पटनाः देश के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने मंगलवार को अपनी रिपोर्ट पेश की. इसमें बिहार में सरकारी खजाने से करोड़ों की निकासी की बात कही गई है. रिपोर्ट में सीएजी ने वित्तीय नियमों को दरकिनार कर गलत तरीके से 2.19 करोड़ के गबन की बात कही है. इसमें 2012 से मार्च 2017 के दौरान बेतिया और पटना के 4 कॉलेजों में सुरक्षा, सफाई और गृह व्यवस्था के लिए मानव बल की आपूर्ति के लिए 78.47 करोड़ अधिक भुगतान का खुलासा किया गया है.
मेडिकल कॉलेजों में पाई गई उपकरणों की कमी
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कई तरह की अनियमितता की बात कही है. मेडिकल कॉलेजों में 92 प्रतिशत रिक्तियां है. सीएजी ने पटना के आईजीआईएमएस, एनएमसीएच, पीएमसीएच के अलावा बेतिया और दरभंगा मेडिकल कॉलेज के 20 विभागों की जांच में 38 में से 32 प्रतिशत तक उपकरणों की कमी पाए जाने का भी खुलासा किया है.
बजट के निर्माण की प्रक्रिया पर उठाए सवाल
नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में बजट के निर्माण की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए हैं. वित्त विभाग को सुझाव दिया गया है कि बजट तैयारी की जो प्रक्रिया है उसे तर्कसंगत बनाया जाए. सीएजी ने कहा कि बजट अनुमान और वास्तविकता के बीच का अंतर कम होना चाहिए. यह टिप्पणी वित्तीय वर्ष 2017-18 से 2018-19 के आय व्यय के आकलन के बाद की गई है.
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अनुमान से कम संग्रह हुआ राजस्व
वित्तीय वर्ष 2017-18 से 2018-19 के दौरान राजस्व प्राप्त की प्राप्ति 14343 हुई और राजस्व संग्रह में 12.22% की वृद्धि हुई है जबकि बजट के अनुसार 26257 करोड़ का राजस्व संग्रह यानी 16.61 प्रतिशत की वृद्धि होनी चाहिए थी. सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जो अनुमान लगाया गया था उससे कम संग्रह हुआ है. वित्तीय वर्ष 2017 -18 से 2018-19 के बीच में 22273 करोड़ यानी 21.70% का इजाफा हुआ यह बजट प्राक्कलन से 8. 66 % कम था.
स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में कमी
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में बिहार में जो कमी है उसको भी उजागर किया है. डॉक्टर, नर्स की कमियों से लेकर आधारभूत संरचना में भी स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में काफी कमी की बात अपनी रिपोर्ट में सीएजी ने की है.