पटना: कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने सीसीआई (CCI) से एक बार फिर ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन और फ्लिपकार्ट (Amazon and Flipkart) के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. इसको लेकर सीसीआई के चैयरमैन अशोक कुमार गुप्ता को एक पत्र भेजा गया है.
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पत्र में कैट ने मांग की है कि सरकार की एफडीआई नीति, 2018 के प्रेस नोट 2 में बताए गए प्रभुत्व गैर-प्रतिस्पर्धी व्यवसाय प्रथाओं की शिकायतों के संदर्भ में अमेजन और फ्लिपकार्ट दोनों के व्यापार मॉड्यूल मे चल रही जांच में तेजी लाने के लिए तत्काल कदम उठाएं.जिनके द्वारा अमेजन और फ्लिपकार्ट वर्तमान में भी प्रतिस्पर्धा और नियमों का उल्लंघन करते हुए भारत के ई कॉमर्स में उसी मॉडल पर व्यापार कर रही हैं, जिनकी शिकायत सीसीआई से की गई है.
कैट ने सीसीआई से मांग की है कि जांच होने तक इन कंपनियों को अपने पोर्टल संचालन को अस्थायी तौर पर (जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती) अपने पोर्टलों को निलंबित करने का निर्देश देने की मांग की है.
कैट ने यह भी मांग कि है की जांच अधिकारी को सभी संबंधित दस्तावेजों, कंप्यूटरों, हार्ड डिस्क और अन्य प्रासंगिक डेटा को जब्त करने का आदेश भी दिया जाए. कैट ने कहा कि यह मानने का उचित आधार है कि जांच से संबंधित दस्तावेजों या उपकरणों के नष्ट, कटे-फटे या उसमें तोड़फोड़ करने की इन कंपनियों के द्वारा बड़ी संभावना है.
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कैट बिहार चेयरमैन कमल नोपानी और अध्यक्ष अशोक कुमार वर्मा ने कहा कि अमेजन और फ्लिपकार्ट के खिलाफ भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा चल रही जांच पर रोक लगाने के लिए दोनों की अपील को खारिज करने के बाद यह उम्मीद थी कि जांच में तेजी आएगी. हालांकि ऐसा लगता है कि जांच कछुए की गति से की जा रही है. उन्होंने कहा कि यदि तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो जांच का मूल उद्देश्य खतरे में पड़ जाएगा और चर्चित कहावत 'न्याय में देरी न्याय से वंचित है' सच हो जाएगी.
कैट बिहार के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मुकेश नंदन और संयुक्त महासचिव आरसी मल्होत्रा ने मांग को सही ठहराते हुए कहा कि प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 41, कंपनी अधिनियम की धारा 220 और 240A के साथ पढ़ी जाती है. जिसके अनुसार सीसीआई के जांच महानिदेशक को तलाशी और जब्ती का अधिकार देती है. इस संदर्भ में कैट ने सीसीआई बनाम जेसीबी इंडिया लिमिटेड के मामले में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के दिनांक 15 .1 . 2019 के आदेश का हवाला दिया है. जिसमें उच्चतम न्यायालय ने कहा कि कंपनी अधिनियम, 1956 के प्रावधानों को अधिनियम की धारा 41(3 ) के साथ पढ़ें. जिसके द्वारा जांच महानिदेशक को जांच करने के लिए सक्षम बनाया गया था और उन्हें तलाशी और सामान को जब्त करने का अधिकार दिया गया है. कोर्ट ने यह भी कहा कि केवल तलाशी ही अधिनियम के संदर्भ में जांच के उद्देश्यों के लिए पर्याप्त नहीं होगी और उसके लिए जब्ती का अधिकार भी होना आवश्यक है.