पटना: COVID-19 महामारी ने दुनिया भर में शिक्षा और शैक्षिक प्रणालियों को प्रभावित किया है. इस बीच, अभिभावकों का अब राजधानी के निजी स्कूलों (Private Schools in Patna) से मोह भंग हो रहा है और उन्हें सरकारी स्कूल (Government School ) रास आ रहे हैं. वजह साफ है कि कोरोना काल में नौकरी जाने या वेतन में कटौती के कारण वित्तीय संकट से जूझ रहे अभिभावक निजी स्कूलों की भारी भरकम फीस कैसे चुकाएं, इसलिए वह इनसे किनारा कर अपने बच्चों का सरकारी स्कूलों में दाखिला करा रहे हैं.
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ऑनलाइन क्लासेज के नाम पर पूरी फीस..
राजधानी पटना में एक अभिभावक ओमप्रकाश ने बताया कि प्राइवेट स्कूल ऑनलाइन क्लासेज लेकर खानापूर्ति कर रहे हैं. ट्यूशन फीस के अलावा मेंटेनेंस के नाम पर पूरी फीस वसूल रहे हैं. कोरोना काल में किसी तरह रियायत नहीं दी जा रही है. उन्होंने बताया कि उनके बच्चे के स्कूल फीस का बकाया काफी बढ़ गया है. जिसे चुका पाना मेरे लिए संभव नहीं है. ऐसे में अपने बच्चे को सरकारी स्कूल में दाखिला दिलाने ले जा रहे हैं. क्योंकि इस साल भी जो हालात हैं. उस स्थिति में फिलहाल स्कूल नहीं खुलने वाले हैं.
'अपने बच्चे का दाखिला सरकारी स्कूल में करा दिया है. क्योंकि लॉकडाउन के वजह से धंधा चौपट है. स्कूल फीस भर पाने में समर्थ नहीं हैं. प्राइवेट स्कूल से फीस में रियायत नहीं दी गई.' :- शिवा, अभिभावक
एक्सट्रा चार्जेज ने बढ़ाया टेंशन
वहीं छात्र अभिभावक संघर्ष समिति के समन्वयक नीरज कुमार ने बताया कि लॉकडाउन पीरियड में स्कूल ऑनलाइन क्लासेज के बदले पूरी फीस वसूल रहे हैं. जब बच्चे स्कूल नहीं जा रहे तो सिर्फ ट्यूशन फीस लेना चाहिए और बाकी सब माफ कर देना चाहिए. अभिभावकों के व्यवसाय और जीविका पर कोरोना का बुरा असर पड़ा है. स्कूल द्वारा एनुअल चार्ज, मेंटेनेंस चार्ज, कल्चरल प्रोग्राम चार्ज, डेवलपमेंट चार्ज इत्यादि प्रकार के मिसलेनियस चार्ज को फीस से माफ करना चाहिए. स्कूल को शिक्षकों को पैसा देना होता है और शिक्षक ऑनलाइन क्लासेस पढ़ा भी रहे हैं. ऐसे में ट्यूशन चार्ज के अलावा कुछ अतिरिक्त चार्ज नहीं लिया जाए.
कोर्ट गाइडलाइन का पालन कर रहे स्कूल
वहीं एसोसिएशन ऑफ इंडिपेंडेंट स्कूल बिहार के अध्यक्ष डॉ. सी. बी. सिंह ने कहा की स्कूल प्रबंधन भी अभिभावकों के अभी के हालात को बखूबी समझते हैं. सुप्रीम कोर्ट का भी इस पर गाइडलाइन आ गया है कि प्राइवेट स्कूल को भी पैसे की जरूरत होती है. ट्यूशन फीस माफ नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि अभिभावकों के हालात को देखते हुए स्कूल प्रबंधन ने अभिभवाकों को बकाया फीस जमा करने के लिए इंस्टॉलमेंट का भी प्रावधान किया है.
'काफी संख्या में स्कूल फीस से मिसलेनियस चार्ज हटा लिया हैं. मगर कुछ ऐसे स्कूल जो रेंट पर चलते हैं. उन्हें किराया देना पड़ता है, बिजली जले या ना जले स्कूल को हर महीने एक फिक्स्ड बिजली बिल देना पड़ता है. इसके अलावा स्कूल के अन्य बहुत सारे स्टाफ होते हैं. उन्हें भी स्कूल प्रबंधन को पेमेंट करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि काफी संख्या में अभिभावक फीस भर पाने में सक्षम नहीं हैं. प्राइवेट स्कूलों के 10% से ज्यादा बच्चे किसी छोटे या सरकारी स्कूल में दाखिला करा चुके हैं.' :- डॉ. सीबी सिंह, अध्यक्ष एसोसिएशन ऑफ इंडिपेंडेंट स्कूल
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