पटना: बिहार की राजधानी पटना (Patna) में विश्व रक्तदाता दिवस (World Blood Donor Day) के अवसर पर पटना के आईएएस भवन में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया.
बिहार आईएएस ऑफिसर एसोसिएशन, बिहार फॉरेस्ट ऑफिसर एसोसिएशन, बिहार आईएएस ऑफिसर वाइव्स एसोसिएशन और मां वैष्णो देवी समिति के तत्वाधान में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया.
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कई लोगों ने किया रक्तदान
बता दें कि इस विश्व रक्तदाता दिवस (World Blood Donor Day) के अवसर पर कई लोगों ने रक्तदान किया. रक्तदान शिविर का उद्घाटन राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष जीएस कंग (State Planning Commission Deputy Chairman GS Kang) ने किया. इस मौके पर बिहार सरकार के मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण, बिहार आईएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक कुमार सिंह, राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक अधिकारी मनोज कुमार मौजूद रहे. इस मौके पर मां वैष्णो देवी समिति के अध्यक्ष मुकेश हिसारिया भी अपने कार्यकर्ताओं के साथ मौजूद थे.
'14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर आज हमलोगों ने रक्तदान शिविर का आयोजन किया है. आज के रक्तदान शिविर का मकसद है कि ज्यादा से ज्यादा थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को रक्त देना. यानि आज जो रक्त कलेक्ट होगा, वह बिहार में जितने थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे हैं, उन्हें दी जाएगी. -दीपक कुमार सिंह, अध्यक्ष, आईएएस एसोसिएशन
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मुख्यमंत्री ने कराई व्यवस्था
दीपक कुमार सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) ने थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के इलाज को लेकर खुद व्यवस्था करवाई है. ऐसे बच्चों को राज्य सरकार अपने पैसे से इलाज के लिए भेजती है. जिसमें 3 से 6 लाख रुपये लगता है, जो राज्य सरकार वहन करती है. इसके साथ ही जो समस्या है, उसे मुख्य सचिव को अवगत कराया गया है.
'आज हमारे कार्यकर्ता बड़ी संख्या में ब्लड डोनेट कर रहे हैं. हम लोग थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चे, जिन्हें ब्लड की काफी आवश्यकता होती है उनके लिए ब्लड कलेक्ट किए हैं. इस कार्य में राज्य स्वास्थ्य समिति भी हमारी मदद की है.' -मुकेश हिसारिया, अध्यक्ष, मां वैष्णो देवी समिति
महादान है रक्तदान
ब्लड डोनेट (Blood Donate) करते समय डोनर के शरीर से केवल एक यूनिट ही ब्लड लिया जाता है और एक नॉर्मल व्यक्ति के शरीर में 10 यूनिट ब्लड उपलब्ध होता है. ओ नेगेटिव ब्लड ग्रुप को यूनिवर्सल डोनर (Universal Donor) कहा जाता है. क्योंकि किसी भी ब्लड ग्रुप के व्यक्ति को यह ब्लड दिया जा सकता है. भारत में लगभग 7% लोगों का ही ब्लड ग्रुप ओ नेगेटिव पाया जाता है. रक्तदान को महादान माना जाता है.
ब्लड बैंकों में खून की काफी किल्लत
कोरोना काल (Corona Pandemic) में रक्तदान में आई कमी की वजह से ब्लड बैंकों में खून की काफी किल्लत हो गई है. ऐसे में ब्लड बैंक चलाने वाले लोग लगातार ब्लड डोनेट करने की अपील भी कर रहे हैं. क्योंकि थैलेसीमिया और हीमोफीलिया के मरीजों को ब्लड उपलब्ध ना हो पाने की वजह से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
जानिए क्यों जरूरी है रक्तदान करना
पटना के इनकम टैक्स चौराहा स्थित न्यू गार्डिनर हॉस्पिटल में हीमोफीलिया का केंद्र है. यहां हीमोफीलिया के काफी मरीज आते हैं. न्यू गार्डिनर हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि थैलेसीमिया और हीमोफीलिया के मरीजों को खून की काफी जरूरत पड़ती है. हीमोफीलिया के केस में ब्लड का क्लॉटिंग होने लगता है.