पटना: बिहार के बहुचर्चित सृजन घोटाले (Srijan Ghotala ) की जांच अब रफ्तार पकड़ने लगी है. इस केस में CBI ने तत्कालीन IAS केपी रमैया (Former Ias KP Ramaiya) समेत 60 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया है. सभी आरोपियों पर पटना के स्पेशल कोर्ट में एंटी करप्शन एक्ट की अलग-अलग धाराओं में मामला दर्ज कराया है. इस मामले में सीबीआई (CBI ReStarts Investigation On Srijan Ghotala) ने जांच तेज कर दी है. सीबीआई के विशेष सूत्रों के अनुसार बिहार पुलिस के दो वरिष्ठ अधिकारियों की संलिप्त होने की जानकारी भी मिली है. इन दोनों अधिकारियों से सीबीआई इस मामले में जल्द ही पूछताछ कर सकती है.
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सृजन घोटाले में सीबीआई ने फिर से जांच शुरू की: मिली जानकारी के अनुसार बिहार पुलिस मुख्यालय में पदस्थापित एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के साथ एक और एसपी का नाम सामने आ रहा है. विशेष सूत्रों के अनुसार उनके द्वारा उस वक्त पटना से जाकर इससे जुड़े कुछ कागजातों को गायब किया गया था. उम्मीद जताई जा रही है कि जल्दी इन दोनों वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ तत्कालीन डीएम और एसपी से भी पूछताछ की जाएगी. जब इस घोटाले की तह कुरेदी गई, तब पता चला कि ये घोटाला 2017 का नहीं, बल्कि 2008 से 2014 तक हुआ था. इस घोटालें में सरकारी खजाने के अरबों रुपये भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाई गई थी. मामला काफी बड़ा हो चुका था, इसलिए सीएम नीतीश ने सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी और साल 2017 में ही सीबीआई ने सृजन घोटाले की जांच का जिम्मा संभाल लिया था.
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क्या था सृजन घोटाला: बताया जाता है कि वित्तीय वर्ष 2016-17 की मेधावृत्ति के लगभग 5500 और पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति के करीब 2500 लाभुकों की राशि नहीं मिल पायी. जिसके कारण दोनों छात्रवृत्ति योजनाओं की राशि सृजन संस्था के खाते में चली गयी. उसके बाद प्रभावित हुए अनुसूचित जाति-जनजाति और पिछड़े वर्ग के छात्रों को मेधावृत्ति देने के लिए कल्याण विभाग के पास आज तक राशि उपलब्ध नहीं है. सृजन घोटाला मामले में कल्याण विभाग ने साल 2017 में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. इस मामले में कल्याण विभाग के तत्कालीन नाजिर की गिरफ्तारी हुई थी. वहीं तत्कालीन जिला कल्याण पदाधिकारी अरुण कुमार जेल में बंद हैं. इस मामले की जांच में सीबीआई ने फिर से जांच शुरू कर दी है.