ETV Bharat / state

Corona Effect: निजी स्कूलों की फीस नहीं भर पा रहे लोग, सरकारी स्कूलों में बच्चों का करा रहे दाखिला - hefty private school fee

बिहार में कोरोना (Covid-19) व लॉकडाउन (Lockdown) का असर लोगों की जेब पर दिखने लगा है. निजी स्कूलों की महंगी फीस से परेशान लोगों ने अब अपने बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूलों में कराना शुरू कर दिया है. पढ़ें रिपोर्ट

Corona Effect on private school
Corona Effect on private school
author img

By

Published : Jun 26, 2021, 7:58 AM IST

Updated : Jun 26, 2021, 2:53 PM IST

पटना: COVID-19 महामारी ने दुनिया भर में शिक्षा और शैक्षिक प्रणालियों को प्रभावित किया है. इस बीच, अभिभावकों का अब राजधानी के निजी स्कूलों (Private Schools in Patna) से मोह भंग हो रहा है और उन्हें सरकारी स्कूल (Government School ) रास आ रहे हैं. वजह साफ है कि कोरोना काल में नौकरी जाने या वेतन में कटौती के कारण वित्तीय संकट से जूझ रहे अभिभावक निजी स्कूलों की भारी भरकम फीस कैसे चुकाएं, इसलिए वह इनसे किनारा कर अपने बच्चों का सरकारी स्कूलों में दाखिला करा रहे हैं.

ये भी पढ़ें : सड़क पर उतरे निजी स्कूल के संचालक, कहा- कोरोना के नाम पर स्कूल को टारगेट करना बंद करे सरकार

ऑनलाइन क्लासेज के नाम पर पूरी फीस..
राजधानी पटना में एक अभिभावक ओमप्रकाश ने बताया कि प्राइवेट स्कूल ऑनलाइन क्लासेज लेकर खानापूर्ति कर रहे हैं. ट्यूशन फीस के अलावा मेंटेनेंस के नाम पर पूरी फीस वसूल रहे हैं. कोरोना काल में किसी तरह रियायत नहीं दी जा रही है. उन्होंने बताया कि उनके बच्चे के स्कूल फीस का बकाया काफी बढ़ गया है. जिसे चुका पाना मेरे लिए संभव नहीं है. ऐसे में अपने बच्चे को सरकारी स्कूल में दाखिला दिलाने ले जा रहे हैं. क्योंकि इस साल भी जो हालात हैं. उस स्थिति में फिलहाल स्कूल नहीं खुलने वाले हैं.

देखें वीडियो

'अपने बच्चे का दाखिला सरकारी स्कूल में करा दिया है. क्योंकि लॉकडाउन के वजह से धंधा चौपट है. स्कूल फीस भर पाने में समर्थ नहीं हैं. प्राइवेट स्कूल से फीस में रियायत नहीं दी गई.' :- शिवा, अभिभावक

एक्सट्रा चार्जेज ने बढ़ाया टेंशन
वहीं छात्र अभिभावक संघर्ष समिति के समन्वयक नीरज कुमार ने बताया कि लॉकडाउन पीरियड में स्कूल ऑनलाइन क्लासेज के बदले पूरी फीस वसूल रहे हैं. जब बच्चे स्कूल नहीं जा रहे तो सिर्फ ट्यूशन फीस लेना चाहिए और बाकी सब माफ कर देना चाहिए. अभिभावकों के व्यवसाय और जीविका पर कोरोना का बुरा असर पड़ा है. स्कूल द्वारा एनुअल चार्ज, मेंटेनेंस चार्ज, कल्चरल प्रोग्राम चार्ज, डेवलपमेंट चार्ज इत्यादि प्रकार के मिसलेनियस चार्ज को फीस से माफ करना चाहिए. स्कूल को शिक्षकों को पैसा देना होता है और शिक्षक ऑनलाइन क्लासेस पढ़ा भी रहे हैं. ऐसे में ट्यूशन चार्ज के अलावा कुछ अतिरिक्त चार्ज नहीं लिया जाए.

इसे भी पढ़ें : जागिए सरकार... कोरोना के कारण 5000 निजी स्कूल हुए बंद, 25 हजार विद्यालय के 7 लाख कर्मचारियों पर रोटी का संकट

कोर्ट गाइडलाइन का पालन कर रहे स्कूल
वहीं एसोसिएशन ऑफ इंडिपेंडेंट स्कूल बिहार के अध्यक्ष डॉ. सी. बी. सिंह ने कहा की स्कूल प्रबंधन भी अभिभावकों के अभी के हालात को बखूबी समझते हैं. सुप्रीम कोर्ट का भी इस पर गाइडलाइन आ गया है कि प्राइवेट स्कूल को भी पैसे की जरूरत होती है. ट्यूशन फीस माफ नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि अभिभावकों के हालात को देखते हुए स्कूल प्रबंधन ने अभिभवाकों को बकाया फीस जमा करने के लिए इंस्टॉलमेंट का भी प्रावधान किया है.

'काफी संख्या में स्कूल फीस से मिसलेनियस चार्ज हटा लिया हैं. मगर कुछ ऐसे स्कूल जो रेंट पर चलते हैं. उन्हें किराया देना पड़ता है, बिजली जले या ना जले स्कूल को हर महीने एक फिक्स्ड बिजली बिल देना पड़ता है. इसके अलावा स्कूल के अन्य बहुत सारे स्टाफ होते हैं. उन्हें भी स्कूल प्रबंधन को पेमेंट करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि काफी संख्या में अभिभावक फीस भर पाने में सक्षम नहीं हैं. प्राइवेट स्कूलों के 10% से ज्यादा बच्चे किसी छोटे या सरकारी स्कूल में दाखिला करा चुके हैं.' :- डॉ. सीबी सिंह, अध्यक्ष एसोसिएशन ऑफ इंडिपेंडेंट स्कूल

इसे भी पढ़ें : बिहार में कोरोना वैक्सीन लगवाएं और ज्यादा ब्याज पाएं, जानिए क्या है बैंकों की खास स्कीम

पटना: COVID-19 महामारी ने दुनिया भर में शिक्षा और शैक्षिक प्रणालियों को प्रभावित किया है. इस बीच, अभिभावकों का अब राजधानी के निजी स्कूलों (Private Schools in Patna) से मोह भंग हो रहा है और उन्हें सरकारी स्कूल (Government School ) रास आ रहे हैं. वजह साफ है कि कोरोना काल में नौकरी जाने या वेतन में कटौती के कारण वित्तीय संकट से जूझ रहे अभिभावक निजी स्कूलों की भारी भरकम फीस कैसे चुकाएं, इसलिए वह इनसे किनारा कर अपने बच्चों का सरकारी स्कूलों में दाखिला करा रहे हैं.

ये भी पढ़ें : सड़क पर उतरे निजी स्कूल के संचालक, कहा- कोरोना के नाम पर स्कूल को टारगेट करना बंद करे सरकार

ऑनलाइन क्लासेज के नाम पर पूरी फीस..
राजधानी पटना में एक अभिभावक ओमप्रकाश ने बताया कि प्राइवेट स्कूल ऑनलाइन क्लासेज लेकर खानापूर्ति कर रहे हैं. ट्यूशन फीस के अलावा मेंटेनेंस के नाम पर पूरी फीस वसूल रहे हैं. कोरोना काल में किसी तरह रियायत नहीं दी जा रही है. उन्होंने बताया कि उनके बच्चे के स्कूल फीस का बकाया काफी बढ़ गया है. जिसे चुका पाना मेरे लिए संभव नहीं है. ऐसे में अपने बच्चे को सरकारी स्कूल में दाखिला दिलाने ले जा रहे हैं. क्योंकि इस साल भी जो हालात हैं. उस स्थिति में फिलहाल स्कूल नहीं खुलने वाले हैं.

देखें वीडियो

'अपने बच्चे का दाखिला सरकारी स्कूल में करा दिया है. क्योंकि लॉकडाउन के वजह से धंधा चौपट है. स्कूल फीस भर पाने में समर्थ नहीं हैं. प्राइवेट स्कूल से फीस में रियायत नहीं दी गई.' :- शिवा, अभिभावक

एक्सट्रा चार्जेज ने बढ़ाया टेंशन
वहीं छात्र अभिभावक संघर्ष समिति के समन्वयक नीरज कुमार ने बताया कि लॉकडाउन पीरियड में स्कूल ऑनलाइन क्लासेज के बदले पूरी फीस वसूल रहे हैं. जब बच्चे स्कूल नहीं जा रहे तो सिर्फ ट्यूशन फीस लेना चाहिए और बाकी सब माफ कर देना चाहिए. अभिभावकों के व्यवसाय और जीविका पर कोरोना का बुरा असर पड़ा है. स्कूल द्वारा एनुअल चार्ज, मेंटेनेंस चार्ज, कल्चरल प्रोग्राम चार्ज, डेवलपमेंट चार्ज इत्यादि प्रकार के मिसलेनियस चार्ज को फीस से माफ करना चाहिए. स्कूल को शिक्षकों को पैसा देना होता है और शिक्षक ऑनलाइन क्लासेस पढ़ा भी रहे हैं. ऐसे में ट्यूशन चार्ज के अलावा कुछ अतिरिक्त चार्ज नहीं लिया जाए.

इसे भी पढ़ें : जागिए सरकार... कोरोना के कारण 5000 निजी स्कूल हुए बंद, 25 हजार विद्यालय के 7 लाख कर्मचारियों पर रोटी का संकट

कोर्ट गाइडलाइन का पालन कर रहे स्कूल
वहीं एसोसिएशन ऑफ इंडिपेंडेंट स्कूल बिहार के अध्यक्ष डॉ. सी. बी. सिंह ने कहा की स्कूल प्रबंधन भी अभिभावकों के अभी के हालात को बखूबी समझते हैं. सुप्रीम कोर्ट का भी इस पर गाइडलाइन आ गया है कि प्राइवेट स्कूल को भी पैसे की जरूरत होती है. ट्यूशन फीस माफ नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि अभिभावकों के हालात को देखते हुए स्कूल प्रबंधन ने अभिभवाकों को बकाया फीस जमा करने के लिए इंस्टॉलमेंट का भी प्रावधान किया है.

'काफी संख्या में स्कूल फीस से मिसलेनियस चार्ज हटा लिया हैं. मगर कुछ ऐसे स्कूल जो रेंट पर चलते हैं. उन्हें किराया देना पड़ता है, बिजली जले या ना जले स्कूल को हर महीने एक फिक्स्ड बिजली बिल देना पड़ता है. इसके अलावा स्कूल के अन्य बहुत सारे स्टाफ होते हैं. उन्हें भी स्कूल प्रबंधन को पेमेंट करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि काफी संख्या में अभिभावक फीस भर पाने में सक्षम नहीं हैं. प्राइवेट स्कूलों के 10% से ज्यादा बच्चे किसी छोटे या सरकारी स्कूल में दाखिला करा चुके हैं.' :- डॉ. सीबी सिंह, अध्यक्ष एसोसिएशन ऑफ इंडिपेंडेंट स्कूल

इसे भी पढ़ें : बिहार में कोरोना वैक्सीन लगवाएं और ज्यादा ब्याज पाएं, जानिए क्या है बैंकों की खास स्कीम

Last Updated : Jun 26, 2021, 2:53 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.