पटना : पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री के इशारे पर बिहार शिक्षा विभाग लगातार ऐसे आदेश जारी कर रहा है, जिनसे स्कूली शिक्षक ही नहीं, कॉलेज-विश्वविद्यालय के शिक्षकों तक के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन हो रहा है और वे अपमानित अनुभव कर रहे हैं.
'बिहार सरकार का रवैया तानाशाही' : बीजेपी सांसद मोदी ने कहा कि शिक्षा विभाग के तानाशाही रवैये के विरुद्ध शिक्षक संगठनों के सामने आंदोलन करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है.
नीतीश कुमार ने जिन्हें शिक्षा विभाग का अपर मुख्य सचिव (एसीएस) बनाया है, वे किसी भी विभाग में एक साल से अधिक नहीं टिके. उनके इस विभाग से भी जाने का समय आ गया है. उन्होंने शिक्षा मंत्री का ऐसा अपमान किया कि वे 26 दिन तक कार्यालय नहीं गए.
''शिक्षा विभाग के अफसरों का मन इतना बढ़ गया है कि अब वे विश्वविद्यालय शिक्षकों के संगठन "फूटा" के महासचिव और कॉलेज शिक्षक-सह- विधान परिषद सदस्य संजय कुमार सिंह के बयान देने पर उनका वेतन रोकने का आदेश जारी कर रहे हैं. ऐसे आदेश बिना नीतीश कुमार की सहमति के जारी नहीं हो सकते.''- सुशील मोदी, पूर्व उप मुख्यमंत्री, बिहार
'बिहार सरकार के पास वेतन देने के पैसे नहीं' : सुशील मोदी ने कहा कि सरकार के पास शिक्षकों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं, इसलिए नित नए आदेश जारी कर शिक्षकों को परेशान किया जा रहा है, ताकि वे खुद ही नौकरी छोड़ दें. शिक्षकों को सामूहिक नियुक्ति पत्र देकर सरकार ने केवल अपनी ब्रांडिंग का मकसद पूरा किया, उसे शिक्षकों की कोई चिंता नहीं. शिक्षा विभाग अपनी सीमा का अतिक्रमण कर विश्वविद्यालय शिक्षकों से स्कूल टीचर की तरह काम लेना चाहता है. इसलिए प्रतिदिन पांच क्लास न लेने पर वेतन और पेंशन रोकने का आदेश दिया गया है. विश्वविद्यालय शिक्षकों के संगठन " फूटा " ने ऐसे आदेश वापस न लेने पर आंदोलन की बात कही है.
ये भी पढ़ें-
- शिक्षा विभाग के फरमानों के खिलाफ बोलने वाले टीचर्स पर कार्रवाई शुरू, शिक्षक संघ ने दिया 3 दिन का अल्टीमेटम
- '8 घंटे स्कूल का काम करने के बाद अतिरिक्त चुनावी ड्यूटी संभव नहीं', शिक्षक संघ ने किया कार्रवाई का विरोध
- शिक्षकों के संघ नहीं बनाने के आदेश पर भड़के BJP MLC, कहा- 'मुख्यमंत्री इसे हटा दें, वरना ईंट से ईंट बजा देंगे'