पटना: दीपावली और छठ में अब कुछ दिन ही बचे हुए हैं. मिट्टी और पीतल के बर्तन शुद्ध माने जाते हैं. त्यौहारों में इनकी काफी मांग होती है. जिले के बिहटा का परेव गांव पीतल के बर्तन बनाने के लिए प्रसिद्ध है. इस गांव के हर घर में पीतल का कारोबार होता है. लेकिन इस बार मिट्टी और पीतल दोनों की मांग घट गई है. जिससे कारोबारी परेशान हैं.
पीतल के बर्तन देश विदेशों में होते हैं आयात
पूजा पाठ या शादी ब्याह हर मौके पर मिट्टी और पीतल के बर्तन का इस्तेमाल होता है. लिहाजा पूजा अनुष्ठानों में परेव गांव में काफी चहल पहल रहती है. इसे पीतल नगरी भी कहा जाता है. यहां से पीतल के बर्तन देश विदेशों में भी आयात किए जाते हैं.
मिट्टी के दीयों की मांग घटी
यहां स्थित कुम्हारों की बस्ती में दीपावली और छठ आते ही जोर-शोर से मिट्टी के दीये और बर्तन बनने लग जाते हैं. लेकिन इस बार उनकी भी चिंता बढ़ी हुई है. कुम्हारों का कहना है कि चाइनीज लाइट और आर्टिफिशियल दीये आ जाने से मिट्टी के दीयों की मांग लगातार घटती जा रही है.
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मंदी से झेलना पड़ रहा नुकसान
पीतल व्यवसायियों ने बताया कि ग्राहक काफी कम हो गए हैं. उनका कहना है कि पटना में आए बाढ़ और जलजमाव की वजह से बाजार पर काफी असर हुआ है. उन्होंनें बताया त्यौहारों पर मंदी से उन्हें काफी नुकसान हो रहा है.