पटना: अस्ताचलगामी और उदयीमान भगवान सूर्य की उपासना को काफी पवित्र व्रत माना जाता है. कहा जाता है कि सूर्य तमाम रोगों और दुखों से निवारण करते हैं. इसलिए व्रती पूरे नियम धरम से भगवान सूर्य की उपासना करते हैं. 25 मार्च को नहाय खाय के साथ शुरू हुआ चैती छठ महापर्व आज उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर समाप्त हो गया.
उदयीमान भगवान सूर्य को अर्घ्य: छठ व्रतियों ने जिस घाट पर शाम को भगवान को अर्घ्य दिया था, सुबह भी उसी घाट से अर्घ्य दिया गया. इसके लिए घाट की साफ सफाई प्रशासिनक स्तर पर पिछले कई दिनों से चल रही थी. कई व्रती रात को घाटों पर ही रुक जाते हैं और भगवान भास्कर की उपासना में लीन रहते हैं. वहीं कई व्रती वापस घर को आ जाते हैं और अगले दिन अहले सुबह फिर घाटों की ओर रवाना होते हैं. इस दौरान व्रती रास्ते में दंडवत करते हुए आगे बढ़ते हैं और उनका आशीर्वाद लेकर दूसरे श्रद्धालु भी पूण्य की प्राप्ति करते हैं.
सूर्योदय का समय: 28 मार्च को भगवान भास्कर के उदय होने का बेसब्री से व्रती इंतजार कर रहे थे. आज सुबह सूर्य देवता के दर्शन करने के लिए आपको ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा. सूर्योदय का समय 6 बजकर 16 मिनट पर था लेकिन अर्घ्य अर्पित करने का शुभ मुहूर्त 5 बजकर 55 मिनट पर ही थी.
महाप्रसाद का वितरण: छठ महापर्व के समापन के बाद व्रती छठी मैया को लगाए भोग को प्रसाद के रूप में वितरित करते हैं. प्रसाद में ठेकुआ का विशेष महत्व होता है. इसके साथ ही कई तरह के फल होते हैं जिसका छठ में खास महत्व होता है. गन्ना, नींबू, नारियल, आंवला छठ महापर्व में चढ़ाए जाने वाले विशेष फल हैं. अब महापर्व के समापन के साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत समाप्त हो गया. साथ ही श्रद्धालु छठ महापर्व के प्रसाद को ग्रहण कर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं.