पटना: बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार है. सरकार में छोटे दलों की भूमिका अहम है. जीतन राम मांझी और मुकेश साहनी के आठ विधायकों की भूमिका अहम है. लालू प्रसाद यादव जेल से बाहर आ चुके हैं. अब पटना पहुंचने वाले हैं. लॉकडाउन खत्म होने के बाद बिहार की राजनीति अनलॉक होगी.
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छोटे दलों की भूमिका अहम
बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार है और सरकार बहुमत के करीब है. सरकार में छोटे दलों की भूमिका अहम है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और मुकेश साहनी के 8 विधायक हैं. राज्यपाल कोटे से होने वाले मनोनयन के बाद में दोनों नेता नाराज चल रहे हैं. दोनों नेताओं ने अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर की थी.
मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज
पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी नीतीश कुमार के लिए मुश्किलें खड़ी करते रहे हैं. पप्पू यादव के मसले पर भी मांझी ने सरकार के खिलाफ बयानबाजी की और उसके बाद नीतीश कुमार को लेकर कहा कि नीतीश कुमार का काम नहीं कर रहे हैं मैं उनसे बात करूंगा. मंत्रिमंडल विस्तार के बाद एनडीए में भी नाराजगी दिखी थी. खासकर जदयू के कुछ नेता मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज हैं.
पार्टी नेतृत्व को चेतावनी
बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष और पूर्व मंत्री महेश्वर हजारी, पूर्व मंत्री नरेंद्र नारायण यादव, बीमा भारती और नीरज कुमार को इस बार मंत्री नहीं बनाया गया. नरेंद्र नारायण यादव बयान के जरिए नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. नाराजगी भाजपा खेमे में भी है. ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू मंत्री नहीं बनाए जाने पर आगबबूला थे और पार्टी नेतृत्व को चेतावनी दी थी. इसके अलावा पूर्व मंत्री प्रेम कुमार और पूर्व मंत्री नंदकिशोर यादव भी नेतृत्व से नाराज हैं.
"राजद नेता बिना कोई मतलब के बयान बाजी करते रहते हैं. राजद में टूट की संभावना जब-जब नेताओं को दिखती है, तब तब वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में टूट की बात करते हैं"- नवल किशोर यादव, वरिष्ठ नेता, भाजपा
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"जदयू में ऐसे नेताओं की कमी नहीं है, जिन्हें पार्टी में अपना भविष्य दिखाई नहीं दे रहा है. कुछ नेता अपना भविष्य राजद में तलाश रहे हैं तो कुछ नेता भाजपा में अपना भविष्य तलाश रहे हैं. नेताओं को यह लग रहा है कि अगली बार नीतीश कुमार बतौर मुख्यमंत्री चुनाव नहीं लड़ेंगे तो, उनका राजनीतिक भविष्य का क्या होगा. कुछ लोग मंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज हैं और वह पाला बदल सकते हैं"- डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक