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कैग की रिपोर्ट में स्वास्थ्य विभाग के बेहतरीन प्रयासों के दावों की खुली पोल, सामने आए ये तथ्य

सीएजी रिपोर्ट (CAG Report Of Bihar) को बिहार विधानसभा में सदन के पटल पर रखा गया. इसमें कई गड़बड़ियां सामने आई है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 60 प्रतिशत लोगों को जरूरी दवाएं नहीं मिल पाती हैं. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Mar 30, 2022, 8:14 PM IST

पटना: बिहार विधानसभा में ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत (audit report in bihar assembly) किया गया. रिपोर्ट पेश होने के बाद सीएजी ने संवाददाता सम्मेलन के जरिए रिपोर्ट की जानकारी दी. सीएजी (Comptroller and Auditor General) की रिपोर्ट में सरकार के दावों की पोल खुल गई और स्वास्थ्य (CAG report on Bihar Health Department) के क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर का घोर अभाव दिखा. रिपोर्ट में बताया गया कि ज्यादातर जिलों में बिना लाइसेंस के ब्लड बैंक (blood bank without license in bihar) बैंक चल रहे हैं. इसके साथ ही रिपोर्ट में और भी कई खुलासे किए गए हैं.

पढ़ें- बिहार में कैग की रिपोर्ट पर राजनीति गरमायी, कांग्रेस ने की जांच की मांग

5 जिलों का ही ऑडिट: कोरोना काल का असर सीएजी के क्रियाकलाप पर भी पड़ा है. कोरोना काल के दौरान सभी विभागों का ऑडिट नहीं किया जा सका. स्वास्थ्य विभाग का ऑडिट किया गया. सिर्फ 5 जिलों बिहार शरीफ, हाजीपुर, जहानाबाद, मधेपुरा और पटना का ऑडिट किया गया जिसमें कई तरह की गड़बड़ियां पाई गईं हैं. प्रधान लेखा परीक्षक राम अवतार शर्मा (Auditor Ram Avtar Sharma) ने कहा कि शुरुआती दौर में 10 जिलों का ऑडिट करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन कोविड-19 के वजह से 5 जिलों का ही ऑडिट किया गया.

स्वास्थ्य विभाग में मानव संसाधन का घोर अभाव: राम अवतार शर्मा ने बताया कि आईपीएचसी की तुलना में बेड की संख्या 52% से 90% के बीच थी. जिला अस्पतालों में जनसंख्या अनुरूप बेड उपलब्ध नहीं थे. दो जिला अस्पतालों को छोड़ बाकी जिला अस्पतालों में 24 से 32% ही बेड थे. साल 2014 से 2020 के बीच डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ और टेक्नीशियन की लगातार कमी थी. लेकिन खाली पदों को भरने के लिए रिक्तियां प्रकाशित नहीं हुई.

अस्पतालों में नहीं हैं सुविधाएं: जिला अस्पतालों में 64% से 91% के बीच दवाओं की कमी थी. हृदय रोगियों के लिए 5 जिलों में कहीं भी क्रिटिकल केयर यूनिट (सीसीयू केयर यूनिट) नहीं था. बिहार के 9 जिलों में ही ब्लड बैंक थे. 2014 से 2020 के बीच ब्लड बैंक बिना लाइसेंस के चल रहे थे. जांच किए गए ब्लड बैंक में अभी पता चला कि हेपेटाइटिस का परीक्षण नहीं किया जा रहा था.

पढ़ें- एक लाख करोड़ से ज्यादा के एसी डीसी बिल और यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट पेंडिंग, विपक्ष बोला- मांफी मांगे सरकार

कुल 29% राशि ही खर्च: पांच जिला अस्पतालों में इमरजेंसी सर्जरी के लिए ओटी किसी भी जिला अस्पताल में उपलब्ध नहीं थे. बीएमएसआईसीएल की लापरवाही भी ऑडिट रिपोर्ट में दिखी. सरकार ने बीएमएसआईसीएल को कुल 10743 करोड़ रुपए विभिन्न योजनाओं के लिए दिए थे. जिसमें के 3103 करोड़ ही खर्च हुए. 187 योजना पूरे हुए जबकि 543 योजनाओं पर काम चल रहा है 387 योजनाओं का काम अभी पूरा होना बाकी है. बीएमएसआईसीएल ने कुल 29% राशि ही खर्च की है.

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पटना: बिहार विधानसभा में ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत (audit report in bihar assembly) किया गया. रिपोर्ट पेश होने के बाद सीएजी ने संवाददाता सम्मेलन के जरिए रिपोर्ट की जानकारी दी. सीएजी (Comptroller and Auditor General) की रिपोर्ट में सरकार के दावों की पोल खुल गई और स्वास्थ्य (CAG report on Bihar Health Department) के क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर का घोर अभाव दिखा. रिपोर्ट में बताया गया कि ज्यादातर जिलों में बिना लाइसेंस के ब्लड बैंक (blood bank without license in bihar) बैंक चल रहे हैं. इसके साथ ही रिपोर्ट में और भी कई खुलासे किए गए हैं.

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5 जिलों का ही ऑडिट: कोरोना काल का असर सीएजी के क्रियाकलाप पर भी पड़ा है. कोरोना काल के दौरान सभी विभागों का ऑडिट नहीं किया जा सका. स्वास्थ्य विभाग का ऑडिट किया गया. सिर्फ 5 जिलों बिहार शरीफ, हाजीपुर, जहानाबाद, मधेपुरा और पटना का ऑडिट किया गया जिसमें कई तरह की गड़बड़ियां पाई गईं हैं. प्रधान लेखा परीक्षक राम अवतार शर्मा (Auditor Ram Avtar Sharma) ने कहा कि शुरुआती दौर में 10 जिलों का ऑडिट करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन कोविड-19 के वजह से 5 जिलों का ही ऑडिट किया गया.

स्वास्थ्य विभाग में मानव संसाधन का घोर अभाव: राम अवतार शर्मा ने बताया कि आईपीएचसी की तुलना में बेड की संख्या 52% से 90% के बीच थी. जिला अस्पतालों में जनसंख्या अनुरूप बेड उपलब्ध नहीं थे. दो जिला अस्पतालों को छोड़ बाकी जिला अस्पतालों में 24 से 32% ही बेड थे. साल 2014 से 2020 के बीच डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ और टेक्नीशियन की लगातार कमी थी. लेकिन खाली पदों को भरने के लिए रिक्तियां प्रकाशित नहीं हुई.

अस्पतालों में नहीं हैं सुविधाएं: जिला अस्पतालों में 64% से 91% के बीच दवाओं की कमी थी. हृदय रोगियों के लिए 5 जिलों में कहीं भी क्रिटिकल केयर यूनिट (सीसीयू केयर यूनिट) नहीं था. बिहार के 9 जिलों में ही ब्लड बैंक थे. 2014 से 2020 के बीच ब्लड बैंक बिना लाइसेंस के चल रहे थे. जांच किए गए ब्लड बैंक में अभी पता चला कि हेपेटाइटिस का परीक्षण नहीं किया जा रहा था.

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कुल 29% राशि ही खर्च: पांच जिला अस्पतालों में इमरजेंसी सर्जरी के लिए ओटी किसी भी जिला अस्पताल में उपलब्ध नहीं थे. बीएमएसआईसीएल की लापरवाही भी ऑडिट रिपोर्ट में दिखी. सरकार ने बीएमएसआईसीएल को कुल 10743 करोड़ रुपए विभिन्न योजनाओं के लिए दिए थे. जिसमें के 3103 करोड़ ही खर्च हुए. 187 योजना पूरे हुए जबकि 543 योजनाओं पर काम चल रहा है 387 योजनाओं का काम अभी पूरा होना बाकी है. बीएमएसआईसीएल ने कुल 29% राशि ही खर्च की है.

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