पटनाः राजद सुप्रीमो लालू यादव के खिलाफ कार्रवाई (Action against Lalu Yadav) को लेकर महागठबंधन के नेताओं में आक्रोश है. महागठबंधन के नेताओं ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया है. हालांकि इस पत्र पर सीएम नीतीश कुमार का हस्ताक्षर नहीं है, जिससे बिहार की राजनीति में चर्चा का दौर शुरू हो गया है. इस मामले में भाजपा प्रवक्ता प्रेमरंजन पटेल ने सीएम नीतीश कुमार पर तंज कसा है. उन्होंने कहा कि सीएम नीतीश कुमार अपनी छवि बचाने के लिए पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किया है.
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"आज फिर से नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ हैं, लेकिन अपनी छवि बचाने के लिए इस तरह के पत्र पर उन्होंने हस्ताक्षर नहीं किया, क्योंकि उन्हें डर लग रहा था कि जो पत्र लिख रहे हैं, वह ज्यादातर वैसे लोगों के द्वारा लिखे लिखे जा रहे हैं, जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं. कहीं ना कहीं अपनी छवि बचाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उस पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किया है." - प्रेम रंजन पटेल, बीजेपी प्रवक्ता
जो भी पत्र लिखे हैं, वे भ्रष्ट हैंः प्रेम ने कहा कि जो लोग पत्र को लिखे हैं, वह भ्रष्टाचार के आरोपी हैं. उन पर कई मामले पहले से चल रहे हैं. इस को लेकर कार्रवाई भी इन नेताओं पर पहले की गई है. उस समय में यह लोग सत्ता में थे. उन्हें याद नहीं आया कि आगे क्या कुछ होने वाला है. देश में केंद्रीय जांच एजेंसी भी है, जो दूध का दूध और पानी का पानी कर देती है. एजेंसिया उसी के पास जाती है, जब तक कोई मामला नहीं होता है. पहले कभी देखा है कि किसी भी आम आदमी के पास सीबीआई रेड डालने जाती है.
नीतीश के साथ साथ हस्ताक्षर नहीं किएः कई ने जो लोग कह रहे हैं कि भाजपा केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है, वह पूरी तरह से गलत है. सिर्फ नीतीश कुमार ही नहीं बल्कि नवीन पटनायक, मायावती सहित कई ऐसे नेता है जो हस्ताक्षर नहीं किए हैं. नीतीश कुमार जब एक बार महागठबंधन से अलग हुए थे तो उन्होंने तेजस्वी यादव को कहा था कि जो आरोप उन पर लगे हैं, वह अपनी बात को कहें, लेकिन उस समय भी तेजस्वी यादव अपनी बात को नहीं कह पाए थे.