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Budget 2023 : CAT ने वित्त मंत्री से जीएसटी प्रणाली की समीक्षा करने की रखी मांग

केंद्रीय बजट (Budget 2023) किसी वित्तीय वर्ष में होने वाली आमदनी और खर्चों से जुड़ा दस्तावेज है. यह वित्तीय वर्ष हर साल 1 अप्रैल से शुरू होकर अगले साल 31 मार्च को समाप्त होता है. वर्ष 2023-24 के लिए आम बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2023 को पेश करेंगी. देशभर के व्‍यापारियों ने बनाई 'बजट इच्‍छा सूची' तैयार कर वित्‍त मंत्री से इसे पूरा करने की मांग की है. पढ़िये, कैट बिहार चेयरमैन राजेश गुप्ता व अध्यक्ष अशोक कुमार वर्मा ने वित्त मंत्री से क्या मांग की है.

Budget 2023
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Published : Jan 25, 2023, 11:55 PM IST

पटना: कैट बिहार चेयरमैन राजेश गुप्ता व अध्यक्ष अशोक कुमार वर्मा ने 'बजट इच्छा सूची' (Budget Expectations) जारी करते हुए कहा कि जीएसटी सबसे जटिल कराधान प्रणाली है. इस प्रणाली को सरल बनाने के लिए इसकी पूर्ण समीक्षा की आवश्यकता है. व्यापारियों द्वारा जिसका सरलता में अनुपालन किया जा सके और सरकार को अधिक राजस्व की प्राप्ति हो सके. देश का खुदरा व्यापार बड़ी संख्या में अधिनियमों और नियमों से भरा हुआ है. इनमें से कई कुछ दशक पुराने हैं. वर्तमान परिदृश्य में अपना महत्व खो चुके हैं. इसलिए ऐसे सभी अधिनियमों और नियमों की समीक्षा की तत्काल आवश्यकता है.

इसे भी पढ़ेंः UNION BUDGET 2023 : क्या आप जानते हैं देश का पहला बजट कब और किसने पेश किया था, जानें महत्वपूर्ण बातें

एक लाइसेंस नीतिः राजेश गुप्ता (CAT Bihar Chairman Rajesh Gupta) व अध्यक्ष अशोक कुमार वर्मा (CAT Bihar President Ashok Kumar Verma) ने कहा है कि ऐसे नियम जो प्रासंगिकता खो चुके हैं उन्हें अवश्य निरस्त किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत में व्यापारियों को व्यावसायिक गतिविधियों के संचालन के लिए ढेर सारे लाइसेंस लेने पड़ते हैं. इसलिए वन नेशन-वन टैक्स की तर्ज पर सरकार की एक राष्ट्रीय-एक लाइसेंस नीति होनी चाहिए ताकि व्यापार में आसानी हो. पीएम मोदी ने इसकी काफी वकालत की है.

रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगेः दोनों व्यापारी नेताओं ने यह भी मांग की कि विशेष आर्थिक क्षेत्र की तरह, सरकार को सरकारी मंजूरी प्राप्त करने के लिए एक खिड़की की सुविधा के साथ गांवों के बाहरी इलाकों में विशेष व्यापार क्षेत्र स्थापित करना चाहिए. इस तरह के कदम से न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा बल्कि रोजगार के बड़े अवसर भी उपलब्ध होंगे.

इसे भी पढ़ेंः Bihar Politics: 'CM नीतीश की अलग से रेल बजट कराने की बात सही'- मृत्यंजय तिवारी

प्रोत्साहन योजनाओं की मांगः राजेश गुप्ता व अध्यक्ष अशोक कुमार वर्मा ने कहा कि उन्होंने यह भी कहा कि चेकों का अनादरण बहुत बढ़ गया है. चेकों की कोई पवित्रता नहीं है. वहीं व्यापारियों के बीच अक्सर भुगतान संबंधी विवाद होते हैं. अदालतों में इसके समाधान के लिए लंबा वक्त लगता है. इसलिए इस तरह के विवादों का त्वरित निवारण सुनिश्चित करने के लिए, फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन की बहुत जरूरत है. उन्होंने डिजिटल भुगतान के अधिक उपयोग के लिए व्यापारियों को कर भुगतान में छूट के संदर्भ में प्रोत्साहन योजनाओं की भी मांग की.

पटना: कैट बिहार चेयरमैन राजेश गुप्ता व अध्यक्ष अशोक कुमार वर्मा ने 'बजट इच्छा सूची' (Budget Expectations) जारी करते हुए कहा कि जीएसटी सबसे जटिल कराधान प्रणाली है. इस प्रणाली को सरल बनाने के लिए इसकी पूर्ण समीक्षा की आवश्यकता है. व्यापारियों द्वारा जिसका सरलता में अनुपालन किया जा सके और सरकार को अधिक राजस्व की प्राप्ति हो सके. देश का खुदरा व्यापार बड़ी संख्या में अधिनियमों और नियमों से भरा हुआ है. इनमें से कई कुछ दशक पुराने हैं. वर्तमान परिदृश्य में अपना महत्व खो चुके हैं. इसलिए ऐसे सभी अधिनियमों और नियमों की समीक्षा की तत्काल आवश्यकता है.

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एक लाइसेंस नीतिः राजेश गुप्ता (CAT Bihar Chairman Rajesh Gupta) व अध्यक्ष अशोक कुमार वर्मा (CAT Bihar President Ashok Kumar Verma) ने कहा है कि ऐसे नियम जो प्रासंगिकता खो चुके हैं उन्हें अवश्य निरस्त किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत में व्यापारियों को व्यावसायिक गतिविधियों के संचालन के लिए ढेर सारे लाइसेंस लेने पड़ते हैं. इसलिए वन नेशन-वन टैक्स की तर्ज पर सरकार की एक राष्ट्रीय-एक लाइसेंस नीति होनी चाहिए ताकि व्यापार में आसानी हो. पीएम मोदी ने इसकी काफी वकालत की है.

रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगेः दोनों व्यापारी नेताओं ने यह भी मांग की कि विशेष आर्थिक क्षेत्र की तरह, सरकार को सरकारी मंजूरी प्राप्त करने के लिए एक खिड़की की सुविधा के साथ गांवों के बाहरी इलाकों में विशेष व्यापार क्षेत्र स्थापित करना चाहिए. इस तरह के कदम से न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा बल्कि रोजगार के बड़े अवसर भी उपलब्ध होंगे.

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प्रोत्साहन योजनाओं की मांगः राजेश गुप्ता व अध्यक्ष अशोक कुमार वर्मा ने कहा कि उन्होंने यह भी कहा कि चेकों का अनादरण बहुत बढ़ गया है. चेकों की कोई पवित्रता नहीं है. वहीं व्यापारियों के बीच अक्सर भुगतान संबंधी विवाद होते हैं. अदालतों में इसके समाधान के लिए लंबा वक्त लगता है. इसलिए इस तरह के विवादों का त्वरित निवारण सुनिश्चित करने के लिए, फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन की बहुत जरूरत है. उन्होंने डिजिटल भुगतान के अधिक उपयोग के लिए व्यापारियों को कर भुगतान में छूट के संदर्भ में प्रोत्साहन योजनाओं की भी मांग की.

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