुछ ही दिन बाद चंद्रयान थ्री में लग जाएं और उसमें सफल हो जाएं.

प्रश्नः अगर हम नासा से संपर्क करें तो वह डाटा हमें मिल सकता है?
उत्तरः दूसरे स्पेस एजेंसी के सेटेलाइट भी स्पेस में घूमते होंगे. हमारा ऑर्बिटल भी रिकॉर्ड कर सकता है. कई देश के सेटेलाइट चंद्रमा पर घूम रहे होंगे. वह डाटा रिकॉर्ड कर सकता है.

प्रश्नः चंद्रयान को ट्रैक करना चाहेंगे तो डाटा कलेक्ट कर सकते हैं.
उत्तरः ऐसा संभव है. अगर सॉफ्ट लैंडिंग हुई हो, अभी सुरक्षित हो और हमारा रोवर लैंडर से बाहर निकल चुका हो. ऐसे में तो कम्युनिकेशन हो सकता है, यदि क्रैश भी किया हो तो क्रश डाटा से भी डाटा निकल सकता है.

पटनाः एएन कॉलेज में इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्यूनिकेशन के प्रोफेसर अरूण कुमार ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत की. इस दौरान ईटीवी भारत संवाददाता के प्रश्नों का एक-एक कर उत्तर भी दिया. खास बात यह है कि उनके शिष्य इस मिशन में काम कर रहे हैं. अरूण कुमार लगातार इस मिशन के बारे में शिष्य से जानकारी ले रहे हैं.

क्रैश लैंडिंग के बावजूद नए डेटा दे सकता है चंद्रयान-2

प्रश्नः जिस तरह से चंद्रयान-2 चन्द्रमा पर गया, आप इसे किस रूप में देखते है?
उत्तरः यह नियरली परफेक्ट मिशन है. विज्ञान में असफलता नाम की कोई चीज नहीं होती. बल्कि यह सफलता की कुंजी होती है. इससे सीखते हैं, यह हमारे लिए लर्निंग एक्सपीरियंस है. चंद्रयान-2 ने 38 लाख 4000 किलोमीटर की यात्रा में से 38 लाख 2000 पूरा किया, इसे परफेक्ट कह सकते हैं, उसका डाटा भी प्राप्त हो गया. 2.1 किलोमीटर में कुछ दिक्कत हो. सेफ लैंडिंग या फिर हो सकता है कि क्रैश भी हुआ हो. अगर सिर्फ लर्निंग हुआ तो कभी ना कभी कम्युनिकेशन भी हो सकता है. चंद्रयान-2 के ऑर्बिटल को इस तरह बनाया गया है कि क्रैश लैंडिंग में भी नए डेटा दे सकता है. यह बिल्कुल नहीं कहा जा सकता है कि यह असफलता है. बल्कि इसे लगभग पूर्णतः सफल है.

प्रोफेसर अरुण कुमार के साथ चंद्रयान-2 पर बातचीत

प्रश्नः क्या इसरो वो कर दिखाया जो पूरी दुनिया नहीं कर सकी?
उत्तरः
जितने देश ने भी जो अभी तक किया है, वह विषुवत रेखा पर किया है. मून पर जाने की हिम्मत हमारे इसरो के वैज्ञानिक ने किया है. हमें गर्व है कि हमारा भी स्टूडेंट अमिताभ कुमार डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर और ऑपरेशन डायरेक्टर के तौर पर इसमें शामिल है.

professor arun kumar
प्रोफेसर अरुण कुमार

प्रश्नः तो क्या पल-पल अपने स्टूडेंट जानकारी ले रहे हैं?
उत्तरः बिल्कुल, हमेशा ले रहे हैं. उसका साहस भी बढ़ा रहे हैं. यह बड़े गर्व की बात है. वैज्ञानिक रूप से देखें तो 2 सितंबर को हमारा लेंडर ऑर्बिट से अलग हो गया. लैंडर ऑटो मोनस मूड में चला गया. यानी जो संचालित थे वह स्वतंत्र हो गए और फैसला खुद ले रहे थे. इनके कंप्यूटर के माइक्रोप्रोसेसर में डेट ऑफ फिक्स था. या तो हम लोग किए थे. समय के लिए क्षण के आधार पर एग्जैक्ट डाटा चांद का गिरा. हम लोग एक अंदाजा किए थे हो सकता है कि उस डाटा डिसीजन लेने में गड़बड़ी की गई है. लास्ट स्टेज में जाकर 2 परसेंट में वेरिएशन हुआ. हमारा ऑर्बिटर अभी भी 100 किलोमीटर के दायरे में घूम रहा है और उस पर आठ यंत्र हैं. 8h में टीएमसी ट्रेन मैप कैमरा है. जो चंद्रमा का 3D मैप लेगा. साथ ही एक्स-रे यंत्र के माध्यम से उस जगह का विश्लेषण करे, वहां की वस्तु के बारे में पता लगायेगा. मैग्नीशियम, सोडियम या ट्रेस एलिमेंट्स के बारे में यंत्र पता लगा सकता है.

प्रश्नः अगर चंद्रयान-2 चंद्रमा पर लैंड कर जाता और हमें कामयाबी हासिल होती, तो उसे किस रूप में देखते?
उत्तरः चंद्रयान-2 का लैंडर काम नहीं कर रहा, उसमें इलेक्ट्रीएम था, जो बाहर अर्थ का एलाइडमेंट सभी का मैनेजमेंट था. बहुत सी चीजें हैं, जो अभी भी काम कर रही हैं. लेकिन एग्जैक्ट हमारे मिशन का टेंडर के माध्यम से ही पता चल सकता है. हमारे विज्ञानिक अभी भी काम कर रहे हैं.

प्रश्नः चंद्रयान-2 में कहां सबसे बड़ी चुक हो गई?
उत्तरः जहां कोई नहीं गया, वहां पर हमारे देश ने कर दिखाने के लिए योजना बनाई. अगर वहां की स्थिति सबको पता होती तो और लोग भी वहां चले गए होते. वहां अब तक अचूक कोई नहीं पहुंचा. वहां हम पहुंच गए. गंतव्य स्थान से मात्र दो ही कदम दूर रह गए. हमारा विक्रम लैंडर तो अभी भी वहां काम कर रहा है चंद्रमा की सतह हमारे स्पेस के वैज्ञानिक उसमें अभी भी लगे हुए हैं.

प्रश्नः क्या अभी भी संभावना दिख रही है?
उत्तरः हो सकता है, संभावना इसलिए है कि अगर सॉफ्ट लैंडिंग हुई है. तो विक्रम लैंडर किसी अन्य जगह से भी संपर्क हो सकता है. संभावना यह भी है कि हमारा और ऑर्बिटर अभी उस जगह से तो हट गया हो. लेकिन हो सकता है कि चक्कर लगाकर फिर वहीं पहुंच जाए.

प्रश्नः क्या हम समझ सकते हैं कि इससे वैज्ञानिकों का मनोबल टूटा होगा?
उत्तरः बिल्कुल नहीं मनोबल टूटा, वैज्ञानिक जानते थे कि ऐसा हो सकता है. उसकी संभावना काफी थी. फिर भी वह सब कुछ लेकर चल रहे थे, हां इतने दिनों से परिश्रम कर रहे थे तो थोड़ी तो महसूस होगी उदासी, लेकिन वह मनोबल टूटने की बात नहीं है, साहसी कदम तो बढ़ाते रहेंगे स्पेस में तो ऐसा होता है सबसे कम विफलता तो इसरो का ही है. स्पेस का विज्ञान आसान नहीं है.

प्रश्नः चंद्रयान-2 के माध्यम से डाटा अभी कलेक्ट नहीं हो पाया है, तो क्या भविष्य में कभी फिर उड़ान भर सकते हैं?
उत्तरः नहीं, चंद्रयान-2 से पूरा डाटा कलेक्ट हो रहा है. 8h डाटा लायेगा. केवल सरफेस डाटा सर्वेशन से आ जाएगा. मगर रोवर का कंफर्म नहीं हो पाएगा. दो बार डाटा कंफर्म होता है. जो काम सर्फेसन करता है, वहीं काम रोवर नजदीक से करता है. सर्फेसन 500 मीटर तक ही जाता है. जो एक दिन चलता है. चांद के 1 दिन यानी पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है. हमारा ऑर्बिटल और रोबोट अभी भी 1 साल काम करता तो डाटा तो एकदम समाप्त नहीं हुआ है.

प्रश्नः हमारे देश के वैज्ञानिकों ने बहुत कम बजट में इस मिशन को तैयार किया?
उत्तरः इस मिशन में जो राशि लगी है उससे कहीं अधिक हॉलीवुड फिल्म बनाने में लगती है. हमारे वैज्ञानिकों ने मात्र 978 करोड़ में इतना बड़ा कार्य किया है. यह कार्य भारत में ही हो सकता है. आज तक किसी ने नहीं ऐसा कर दिखाया है. जापान, चीन, अमेरिका और रूस का चंद्रमा पर जाने के लिए बनाया गया मिशन मंहगा था. चंद्रमा के अंधेरे वाले हिस्से में हमने जाने की कोशिश की. जहां कोई नहीं गया है. हम अभी भी चंद्रमा से मात्र 100 किलोमीटर ही दूर हैं. विक्रम लैंडर अभी भी चंद्रमा की सतह पर मौजूद है. यह कभी भी कम्युनिकेशन संपर्क में आ सकता है. यदि नहीं भी हुआ तो इससे सीख भी ले सकते हैं. हमारे मिशन की संभावना, भविष्य के गर्भ में अभी भी छुपी हुई है. हो सकता है एक-दो दिन में मिशन के बारे में पता चलने लगे.

प्रश्नः जो बच्चे इसे देखने बेंगलुरु पहुंचे थे उनके मन में क्या भावना आएगी?
उत्तरः इन बच्चों ने यह जाना कि चंद्रयान-2 चंद्रमा के कक्ष में कैसे प्रवेश किया. 54 दिनों के बदले हमारा चंद्रयान-2 मात्र 44 दिनों में ही पहुंच गया. 30 किलोमीटर के दायरे में जाते हुए हमारे बच्चों ने देखा. 2 सितंबर को यह अलग हुआ, तभी भी हमारा यंत्र 100 किलोमीटर के दायरे में काम कर रहा था. 30 किलोमीटर के दायरे में 28 किलोमीटर तब बिल्कुल परफेक्ट जा रहा था. अचानक 2.1 किलोमीटर के दायरे में ही हमारा संपर्क टूट गया. ऐसे में बच्चे उत्साहित हुए होंगे. शायद, इन्हीं में से कोई बच्चा चंद्रमा के उस सतह पर जाएगा. और उस लेंडर को खोज निकालेगा.

प्रश्नः पीएम मोदी द्वारा बढ़ाए गए हौसले को आप किस रूप में देखते हैं?
उत्तरः यह बहुत ही अच्छी पहल है. प्रधानमंत्री द्वारा स्वयं वहां जाकर पीठ थपथपाना और उत्साहवर्धन करना यह बहुत बड़ी बात है. पीएम का यह प्रयास सराहनीय है. हो सकता है कि हम फिर से कुछ ही दिन बाद चंद्रयान थ्री में लग जाएं और उसमें सफल हो जाएं.

प्रश्नः अगर हम नासा से संपर्क करें तो वह डाटा हमें मिल सकता है?
उत्तरः दूसरे स्पेस एजेंसी के सेटेलाइट भी स्पेस में घूमते होंगे. हमारा ऑर्बिटल भी रिकॉर्ड कर सकता है. कई देश के सेटेलाइट चंद्रमा पर घूम रहे होंगे. वह डाटा रिकॉर्ड कर सकता है.

प्रश्नः चंद्रयान को ट्रैक करना चाहेंगे तो डाटा कलेक्ट कर सकते हैं.
उत्तरः ऐसा संभव है. अगर सॉफ्ट लैंडिंग हुई हो, अभी सुरक्षित हो और हमारा रोवर लैंडर से बाहर निकल चुका हो. ऐसे में तो कम्युनिकेशन हो सकता है, यदि क्रैश भी किया हो तो क्रश डाटा से भी डाटा निकल सकता है.

Intro:


Body:प्रश्न---जिस तरह से चंद्रयान 2 चन्द्रमा पर गया आप इसको किस रूप में देखते है अगर सफलता हाथ लगती ।

उत्तर-- ये नियरली परफेक्ट मिशन है विज्ञान में असफलता नाम की कोई चीज नहीं होती है बल्कि यह सफलता की कुंजी होती है बल्कि हम उसमें उससे सीखते हैं यह हमारे लर्निंग एक्सपीरियंस रहता है आप देख ले 384000 किलोमीटर की यात्रा इसने की इसमें 382000 तो परफेक्ट रहा उसके डाटा भी हमारे पास आया हमारा उसका भी बन गया जो 1 दम परफेक्ट है अब 2.1 किलोमीटर के बात रही तो हो हो सकता है कुछ दिक्कत हो ,हो सकता है कि सेफ लैंडिंग किया हो और हो सकता है कि क्रैश भी हुआ हो अगर सिर्फ लर्निंग हुआ हो तो हो सकता है कि कभी ना कभी कम्युनिकेशन भी हो सकता है और यही क्रैश लैंडिंग हुई हुई तो ऑर्बिटल को हम लोग ने ऐसा बनाया है कि वह नए डेटा दे सकते हैं इसलिए यह बिल्कुल नहीं कहा जा सकता है कि यह असफलता है करीब करीब पूर्णता सफल हैं

प्रश्न.... इसरो ने यह कर दिखाया है जो पूरी दुनिया नहीं कर सकी सारी दुनिया ने टच किया था जापान आदि देश ने हाथ खींच लिया था हमारा इसरो ने यह कर दिखाया है इसको आप किस रूप में देखते हैं

ans... सभी लोगों ने जो अभी तक किया है वह विषुवत रेखा पर किया है फूल पर जाने का हिम्मत हमारे इसरो के वैज्ञानिक ने किया है और हमें गर्व है कि हमारा भी स्टूडेंट इसमें है

प्रश्न..सर पल पल आप जानकारी अपने स्टूडेंट से भी लेते होगे
ans..,
बिल्कुल हमेशा ले रहे हैं और उसका साहसी बढ़ा रहे हैं यह बड़े गर्व की बात है कि एवं होली कार्ड्स नहीं है वैज्ञानिक रूप से देखें जिओ ही 2 सितंबर को हमारा लेंडर अलग हो गया ऑर्बिट से तो लैंडर ऑटो मोनास मूड में चला गया यानी जो संचालित थे वह स्वतंत्र हो गए और डिसीजन खुद ले रहे थे इनके कंप्यूटर के माइक्रोप्रोसेसर में डेट आफ फिक्स था या तो हम लोग किए थे सम लिए क्षण के आधार पर एग्जैक्ट डाटा तो चांद का गिर नेशनल फील्ड का हम लोग के पास नहीं था हम लोग एक अंदाजा किए थे हो सकता है कि उस डाटा में डिसीजन लेने में गड़बड़ी है गई है और लास्ट लेग में आप देखिए 30 किलोमीटर में भी 28 किलोमीटर ठीक गए 2 परसेंट में वेरिएशन हुआ था हमारा ऑडिटर अभी भी 100 किलोमीटर के दायरे में घूम रहा है और उस पर आठ यंत्र हैं 8h यंत्र का मतलब होता है कि जो करेंगे उसमें बहुत ही महत्वपूर्ण यंत्र हैं जैसे मैं ऊपर टीएमसी ट्रेन मैप कैमरा है जो कि चंद्रमा का 3D मैप लेगा साथी एक्स-रे यंत्र के माध्यम से उस जगह का इन लाइसेंस का पता लगाया जा सकता है जैसे मैग्नीशियम भाप सोडियम या ट्रेस एलिमेंट्स इस सब के बारे में हमारा यंत्र पता लगा सकता है।

प्रश्न-- मान लीजिए चंद्रयान2 चंद्रमा पर लैंड कर जाता तो पूरी दुनिया हमें देखती यहां तक चंद्रयान 2 मिशन के लिए पीएम स्कूली बच्चों के साथ बेंगलुरु इसरो केंद्र में खुद मौजूद थे यहां तक रात में देश के सवा लाख करोड़ आबादी इस मिशन का गवाह बनने के लिए टीवी स्क्रीन से चिपके हुए थे अगर हमारे विज्ञानिक को कोई सफलता मिल जाती तो सबसे बड़ी कामयाबी होती इसको किस रूप में देख रहे हैं

उत्तरा-- इस सवाल के जवाब में प्रोफेसर अरुण कुमार बताते हैं कि हमारे वैज्ञानिकों ने जो कर दिखाया। उस पर chandrayaan-2 के हमारे लेंडर के पर काम नहीं कर रहे हैं तो उसमें इलेक्ट्रीएम था जो बाहर अर्थ का एलाइड मेंट सभी का मैनेजमेंट था और एलिमेंट्स का था एलिमेंट्स का ऑप्टिकल अर्थ केट्रेक कर लेगा बहुत सी चीजें हैं जो अभी भी काम कर रहा है लेकिन एग्जैक्ट हमारे मिशन का टेंडर के माध्यम से ही पता चल सकता है कि जो जो हमारे विज्ञानिक अभी भी काम कर रहे हैं।

प्रश्न--चंद्रयान2 मैं कहां सबसे बड़ी चुप हो गई क्या कहेंगे?
उत्तर-- इस मिशन को हम चुप नहीं कर सकते जहां कोई नहीं गया वहां पर हमारे देश नेकर दिखाने के लिए योजना बनाई उस जगह को कोई नहीं जान सका अगर वह भाग्य भरोसे हो जाता जो हमने मिशन के लिए तैयार किया था हमारा लेंडर उसी तरह से काम करता है अगर वहां की स्थिति सबको पता होता तो और लोग भी वहां चले गए होते हैं तो इस तरह के लाइसेंस रीजन है वहां के अचूक कोई नहीं पहुंचा वहां हम पहुंच गए गंतव्य स्थान से मात्र दो ही कदम दूर रहें हमारा विक्रम लेंडर तो अभी भी वहां काम कर रहा है चंद्रमा की सतह पर जो हमारे स्पेस के विज्ञानिक उसमें अभी भी लगे हुए हैं।

प्रश्न--- क्या अभी भी संभावना दिख रहा है?
उत्तर-- हो सकता है संभावना इसलिए है कि हो सकता है कि सॉफ्ट लैंडिंग हुई है और हमारा विक्रम लैडर ऐसा है कि किसी अन्य जगह से भी संपर्क हो सकता है, हो सकता है कि हमारा और ऑर्बिटर अभी उस जगह से तो हट गया है लेकिन हो सकता है कि चक्कर लगाकर फिर वही जाए
प्रश्न... क्या हम समझ सकते हैं कि इससे वैज्ञानिकों का मनोबल टूटा होगा हमने रात में भी देखा कि वैज्ञानिकों के माथे पर शिकन सी थी
ans.. बिल्कुल मनोबल नहीं टूटा ,वैज्ञानिक जानते थे कि ऐसा हो सकता है और उसकी प्रोसोबिलिटी काफी थी फिर भी वह सब कुछ लेकर चल रहे थे हां इतने दिनों से परिश्रम कर रहे थे तो थोड़ी तो महसूस होगी उदासी, लेकिन वह मनोबल टूटने की बात नहीं है साहसी कदम तो बढ़ाते रहेंगे स्पेस में तो ऐसा होता है सबसे कम फेलुआर तो इसरो का ही है बाकी लोगों का देखिए तो बहुत अधिक फेलियर है ,स्पेस का जो विज्ञान है यह कोई आसान विज्ञान तो नहीं है

प्रश्न... सर एक बार हम बात करें तो chandrayaan-2 के माध्यम से डाटा अभी कलेक्ट नहीं हो पाया है तो भविष्य में कभी एक बार फिर उड़ान भर सकते हैं

ans.. नहीं chandrayaan-2 से तो पूरा डाटा कलेक्ट हो रहा है हम कह रहे हैं ना 8:00 पर लोड है ऑर्बिट पर जो मैक्सिमम डाटा लाएंगे जो केवल सरफेस डाटा सर्वेशन से आ जाएगा मगर जो रोवर रहता वह कंफर्म नहीं हो पाएगा दो बार डाटा कंफर्म होता है जो काम सर फेशन करता है वही काम रोवर नजदीक से करता है सर्फेसन500 मीटर तक ही जाता है ,जो एक दिन चलता है यानी चांद के 1 दिन यानी पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है हमारा ऑर्बिटल तो अभी 1 साल काम करता हमारा रोबोट तो अभी भी 1 साल काम करता तो डाटा तो एकदम समाप्त नहीं हुआ है।

प्रश्न-- हमारे देश के वैज्ञानिकों ने बहुत कम बजट में यह मिशन तैयार किया जो चंद्रमा पर जाकर वहां की समान स्थिति के बारे में पता करने के लिए इसको आप किस रूप में देखते हैं

उत्तर-- सबसे बड़ी बात है कि हमारे यहां इस मिशन में जो राशि लगी है उससे कहीं अधिक हॉलीवुड फिल्म बनाने में राशि लग जाती है लेकिन हमारे वैज्ञानिकों ने मात्र 978 करोड में इतना बड़ा कार्य कर देना यह भारत में ही हो सकता है आज तक किसी ने नहीं दिखाया है जापान चीन अमेरिका रूस ने जो अपना चंद्रमा पर जाने के लिए मिशन बनाया वह भी मांगा था इस वजह से चंद्रमा के उस सत्ता में जहां बिल्कुल अंधेरा है वहां पर हमने जाने की कोशिश कि जहां कोई नहीं गया है और हम अभी भी चंद्रमा से मात्र 100 किलोमीटर ही दूर हैं और हमारा विक्रमा लैंडर अभी भी चंद्रमा की सतह पर मौजूद है और कभी भी कम्युनिकेशन संपर्क में आ सकता है और यदि नहीं भी हुआ तो हम आएंगे उससे सीख भी ले सकते हैं हमारा मिशन भविष्य के गर्भ में अभी भी संभावना छुपी हुई है हो सकता है एक-दो दिन में मिशन के बारे में पता चलने लगे।

प्रश्न-- जो बच्चे इसे देखने बेंगलुरु पहुंचे थे उनके मन में किया भावना आएगी इसके बारे में आप क्या कर सकते हैं?

उत्तर-- देखिए इन बच्चों ने तो जाना कि पृथ्वी से गया यंत्र chandrayaan-2 5 अगस्त को चंद्रमा के कक्ष में कैसे प्रवेश किया वहां की स्थिति मैनचुरीन कैसे हुआ जहां 54 दिनों के बदले हमारा chandrayaan-2 मात्र 44 दिनों में ही पहुंच गया और आप यहां भी देख सकेंगे कि 30 किलोमीटर के दायरे में जाते हैं हमारे बच्चों ने देखना शुरू किया 2 सितंबर को अलग हुआ तभी भी हमारा यंत्र 100 किलोमीटर के दायरे में काम कर रहा था 30 किलोमीटर के दायरे में स्पेस 28 किलोमीटर तब तो बच्चों ने देखा कि chandrayaan-2 बिल्कुल परफेक्ट जा रहा था अचानक 2.1 किलोमीटर के दायरे में ही हमारा संपर्क टूट गया तो बच्चे का फिर उत्साहित ही होंगे इसको देखें और इसके अलावा इन्हीं में से कोई बच्चा चंद्रमा के उस सतह पर जाएगा और उस लेंडर को खोज निकालेगा बच्चों ने देखा कि हमारे वैज्ञानिकों ने वह कर दिखाया जो दुनिया के कोई वैज्ञानिकों ने नहीं कर सकते हैं।

प्रश्न-- पीएम मोदी द्वारा बढ़ाए गए हौसले को आप किस रूप में देखते हैं?
उत्तर-- यह बहुत अच्छी पहल है प्रधानमंत्री द्वारा स्वयं वहां जाकर के पीठ थपथपाना और उत्साहवर्धन करना यह बहुत बड़ी बात है पीएम का यह प्रयास सराहनीय है
प्रश्न... इसरो के डायरेक्टर तो थोड़ा उदास दिख रहे थे पीएम जाकर उनका उत्साहवर्धन किया
ans... इसरो के डायरेक्टर तो थोड़ा उदास दिख रहे थे पर यह जाकर पीएम ने उत्साह वर्धन किया उदास इसलिए दिख रहे थे कि उनकी प्रयास इस बार सफल नहीं हुआ यही इसरो अब तुरंत गगनयान में लगेगा अदर मिशन में लगेगा और हो सकता है कि हम फिर से कुछ ही दिन बाद चंद्रयान थ्री में लग जाएं और उसमें सफल हो जाएं

प्रश्न.. अगर हम नासा से संपर्क करें तो वह डाटा हमें मिल सकता है
हो सकता है कि दूसरे स्पेस एजेंसी से करें तो उनके स्पेस सेटेलाइट भी घूमते होंगे और रिकॉर्ड करें हो सकता है कि हमारा ऑर्बिटल भी रिकॉर्ड कर सकता है कई देश के सेटेलाइट जो चंद्रमा पर घूम रहे होंगे वह तो डाटा रिकॉर्ड कर सकते है

प्रश्न... संभावना है कि चंद्रयान का को ट्रैक करना चाहेंगे तो अपने chandrayaan-2 को पकड़कर डाटा कलेक्ट कर सकते हैं

ऐसा संभव है जरूर संभव है अगर वह सॉफ्ट लैंडिंग हुई हो अभी सुरक्षित हो और हमारा रोवर लैडर से बाहर निकल चुका हो तो कम्युनिकेशन हो सकता है यदि क्रैश भी किया हो तो क्रश डाटा से भी डाटा निकल सकता है



Conclusion: प्रोफेसर अरुण कुमार chandrayaan-2 को लेकर खास बातचीत करते हुए ईटीवी भारत के संवादाता अरविंद राठौर

( feed live u se bhej diye Hain)
Last Updated : Sep 7, 2019, 5:41 PM IST
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