पटना: कश्मीर (Kashmir) में आतंकी हमले में मारे गए बिहार (Bihar) के गोलगप्पा बेचने वाले अरविंद कुमार शाह का पार्थिव शरीर रविवार रात कश्मीर से पटना एयरपोर्ट (Patna Airport) लाया गया. बिहार के श्रम संसाधन मंत्री जीवेश मिश्रा (Labour Resources Minister Jivesh Mishra) मौके पर पहुंचकर मृतक के परिजनों से मिले और उन्हें सांत्वना दिया. मृतक के शव के साथ आए परिजनों ने कहा कि वहां के हालात ठीक नहीं हैं. आतंकवादी गिन-गिनकर बाहरी लोगों को निशाना बना रहे हैं.
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मृतक अरविंद कुमार साह के चचेरे भाई मिथिलेश कुमार साह ने कहा कि आतंकी आये और नाम पता पूछने के साथ ही गोली चला दी. जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गयी. मंत्री जीवेश मिश्रा ने कहा कि यह घटना निंदनीय है. हमारी सरकार परिजनों को जितनी सहायता होगी, देने की कोशिश करेगी. उन्होंने कहा कि कश्मीर में शांति बहाल हो चुकी थी, लेकिन फिर से आतंकवादियों ने इस तरह की घटना को अंजाम दिया है, इसका बदला लिया जाएगा.
मंत्री से जब पत्रकारों ने पूछा कि क्या भारत-पाकिस्तान के बीच मैच होना चाहिए तो उन्होंने कहा कि इस पर भारत सरकार को विचार करना चाहिए, क्योंकि हम लोग शांति बहाल करना चाहते हैं लेकिन पाकिस्तान कहीं ना कहीं कश्मीर में अशांति फैलाना चाहता है. मंत्री ने कहा कि आज भी बिहार के दो लोग मारे गए हैं. हम उनके प्रति भी अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं. हमारी सरकार मृतक के परिजनों को ज्यादा से ज्यादा सहायता देने का काम करेगी. उन्होंने कहा कि ऐसी घटना को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से बात की है.
बता दें कि शनिवार को बिहार के बांका (Banka) जिले के बाराहाट प्रखंड के परघड़ी गांव के रहने वाले अरविंद कुमार साह की श्रीनगर के ईदगाह क्षेत्र स्थित एक पार्क के बाहर आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. मृतक अरविंद वहां पिछले 15 वर्षों से ठेले पर गोलगप्पा बेचने का काम करता था. कोरोना काल में अरविंद लॉकडाउन की वजह से घर आ गया था. तीन माह पहले ही फिर से रोजी-रोटी की तलाश में जम्मू-कश्मीर गया था, जहां उसके साथ यह घटना हो गई.
वहीं, इससे पहले इसी महीने के 5 अक्टूबर को भागलपुर के जगदीशपुर के रहने वाले वीरेंद्र पासवान की श्रीनगर के लाल बाजार में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. वीरेंद्र वहां ठेला लगाकर रोजी रोटी कमाने का काम करता था. उसके पार्थिव शरीर का श्रीनगर में ही दाह संस्कार कर दिया गया था. वीरेंद्र को मुखाग्नि उसके छोटे भाई ने दी थी. बाद में अस्थि कलश को घर लाया गया था.
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