पटना: निगरानी अन्वेषण ब्यूरो (Vigilance Department) की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल कोरोना काल की तुलना में इस वर्ष घूस लेने के मामले में बढ़ोतरी हुई है. अब तक काम करने या करवाने के बदले रिश्वत (Bribe) लेने में लिपिक राजस्व कर्मचारी अभियंता और थानेदार सबसे अधिक आगे हैं. अगर इन सरकारी कर्मचारियों में तुलना की जाए तो विभिन्न विभागों में पदस्थापित विभिन्न वर्गों के लिपिक रिश्वत लेने के मामले में टॉप पर हैं. वहीं सरकारी कर्मचारी के अलावा जनप्रतिनिधि के रूप में कार्य करने वाले मुखिया भी पीछे नहीं हैं.
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निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 में बेगूसराय के मैदा बभनगामा पंचायत के मुखिया मनोज कुमार चौधरी को 10,000 रुपए घूस लेते गिरफ्तार किया गया था. वहीं पिछले साल कोरोना काल के दौरान भी चार मुखिया रिश्वत लेते पकड़े गए थे.
पूर्वी चंपारण की टिकुलिया पंचायत के मुखिया कामेश्वर डेढ़ लाख रुपए घूस लेते गिरफ्तार हुए थे. वहीं भोजपुर जिले की सरना पंचायत के मुखिया संजय कुमार सिंह 63,000 रुपए घूस लेते गिरफ्तार हुए थे. पश्चिम चंपारण की डूमरी मुराडीह पंचायत के मुखिया नरसिंह बैठा 16 हजार और सीतामढ़ी के राज मदनपुर के मुखिया लालबाबू पासवान 2 लाख रुपए रिश्वत लेते पकड़े जा चुके हैं.
निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की कार्रवाई की रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष रिश्वत लेने के मामले में पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष में अब तक कुल 32 मामलों में कार्रवाई की गई है. वहीं आगे और भी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है. इन मामलों में कुल 12,28,300 रुपए रिश्वत की राशि मौके से जब्त की गई है.
जबकि पिछले वर्ष करोना काल के दौरान महज 22 मामले ही दर्ज हुए थे और कार्रवाई भी की गई थी. इन मामलों में कुल 12,15,500 रुपए लेते लोग रंगे हाथ पकड़े गए थे. निगरानी अन्वेषण ब्यूरो द्वारा अब तक कुल 32 मामलों में ट्रैप केस के माध्यम से कार्रवाई की गई है. इसमें आधा दर्जन केवल विभिन्न वर्गों के लिपिक शामिल हैं.
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इसके अलावा तीन पुलिस अधिकारी, 3 राजस्व कर्मचारी और लगभग 5 विभिन्न वर्गों के सरकारी अभियंता पर रिश्वत लेने के आरोप में कार्रवाई की गई है. निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के अनुसार इन कर्मचारियों की रिश्वत लेने की राशि औसतन 10,000 से लेकर 2 लाख रुपए तक रही है.
बिहार में भ्रष्ट अफसर कर्मचारी इन दिनों नगद पर ज्यादा जोर दे रहे हैं. इस बात की जानकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ राज्य सरकार के चल रहे अभियान के दौरान पकड़े गए अफसरों की संपत्ति के ब्यौरा को देखकर पता चला है. निगरानी ने इस वर्ष अगस्त तक 6 कर्मियों के घर-दफ्तर में आय से अधिक संपत्ति मामले में छापेमारी की है. इनमें एक शिक्षक और एक राजस्व कर्मचारी, जबकि सभी अन्य अफसर हैं.
निगरानी ने इस वर्ष जिन 6 लोगों के पास आय से अधिक संपत्ति के मामले में छापेमारी की है, इनमें मात्र सीतामढ़ी के मोहनी मध्य विद्यालय के शिक्षक मोहम्मद युसूफ सिडकी के यहां 44,83,000 कैश मिला था. जबकि अन्य सभी अफसरों के पास से एक करोड़ से अधिक कैश बरामद की गई थी.
इस वर्ष सबसे अधिक कैश 27 मार्च को हाजीपुर के तत्कालीन राजस्व कर्मचारी और प्रभारी अंचल निरीक्षक कुमार मनीष और वैशाली के सराय निवासी मनीष कुमार की पत्नी मुन्नी कुमारी के यहां 9 करोड़ 70 लाख 32 हजार के करीब बरामद किया गया था. वहीं इस वर्ष 8 महीने में अफसरों और कर्मियों के पास से करीबन 16 करोड़ रुपए नगद बरामद किए गए हैं. पिछले वर्ष चार करोड़ रुपए कैश बरामद हुए थे.
बिहार में लगातार कुछ सरकारी कर्मियों द्वारा काम करने के एवज में घूस मांगे जाने के मामले में लगातार वृद्धि हो रही है. इस परंपरा को रोकने हेतु निगरानी विभाग द्वारा लगातार मिल रही शिकायतों पर कार्रवाई की जा रही है.
'राज्य सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति पर निगरानी विभाग कार्य कर रही है. घूस मांगना अपराध है. कोई घूस मांगता है तो जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए उन पर कार्रवाई की जाती है. निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने आम जनता से ईटीवी भारत के माध्यम से अपील की है कि अपना काम करवाने को लेकर कहीं भी किसी भी सरकारी कर्मचारी को घूस के रूप में पैसे ना दें. अगर कोई सरकारी कर्मचारी काम के घूस मांगता है तो निगरानी विभाग के नंबर 0612-2215344 एवं मोबाइल नंबर 7765953261 पर सूचित कर सकते हैं. किसी शिकायतकर्ता द्वारा अगर हमें शिकायत मिलती है तो सबसे पहले उसकी छानबीन की जाती है. छानबीन के उपरांत अगर सही पाया गया तब टीम गठित कर आरोपी पर कार्रवाई की जाती है. कई दफे आम आदमी द्वारा झूठा कंप्लेन भी किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ द्वेष की भावना को लेकर भी किया जाता है.' -मीनू कुमारी, एसपी, निगरानी अन्वेषण ब्यूरो
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