पटना: चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन विजय स्वरुपा मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जा रही है. ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी ब्रह्मचारिणी को कठोर साधना और ब्रह्मा में लीन रहने के कारण ब्रह्मचारिणी कहा जाता है. इनकी पूजा अचर्ना से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. मां के इस रूप को भगवान शंकर की अर्धांगिनी माता पार्वती का अविवाहिता रूप भी माना गया है. ब्रह्मचारिणी को तपस्या, ज्ञान और वैराग्य की देवी कहा जाता है. मां के इस स्वरुप में मां के एक हाथ में कमंडल और दूसरे हाथ में जप माला रहता है. इन दिन वैसी लड़कियाों की पूजा की जाती है जिनकी शादी तय हो गई है लेकिन अभी हुई नहीं है.
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मां ब्रह्मचारिणी की पूजन विधि: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के दौरान कुछ खास बातों का ख्याल रखना चाहिए ताकि शुभ फल की प्राप्ति हो. नवरात्रि के दूसरे दिन पीले या सफेद रंग के कपड़े पहनने चाहिए क्यों ये रंग मां को अति पसंद होता है. मां को सफेद रंग की वस्तुएं भी चढ़ानी चाहिए. सफेद रंग की चीजों का भोग लगाना अति उत्तम होता है. इस दिन ओम ऐं नमः" मंत्र का जाप करना चाहिए. माता के पास घी का दीपक जलाकर दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए.
तपस्या और परिश्रम का संदेश देती हैं मां: मां ब्रह्मचारिणी तपस्या और कठोर परिश्रम का संदेश देती है. इससे ही सफलता पायी जा सकती है. बिना श्रम के सफलता पाना ईश्वर के बनाए नियमों के विपरीत होता है. इस दिन शक्ति का स्मरण करने की प्रेरणा मिलती है, अपने अंदर छुपे गुणों को पहचानने का संदेश और प्रेरणा मां ब्रह्मचारिणी देती है.
पूजा का शुभ मुहूर्त: ऐसे तो मां की पूजा कभी भी करें, फलदायी होती है. लेकिन शुभ मुहूर्त में मां की आराधना करने का फल अति उत्तम माना जाता है. आज मां ब्रह्मचारिणी की पूजा द्वितीया तिथि शाम 6:20 बजे तक रहेगी. आज सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन रहेगा. वहीं कल 24 मार्च को मां चंद्रघंटा की पूजा की जाएगी.