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बिहार की जेलों में क्षमता से अधिक कैदी, ऐसे में कोरोना की तीसरी लहर से बचाना बड़ी चुनौती

देश में कोरोना संक्रमण (Corona) के मामलों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने जेलों में भीड़ कम करने का निर्देश देते हुए कहा था कि जिन कैदियों को कोरोना महामारी के मद्देनजर पिछले साल जमानत या पैरोल दी गई थी, उन सभी को फिर से वह सुविधा दी जाए. बिहार की जेल में क्षमता से लगभग 14000 कैदी अधिक बंद हैं.

क्षमता से अधिक कैदी
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Published : Jul 28, 2021, 4:54 PM IST

पटना: बिहार की जेलों में क्षमता से अधिक कैदी (Prisoners in Jails Beyond Capacity) इस वक्त मौजूद हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि कोरोना की तीसरी लहर (Third Wave of Corona) में कैदियों को बिना सोशल डिस्टेंसिंग के जेल प्रशासन या राज्य सरकार कैसे सुरक्षित रख पाएंगे. विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना की तीसरी लहर अक्टूबर तक आने की संभावना जताई जा रही है.

ये भी पढ़ें- Corona Effect: बिहार की जेलों में बंद 150 कैदी समय से पहले होंगे रिहा

बिहार की जेल में क्षमता से लगभग 14000 कैदी अधिक बंद हैं. 59 जेलों में लगभग 46000 कैदियों के रखने की क्षमता है, लेकिन इस वक्त इन सभी जेलों में लगभग 60000 कैदी बंद हैं. अनुमान लगाया जा सकता है कि क्षमता से अधिक कैदी होने की वजह से जेल प्रशासन को कहीं ना कहीं कैदियों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

देखें रिपोर्ट

जेल आईजी मिथिलेश मिश्रा के मुताबिक क्षमता से अधिक कैदियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाईकोर्ट के जज के नेतृत्व में कमेटी गठित की गई. जांच कमेटी ने 10 साल के सजायाफ्ता कैदियों, जिनकी सजा लगभग पूरी हो चुकी है, वैसे डेढ़ सौ कैदियों को चिह्नित कर छोड़ने को लेकर राज्य सरकार के पास प्रस्ताव भेजा गया था. जहां से कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है. जेल प्रशासन के मुताबिक इन कैदियों को छोड़ने की प्रक्रिया में अभी और वक्त लगेगा.

जेलों में भीड़ को कम किया जा सके इसको लेकर जेल प्रशासन ने कोर्ट से संपर्क किया है कि 7 साल से कम सजा वाले मामले में जिन्हें सजा नहीं हुई है, वह अगर बेल लेना चाहते हैं तो उन्हें जमानत दी जाए. ताकि जेलों में कैदियों की क्षमता कम की जा सके. जेल प्रशासन के मुताबिक पिछले महीनों में लगभग 15000 कैदियों को कोर्ट के द्वारा बेल दी गई है. इतने ही दिनों में लगभग 15000 नए कैदी भी वापस दूसरे मामले में जेल आ गए हैं. जिस वजह से फिर से स्थिति बरकरार है.

जेल आईजी मिथिलेश मिश्रा के मुताबिक कोरोना संक्रमण से कैदियों को बचाए रखने को लेकर हर उचित कदम उठाया जा रहा है. कैदियों के परिजनों से सीधी मुलाकात पर रोक लगा दी गई है. वहीं वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उनकी बात कराई जा रही है, ताकि कोरोना का संक्रमण जेलों तक ना पहुंचे.

ये भी पढ़ें- बिहार की जेलों में बंद हैं क्षमता से 14 हजार ज्यादा कैदी, महिला कैदियों का ये है हाल

मिथिलेश मिश्रा ने बताया कि बिहार के सभी जेलों में डीएम और सिविल सर्जन के माध्यम से कोरोना वैक्सीननेशन का पहला डोज पूरा हो चुका है तो वहीं दूसरे डोज की शुरुआत की गई है. जिसमें अब तक लगभग 10 फीसदी कैदियों को इसका लाभ मिल पाया है.

आपको बताएं कि कोरोना की दूसरे लहर में बिहार की कई जेलों तक करोना का संक्रमण पहुंच था. कई कैदी और जेल में तैनात पुलिसकर्मी इसकी चपेट में भी आए थे. हालांकि राहत की बात ये रही कि कोरोना ने जेलों में तबाही नहीं मचाई.

पटना: बिहार की जेलों में क्षमता से अधिक कैदी (Prisoners in Jails Beyond Capacity) इस वक्त मौजूद हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि कोरोना की तीसरी लहर (Third Wave of Corona) में कैदियों को बिना सोशल डिस्टेंसिंग के जेल प्रशासन या राज्य सरकार कैसे सुरक्षित रख पाएंगे. विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना की तीसरी लहर अक्टूबर तक आने की संभावना जताई जा रही है.

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बिहार की जेल में क्षमता से लगभग 14000 कैदी अधिक बंद हैं. 59 जेलों में लगभग 46000 कैदियों के रखने की क्षमता है, लेकिन इस वक्त इन सभी जेलों में लगभग 60000 कैदी बंद हैं. अनुमान लगाया जा सकता है कि क्षमता से अधिक कैदी होने की वजह से जेल प्रशासन को कहीं ना कहीं कैदियों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

देखें रिपोर्ट

जेल आईजी मिथिलेश मिश्रा के मुताबिक क्षमता से अधिक कैदियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाईकोर्ट के जज के नेतृत्व में कमेटी गठित की गई. जांच कमेटी ने 10 साल के सजायाफ्ता कैदियों, जिनकी सजा लगभग पूरी हो चुकी है, वैसे डेढ़ सौ कैदियों को चिह्नित कर छोड़ने को लेकर राज्य सरकार के पास प्रस्ताव भेजा गया था. जहां से कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है. जेल प्रशासन के मुताबिक इन कैदियों को छोड़ने की प्रक्रिया में अभी और वक्त लगेगा.

जेलों में भीड़ को कम किया जा सके इसको लेकर जेल प्रशासन ने कोर्ट से संपर्क किया है कि 7 साल से कम सजा वाले मामले में जिन्हें सजा नहीं हुई है, वह अगर बेल लेना चाहते हैं तो उन्हें जमानत दी जाए. ताकि जेलों में कैदियों की क्षमता कम की जा सके. जेल प्रशासन के मुताबिक पिछले महीनों में लगभग 15000 कैदियों को कोर्ट के द्वारा बेल दी गई है. इतने ही दिनों में लगभग 15000 नए कैदी भी वापस दूसरे मामले में जेल आ गए हैं. जिस वजह से फिर से स्थिति बरकरार है.

जेल आईजी मिथिलेश मिश्रा के मुताबिक कोरोना संक्रमण से कैदियों को बचाए रखने को लेकर हर उचित कदम उठाया जा रहा है. कैदियों के परिजनों से सीधी मुलाकात पर रोक लगा दी गई है. वहीं वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उनकी बात कराई जा रही है, ताकि कोरोना का संक्रमण जेलों तक ना पहुंचे.

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मिथिलेश मिश्रा ने बताया कि बिहार के सभी जेलों में डीएम और सिविल सर्जन के माध्यम से कोरोना वैक्सीननेशन का पहला डोज पूरा हो चुका है तो वहीं दूसरे डोज की शुरुआत की गई है. जिसमें अब तक लगभग 10 फीसदी कैदियों को इसका लाभ मिल पाया है.

आपको बताएं कि कोरोना की दूसरे लहर में बिहार की कई जेलों तक करोना का संक्रमण पहुंच था. कई कैदी और जेल में तैनात पुलिसकर्मी इसकी चपेट में भी आए थे. हालांकि राहत की बात ये रही कि कोरोना ने जेलों में तबाही नहीं मचाई.

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