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Chaitra Navratri 2023: आज से चैत्र नवरात्र शुरू, जानें कलश स्थापना का सही मुहूर्त और पूजन विधि - कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व होता है. इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा- अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. कैसे मां को करें प्रसन्न और क्या है पूजा की विधि जानें..

Chaitra Navratri 2023
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Published : Mar 21, 2023, 11:59 PM IST

Updated : Mar 22, 2023, 11:36 AM IST

पटना: बुधवार यानी कि आज से देवी आराधना के पर्व चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. इस दौरान मां के नौ स्वरुपों की पूजा का विधान है. कलश स्थापना शुभ मुहूर्त में करना अति फलदायक होता है. इसलिए श्रद्धालु पूजा के दौरान पूजा की विधी और शुभ मुहूर्त का खास ख्याल रखते हैं. आज मां के शैलपुत्री रूप की पूजा हो रही है.

पढ़ें- Navratri 2023 : चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन इन विधि-मंत्रों से करे मां शैलपुत्री की पूजा, मन्नतें होंगी पूरी

22 मार्च से 30 मार्च तक चैत्र नवरात्रि: मान्यताओं के अनुसार अगर इन नौ दिनों तक मां के दरबार में सच्चे मन से पूजा की जाए, मत्था टेका जाए तो सभी मुराद पूरी होती है. इस बार 22 मार्च से 30 मार्च तक चैत्र नवरात्रि है. इस दौरान घरों में कई लोग अखंड ज्योति जलाते हैं, कलश की स्थापना करते हैं, साथ ही अष्टमी और नवमी को कन्या की पूजा की जाती है.

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त: नवरात्रि के पहल दिन कलश की स्थापना की जाती है. माना जाता है कि अगर विधि विधान और शुभ मुहूर्त में घट की स्थापना हो तो अगले नौ दिनों तक देवी दुर्गा का घर में निवास होता है. इस बार कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:23 बजे है. कलश स्थापना करने घर से विघ्न बाधा दूर होती है और सुख समृद्धि आती है.

पूजन की विधि : इस दिन पूजा करने का विधान थोड़ा अलग रहता है. सुबह सूर्य उदय के साथ ही उठकर स्नानादि करने के बाद सबसे पहले घर के गेट पर स्वास्तिक बनाकर घर के दोनों छोर पर बंदनवार लगाया जाता है. बंदनवार यदि उपलब्ध नहीं है तो आम की पत्तियों को पुष्प आदि में लपेटकर एक धागे या फिर लाल रक्षा सूत्र में बांधकर उसे दरवाजे पर बांधा जाता है.एक आसान में बैठकर शुभ मुहूर्त में दोनों हाथों को जोड़कर भगवान गणेश का ध्यान करना चाहिए.उसके बाद एक पात्र में मिट्टी और जौ मिलाकर उसे पानी से भरे एक कलश पर रखना चाहिए, यह कलश मिट्टी, तांबा या पीतल का हो सकता है. कलश के ऊपर आम की पत्तियां रखें और उसके ऊपर नारियल रखना चाहिए. उसके बाद वरुण और देवी का आह्वान करना चाहिए. नौ दिनों की पूजा में मां को रोज भोग लगाना चाहिए. कई लोग अखंड ज्योति जलाते हैं, नौ दिनों तक इसकी लौ बरकरार रहनी चाहिए.

पटना: बुधवार यानी कि आज से देवी आराधना के पर्व चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. इस दौरान मां के नौ स्वरुपों की पूजा का विधान है. कलश स्थापना शुभ मुहूर्त में करना अति फलदायक होता है. इसलिए श्रद्धालु पूजा के दौरान पूजा की विधी और शुभ मुहूर्त का खास ख्याल रखते हैं. आज मां के शैलपुत्री रूप की पूजा हो रही है.

पढ़ें- Navratri 2023 : चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन इन विधि-मंत्रों से करे मां शैलपुत्री की पूजा, मन्नतें होंगी पूरी

22 मार्च से 30 मार्च तक चैत्र नवरात्रि: मान्यताओं के अनुसार अगर इन नौ दिनों तक मां के दरबार में सच्चे मन से पूजा की जाए, मत्था टेका जाए तो सभी मुराद पूरी होती है. इस बार 22 मार्च से 30 मार्च तक चैत्र नवरात्रि है. इस दौरान घरों में कई लोग अखंड ज्योति जलाते हैं, कलश की स्थापना करते हैं, साथ ही अष्टमी और नवमी को कन्या की पूजा की जाती है.

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त: नवरात्रि के पहल दिन कलश की स्थापना की जाती है. माना जाता है कि अगर विधि विधान और शुभ मुहूर्त में घट की स्थापना हो तो अगले नौ दिनों तक देवी दुर्गा का घर में निवास होता है. इस बार कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:23 बजे है. कलश स्थापना करने घर से विघ्न बाधा दूर होती है और सुख समृद्धि आती है.

पूजन की विधि : इस दिन पूजा करने का विधान थोड़ा अलग रहता है. सुबह सूर्य उदय के साथ ही उठकर स्नानादि करने के बाद सबसे पहले घर के गेट पर स्वास्तिक बनाकर घर के दोनों छोर पर बंदनवार लगाया जाता है. बंदनवार यदि उपलब्ध नहीं है तो आम की पत्तियों को पुष्प आदि में लपेटकर एक धागे या फिर लाल रक्षा सूत्र में बांधकर उसे दरवाजे पर बांधा जाता है.एक आसान में बैठकर शुभ मुहूर्त में दोनों हाथों को जोड़कर भगवान गणेश का ध्यान करना चाहिए.उसके बाद एक पात्र में मिट्टी और जौ मिलाकर उसे पानी से भरे एक कलश पर रखना चाहिए, यह कलश मिट्टी, तांबा या पीतल का हो सकता है. कलश के ऊपर आम की पत्तियां रखें और उसके ऊपर नारियल रखना चाहिए. उसके बाद वरुण और देवी का आह्वान करना चाहिए. नौ दिनों की पूजा में मां को रोज भोग लगाना चाहिए. कई लोग अखंड ज्योति जलाते हैं, नौ दिनों तक इसकी लौ बरकरार रहनी चाहिए.

Last Updated : Mar 22, 2023, 11:36 AM IST
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