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घोषणाओं में ही खर्च उठाएगी सरकार: 7 घंटे घर में ही पड़ा रहा कोविड मरीज का शव - covid in bihar

पटना के धनरूआ प्रखंड के रसलपुर गांव में कोरोना पीड़ित मरीज का शव 7 घंटे तक उसके घर में ही पड़ा रहा. कई बार गुहार लगाने के बाद प्रशासन ने परिजनों को केवल तीन पीपीई किट देकर अपना पल्ला झाड़ लिया गया.

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Published : May 7, 2021, 9:24 AM IST

पटना: जिले के धनरूआ प्रखंड के रसलपुर गांव में 7 घंटे तक कोरोना पीड़ित मरीज का शव घर में ही रखा रहा मगर प्रशासन से किसी तरह की मदद नहीं मिली. चंद्रशेखर प्रसाद पिछले कई दिनों से घर पर ही आइसोलेट होकर उपचार करा रहा था. अचानक सांस लेने में दिक्कत के बाद उसकी मौत हो गई.

ये भी पढ़ें : नालंदा में कोरोना विस्फोट, 441 लोग पाए गए पाॅजिटिव

बिलखते रहे परिजन, कोई नहीं आया आगे
चंद्रशेखर की अचानक मौत के बाद गांव के लोगों में दहशत है. लोग घरों में ही कैद हो गए हैं. मृतक के घर परिजन समेत आस-पास के लोगों से ग्रामीणों ने दूरी बना ली है. मृतक की पत्नी और छोटे-छोटे बच्चे घंटों शव के पास रोते-बिलखते रहे फिर भी कोई आगे नहीं आया.

7 घंटे तक मृतक का शव ऐसे ही पड़ा रहा. परिजन स्थानीय प्रशासन से मदद की गुहार लगाते-लगाते थक गए. जिला परिषद सदस्य उर्मिला देवी के माध्यम से केवल तीन पीपीई किट मिला जिसके सहारे परिजनों ने पटना गुलबी घाट जाकर अंतिम संस्कार किया.

सिर्फ घोषणाओं में ही अंतिम संस्कार का खर्च उठाएगी सरकार
बिहार में सरकार ने घोषणा की थी कि कोविड मरीजों की मौत होने पर दाह संस्कार का खर्च सरकार उठेयागी. लेकिन जिस तरह चंद्रशेखर का शव 7 घंटे तक पड़े रहने के बाद भी प्रशासन ने सुध नहीं ली, इससे मालूम पड़ता है कि धरातल पर ऐसा कुछ भी नहीं है. घोषणाएं सिर्फ हवा-हवाई हैं.

पटना: जिले के धनरूआ प्रखंड के रसलपुर गांव में 7 घंटे तक कोरोना पीड़ित मरीज का शव घर में ही रखा रहा मगर प्रशासन से किसी तरह की मदद नहीं मिली. चंद्रशेखर प्रसाद पिछले कई दिनों से घर पर ही आइसोलेट होकर उपचार करा रहा था. अचानक सांस लेने में दिक्कत के बाद उसकी मौत हो गई.

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बिलखते रहे परिजन, कोई नहीं आया आगे
चंद्रशेखर की अचानक मौत के बाद गांव के लोगों में दहशत है. लोग घरों में ही कैद हो गए हैं. मृतक के घर परिजन समेत आस-पास के लोगों से ग्रामीणों ने दूरी बना ली है. मृतक की पत्नी और छोटे-छोटे बच्चे घंटों शव के पास रोते-बिलखते रहे फिर भी कोई आगे नहीं आया.

7 घंटे तक मृतक का शव ऐसे ही पड़ा रहा. परिजन स्थानीय प्रशासन से मदद की गुहार लगाते-लगाते थक गए. जिला परिषद सदस्य उर्मिला देवी के माध्यम से केवल तीन पीपीई किट मिला जिसके सहारे परिजनों ने पटना गुलबी घाट जाकर अंतिम संस्कार किया.

सिर्फ घोषणाओं में ही अंतिम संस्कार का खर्च उठाएगी सरकार
बिहार में सरकार ने घोषणा की थी कि कोविड मरीजों की मौत होने पर दाह संस्कार का खर्च सरकार उठेयागी. लेकिन जिस तरह चंद्रशेखर का शव 7 घंटे तक पड़े रहने के बाद भी प्रशासन ने सुध नहीं ली, इससे मालूम पड़ता है कि धरातल पर ऐसा कुछ भी नहीं है. घोषणाएं सिर्फ हवा-हवाई हैं.

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