पटना: शिक्षा विभाग ( Education Department ) की केंद्र प्रायोजित योजनाओं में कटौती का सिलसिला लगातार तीसरे साल भी जारी है. इस वर्ष केंद्र सरकार ने बिहार की शिक्षा योजनाओं ( Educational Schemes ) के संचालन के लिए ₹7700 मंजूर किए हैं. जबकि शिक्षा विभाग की तरफ से वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 13142 करोड़ रुपए का बजट प्रस्तावित किया गया था. वित्तीय वर्ष की शुरुआत के करीब 5 महीने बाद सरकार ने राशि की मंजूरी दी है. अब बाकी बचे महीनों में शिक्षा के बजट के मद की राशि खर्च करने का दबाव शिक्षा विभाग पर है.
शिक्षा विभाग की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक, कोरोना संकट के तहत प्रस्तावित राशि में कटौती की गई है. फिलहाल समग्र शिक्षा अभियान के तहत शिक्षकों की सैलरी के लिए 3308 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं. हालांकि खेल कूद और शारीरिक शिक्षा मद में कोई कटौती नहीं की गई है.
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इस वर्ष शिक्षा विभाग का पूरा ध्यान नई शिक्षा नीति के तहत प्रस्तावित नर्सरी से प्राथमिक स्तर तक के साक्षरता के प्रसार पर है. अनिवार्य शिक्षा के अधिकार के तहत जिम्मेदारियों को पूरा करने की रणनीति शिक्षा विभाग की प्राथमिकता में है.
इसके अलावा विभिन्न शैक्षणिक परियोजनाओं को पूरा करने के लिए टारगेट भी तय किए गए हैं, क्योंकि वित्तीय वर्ष के लिए अब बाकी बचे महीनों में ही केंद्र से मिली राशि का अधिकाधिक उपयोग करना है.
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बता दें कि नई शिक्षा नीति के तहत सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिए छोटे बच्चों की पढ़ाई पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है. इस लिहाज से बिहार में छोटे बच्चों को नर्सरी तक की शिक्षा और उसके बाद प्राथमिक स्तर पर स्थानीय भाषा में शिक्षा देना सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है. इसलिए इस बार के बजट की राशि में एक बड़ा हिस्सा नर्सरी से प्राथमिक स्तर तक पढ़ाई पर खर्च होगा.