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पटना: 3 जुलाई को केंद्रीय श्रमिक संगठन का राज्यव्यापी आंदोलन - protest

आगामी 3 जुलाई को राज्य के जिला मुख्यालयों पर केंद्रीय श्रमिक संगठनों के आह्वाान पर राज्य इकाइयों द्वारा प्रतिरोध दिवस मनाया जाएगा.

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Published : Jul 1, 2020, 8:36 PM IST

Updated : Jul 3, 2020, 6:58 AM IST

पटना: केंद्रीय श्रमिक संगठनों के आह्वान पर राज्य इकाइयों द्वारा आगामी 3 जुलाई को राज्य के जिला मुख्यालयों पर प्रतिरोध दिवस मनाया जाएगा. साथ ही प्रधानमंत्री का पुतला फूंका जाएगा. श्रमिक संगठन सीटू के गणेश शंकर सिंह ने बताया कि आगामी 3 जुलाई को पटना के जीपीओ गोलंबर से डाकबंगला चौराहे तक मार्च निकाला जाएगा.

गणेश शंकर सिंह ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान गृह मंत्रालय और उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद राज्य सरकार ने कई लोगों को हटा दिया और मजदूरी का भुगतान भी नहीं किया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ का पैकेज मजाक के सिवा कुछ नहीं है. मोदी सरकार कोरोनावायरस को मानव और समाज के लिए चिकित्सा आपातकाल के रूप में ना लेकर सिर्फ कानून और व्यवस्था से हल करने का प्रयास कर रही है. जिस कारण किसानों, मजदूरों और गरीबों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.

देखें रिपोर्ट

मजदूर विरोधी कानून वापस ले सरकार
उन्होंने कहा कि सरकार के पास वर्चुअल रैली करने का समय और पैसा है, लेकिन गरीबों और मजदूरों की सहायता नहीं कर रही. केंद्रीय मजदूर संगठन सरकार की ऐसी विनाशकारी रणनीति को नहीं चलने देगा. इसी के विरोध में हम सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे. हमारी सरकार से मांग है कि मजदूर विरोधी कानून को सरकार वापस ले. मजदूर और गरीबों के लिए रोजगार की उचित व्यवस्था करें. साथ ही केंद्र सरकार द्वारा दिया गया आर्थिक पैकेज का इस्तेमाल कर सभी को राहत पहुंचाया जाए.

पटना: केंद्रीय श्रमिक संगठनों के आह्वान पर राज्य इकाइयों द्वारा आगामी 3 जुलाई को राज्य के जिला मुख्यालयों पर प्रतिरोध दिवस मनाया जाएगा. साथ ही प्रधानमंत्री का पुतला फूंका जाएगा. श्रमिक संगठन सीटू के गणेश शंकर सिंह ने बताया कि आगामी 3 जुलाई को पटना के जीपीओ गोलंबर से डाकबंगला चौराहे तक मार्च निकाला जाएगा.

गणेश शंकर सिंह ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान गृह मंत्रालय और उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद राज्य सरकार ने कई लोगों को हटा दिया और मजदूरी का भुगतान भी नहीं किया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ का पैकेज मजाक के सिवा कुछ नहीं है. मोदी सरकार कोरोनावायरस को मानव और समाज के लिए चिकित्सा आपातकाल के रूप में ना लेकर सिर्फ कानून और व्यवस्था से हल करने का प्रयास कर रही है. जिस कारण किसानों, मजदूरों और गरीबों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.

देखें रिपोर्ट

मजदूर विरोधी कानून वापस ले सरकार
उन्होंने कहा कि सरकार के पास वर्चुअल रैली करने का समय और पैसा है, लेकिन गरीबों और मजदूरों की सहायता नहीं कर रही. केंद्रीय मजदूर संगठन सरकार की ऐसी विनाशकारी रणनीति को नहीं चलने देगा. इसी के विरोध में हम सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे. हमारी सरकार से मांग है कि मजदूर विरोधी कानून को सरकार वापस ले. मजदूर और गरीबों के लिए रोजगार की उचित व्यवस्था करें. साथ ही केंद्र सरकार द्वारा दिया गया आर्थिक पैकेज का इस्तेमाल कर सभी को राहत पहुंचाया जाए.

Last Updated : Jul 3, 2020, 6:58 AM IST
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