पटनाः केंद्र सरकार के आर्थिक पैकेज की घोषणा के बाद व्यापारी काफी निराश हैं. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) बिहार के 6 लाख और भारत के 7 करोड़ व्यापारियों ने इसको लेकर आक्रोश व्यक्त किया है. उनका कहना है कि सरकार ने आर्थिक पैकेज की घोषणा करते समय व्यापारियों की पूरी तरह से अनदेखी की है.
अर्थव्यवस्था की रीढ़
कैट बिहार चेयरमैन कमल नोपानी, अध्यक्ष अशोक कुमार वर्मा और महासचिव डा. रमेश गा ने कहा कि आज देश का पूरा व्यापारिक समुदाय सरकार की गहरी उपेक्षा को लेकर बेहद नाराज है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विपदा पर व्यापारियों को अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहा है और इन हालातों में भी खुदरा विक्रेताओं ने कोरोना योद्धाओं की तरह आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित की है.
प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग
अध्यक्ष अशोक कुमार वर्मा ने पूरी तरह से निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि कैट इस मामले में प्रधानमंत्री से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करेगा. लॉकडाउन खत्म होने के बाद व्यापारी बड़े वित्तीय संकट में आ जाएंगे, क्योंकि उन्हें वेतन, ब्याज, बैंक ऋण, कर और विभिन्न वित्तीय दायित्वों का भुगतान करना होगा.
व्यवसाय करना होगा बंद
सरकार ने ऐसे में व्यापारियों की मदद नहीं की तो लगभग 20 प्रतिशत व्यापारियों को अपना व्यवसाय बंद करना होगा. इन व्यापारियों पर निर्भर अन्य 10 प्रतिशत व्यापारियों को भी अपना व्यवसाय बंद करना होगा.
भीख नहीं मांग रहे व्यापारी
कैट महनगर अध्यक्ष प्रिंस कुमार राजू और सचिव संजय बरनवाल ने कहा कि भारत सरकार के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि व्यापारी कोई भीख नहीं, अधिकार मांग रहे हैं. तो वो अधिकार कहां हैं? कैट बिहार के ई कामर्स के प्रभारी मुकेश नंदन और कोषाध्यक्ष अरूण कुमार गुप्ता ने कहा कि सरकार ने आर्थिक पैकेज के नाम पर हमें अगूंठा दिखाने का काम किया है.