पटना : बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने जातीय सर्वे को लेकर बिहार सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा है कि राज्य में जातीय सर्वे के नाम पर अतिपिछड़ों की हकमारी की गई. सरकार-समर्थक समूहों की संख्या वास्तविकता से बहुत अधिक दिखाई गई. सुशील मोदी ने चुनौती देते हुए कहा है कि अगर सरकार को हिम्मत है तो सर्वे के वार्ड और पंचायत वार आंकड़े पेश करके दिखाए.
सुशील मोदी ने मांगा वार्डवार और पंचायत वार ब्यौरा : सुशील मोदी ने कहा कि ''यदि नीतीश सरकार में हिम्मत है तो वह शहरों के वार्ड-वार और गांवों के पंचायत-वार जातीय आंकड़े तुरंत विधानसभा में पेश करें. जातीय सर्वे में एक जाति विशेष और एक अल्पसंखयक वर्ग की संख्या को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने का गृह मंत्री अमित शाह का आरोप सही है. वैश्य, धानुक, नोनिया, चंद्रवंशी, निषाद सहित दो दर्जन से अधिक जातियाँ सर्वे रिपोर्ट आने के बाद अपमानित और छला हुआ महसूस कर रही हैं.''
जातीय सर्वे में गड़बड़ी : उन्होंने कहा कि कई अतिपिछड़ी जातियां धरना-प्रदर्शन कर अपना विरोध प्रकट कर चुकी हैं. यदि सर्वे में गड़बड़ी नहीं होती तो अतिपिछड़ी जातियों की आबादी 36 फीसद से ज्यादा होती. यदि बार्ड और पंचायत के जातीय आंकड़े सामने आयें, तो हम सब-कुछ प्रमाणित कर देंगे.
'लालू के दबाव में सर्वे रिपोर्ट' : को बताया बता दें कि अमित शाह मुजफ्फरपुर के दौरे पर आए थे उन्होंने किसान रैली को संबोधित करते हुए नीतीश की जातीय सर्वे रिपोर्ट को छलावा करार दिया और आरोप लगाया कि आरजेडी चीफ लालू यादव के दबाव में यादवों और मुसलमानों की संख्या बढ़ाकर अति पिछड़ी जातियों के साथ गलत किया गया है. शाह के इस आरोप के बाद तेजस्वी यादव ने भी सफाई दी और शाह को दो टूक कहा कि अगर उन्हें जातीय सर्वे रिपोर्ट गलत नजर आती है तो वो केंद्र से इसकी गणना करवा लें.
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