पटना: बिहार में फर्जी बीएड कॉलेज (Case of fake BEd college has increased in Bihar) का मामला गंभीर है. पटना हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए भी पूछा है कि आखिर किस तरह ऐसे फर्जी संस्थान को मान्यता दी गई. फर्जी बीएड कॉलेज का मामला बिहार में कोई नया नहीं है. सिर्फ बिहार ही नहीं, बल्कि देशभर में फर्जी बीएड संस्थानों को लेकर कई बार सवाल उठ चुके हैं. पिछले कुछ सालों से शिक्षक नियुक्ति में बीएड की जरूरत को देखते हुए इस डिग्री की डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ गई है.
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इस कोर्स को लेकर कई सालों से विवाद जुड़ा रहा है. क्योंकि नौकरी से इस कोर्स का जुड़ाव सीधे-सीधे है. इसलिए कई बार इस कोर्स और इसे करवाने वाली संस्थानों के फर्जीवाड़े की खबर आती रही है. बिहार से जुड़े कई फर्जी संस्थानों को लेकर अन्य राज्यों में मामले सामने आ चुके हैं. कुछ साल पहले राजस्थान सरकार ने बिहार के 6 बीएड कॉलेजों को फर्जी करार दिया था. इन कॉलेजों से डिग्री लेकर नौकरी कर रहे अभ्यर्थियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी.
बिहार के वरिष्ठ शिक्षक और विशेषज्ञ भी यह स्वीकार करते हैं कि पटना, चंपारण, दरभंगा, कटिहार, मधुबनी और मधेपुरा समेत कई जिलों में ऐसे फर्जी संस्थान चल रहे हैं, जो कम समय में बीएड की डिग्री दिलाने की बात कह कर लोगों से जमकर पैसे वसूलते हैं. हाल में पूर्वी चंपारण में ढाका के तेलहारा खुर्द गांव में चल रहे फर्जी बीएड कॉलेज का मामला सामने आया था. पटना हाईकोर्ट ने मिडिल स्कूल के भवन में बीएड कॉलेज को दी गयी संबद्धता पर बीआर आंबेडकर बिहार विवि को तत्काल निर्णय लेने का आदेश दिया है. जिसपर अगली सुनवाई 2 फरवरी को होगी.
'सरकार की नाक के नीचे राजधानी पटना समेत बिहार के लगभग सभी जिले में ऐसे फर्जी बीएड कॉलेज चल रहे हैं, जिनका ना तो कोई अपना भवन है ना ही वहां शिक्षक हैं और ना ही कोई अन्य संसाधन. ये सिर्फ पैसे लेकर डिग्री बांटने का काम करते हैं. सरकार को गंभीरता से तमाम बीएड कॉलेजों की जांच करनी चाहिए.' -शैलेंद्र कुमार शर्मा, वरिष्ठ शिक्षाविद्
'बिहार की प्रतिष्ठा धूमिल करने में ऐसे संस्थानों की बड़ी भूमिका होती है. राजस्थान सरकार ने बिहार के कई फर्जी डिग्री कॉलेजों को लेकर मामला दर्ज किया था. पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी स्वीकार किया था कि देश में हजारों की संख्या में फर्जी बीएड कॉलेज चल रहे हैं और उन्होंने चेतावनी भी दी थी. लेकिन अब तक इस मामले में कोई ठोस पहल नहीं हुई है. सरकार को चाहिए कि शिक्षा और शिक्षकों के हित में ऐसे फर्जी संस्थानों पर अविलंब रोक लगाए जाएं.' -डॉ. संजय कुमार, शिक्षाविद्
आपको बता दें कि ऐसे फर्जी संस्थानों पर रोक लगाने के लिए कुछ वर्ष पहले बिहार के तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बीएड संस्थानों में एडमिशन के लिए एंट्रेंस टेस्ट की शुरुआत की थी. आवेदन शुल्क भी निर्धारित कर दिया गया था. जिसके बाद काफी हद तक ऐसे मामलों पर लगाम लगी है. लेकिन अब भी इस मामले में काफी कुछ किया जाना बाकी है.
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