पटना: बिहार में ब्लैक फंगस (Black Fungus) यानी म्यूकोरमाइकोसिस (Mucormycosis) के मामले आए दिन बढ़ते जा रहे हैं. निजी और सरकारी अस्पतालों में इन मरीजों की संख्या चिंताजनक रूप से बढ़ रही है. ब्लैक फंगस के कारण मरीजों की गंभीर हो रही हालत में डॉक्टरों को उनकी आंखें तक निकालनी पड़ रही हैं. इस घातक बीमारी के बढ़ते प्रकोप को लेकर सीएम नीतीश कुमार ने चिंता जताई है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ट्वीट कर लिखा- ''बिहार में ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है. स्वास्थ्य विभाग को सभी चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पतालों में इसके ईलाज के लिए आवश्यक व्यवस्था करने को कहा गया है. कोरोना से बचाव के लिए लगातार सावधानी जरूरी है.''
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बिहार में ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। स्वास्थ्य विभाग को सभी चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पतालों में इसके ईलाज के लिए आवश्यक व्यवस्था करने को कहा गया है। कोरोना से बचाव के लिए लगातार सावधानी जरूरी है।
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बिहार में ब्लैक फंगस के 400 से ज्यादा मामले
बिहार में ब्लैक फंगस यानी म्यूकोरमाइकोसिस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. राज्य में अब तक ब्लैक फंगस के करीब 400 से ज्यादा मामले सामने आए हैं. सभी मरीजों की जांच की गई है. इनमें अधिकतर मरीजों को दवा देकर घर पर ही रह कर इलाज कराने की सलाह दी गयी है. बिहार में ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य सरकार ने उसे महामारी घोषित कर दिया है.
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जानिए डॉक्टर से बचाव के सलाह
इस बीच, पटना स्थित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) के डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. अनिल कुमार का कहना है कि ब्लैक फंगस कोई नई बीमारी नहीं है. पहले भी यह बीमारी थी. उन्होंने कहा कि इससे डरने नहीं बल्कि सचेत और जागरूक होने की जरूरत है.
''यह फंगस पहले भी था लेकिन कोरोना काल में यह ज्यादा प्रचलित हुआ, क्योंकि अधिक स्टेरॉइड्स की दवा चलाई गई. उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन देने के वक्त सावधानियां नहीं बरती गई. ऑक्सीजन सिलेंडर का पाइप, मास्क और हयूमिड फायर का पानी प्रत्येक 24 घंटे में बदला जाना चाहिए.'' - डॉक्टर अनिल कुमार, टेलीमेडिसिन प्रमुख, एम्स
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ब्लैक फंगस से डरने की जरूरत नहीं : डॉक्टर
पटना एम्स के टेलीमेडिसिन प्रमुख डॉक्टर अनिल का मानना है कि कोरोना के भय के कारण बिना किसी डॉक्टर के सलाह के स्टेरॉयड लेना ब्लैक फंगस का कारण बन सकता है. कोरोना काल में संक्रमण के कारण अचानक से ऐसे मामले बढ़े हैं. इसमें शुगर हाई होना, स्टेरॉयड का हाईडोज लेना, बिना एक्सपर्ट की निगरानी के डेक्सोना जैसे स्टेरॉयड की हाई डोज लेना बड़ा कारण बन सकता है.
''इससे डरने की जरूरत नहीं है. जो लोग स्वस्थ होते हैं उन पर ये हमला नहीं कर सकता है. हम इस बीमारी को जितनी जल्दी पहचानेंगे इसका इलाज उतना ही सफल होगा. ब्लैक फंगस की रोक के लिए लोगों को शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने की जरूरत है. शुगर (मधुमेह) को नियंत्रित करने की जरूरत है और हमें स्टेरॉयड कब लेना है, इसके लिए सावधान रहना चाहिए. सफाई पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए.'' - डॉक्टर अनिल कुमार, टेलीमेडिसिन प्रमुख, एम्स
क्या है ब्लैक फंगस?
म्यूकरमाइकोसिस (एमएम) को ब्लैक फंगस के नाम से भी जानते हैं. म्यूकरमाइकोसिस एक बेहद दुर्लभ संक्रमण है. यह म्यूकर फफूंद के कारण होता है, जो आमतौर पर मिट्टी, पौधों में खाद, सड़े हुए फल और सब्जियों में पनपता है. यह फंगस साइनस दिमाग और फेफड़ों को प्रभावित करती है और डायबिटीज के मरीजों या बेहद कमजोर यूनिटी रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों (कैंसर या एचआईवी एड्स ग्रसित) के लिए यह जानलेवा भी हो सकती है. अभी के दौर में कोरोना से उबर चुके मरीजों पर इसका असर देखा जा रहा है.
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