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Bihar Caste Survey: 'जातीय गणना करवाकर अपने ही जाल में फंस गए CM नीतीश', ऐसा क्यों बोले रूडी?

जब से बिहार में जाति आधारित सर्वे की रिपोर्ट (Bihar Caste Survey) सामने आई है, तब से विपक्ष महागठबंधन की सरकार पर हमलावर है. अब बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूढ़ी ने कहा कि जातीय गणना करवा कर नीतीश खुद जाल में फंस गए है. लोग पूछेंगे कि आखिर 33 साल में बड़े भाई और छोटे भाई के शासन काल में चार करोड़ बिहारी ने बिहार क्यों छोड़ा?

बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी
बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 4, 2023, 9:47 PM IST

बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी

पटना: बिहार के सारण से बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि जातियों की गिनता करवाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद ही जाल में फंस गए हैं. उन्होंने कहा कि पिछले 33 साल से बड़े भाई और छोटे भाई का शासन काल बिहार में रहा है. इस दौरान 4 करोड़ से ज्यादा बिहार के लोग दूसरे राज्य में जाकर बस गए हैं, यानी बिहार छोड़ चुके हैं. रूडी ने कहा कि यह बात सब लोग जानते हैं कि किस परिस्थिति में लोगों का पलायन हुआ है. इसका जवाब लालू यादव और नीतीश कुमार को देना होगा.

ये भी पढ़ें: Bihar Caste Survey : 'मेरे घर तो कोई आया ही नहीं'.. जातीय गणना रिपोर्ट पर रविशंकर प्रसाद ने उठाए सवाल, कहा- 'फिर कैसा सर्वे?'

"किस आधार पर सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाएगा. क्या यह जाति का आधार बनाकर सरकारी योजनाओं का लाभ लोगों को देना चाहते हैं, हमारे समझ से सब कुछ राजनीति करने के लिए हुआ है. सरकार तो 33 साल से लालू यादव और नीतीश कुमार ने ही चलाया है तो फिर बताना चाहिए कि किस परिस्थिति के कारण बिहारी बिहार छोड़कर अन्य प्रदेश में जा बसे हैं"- राजीव प्रताप रूडी, सांसद, बीजेपी

किस आधार पर योजनाओं का बंटवारा होगा: राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि जाति आधारित गणना में जिस जाति की संख्या बहुत ज्यादा बताई गई है और जिसकी जितनी भागीदारी उसकी उतनी हिस्सेदारी की बात कही जा रही है तो आप खुद बताइए कि क्या इसके हिसाब से अगर वह काम करेंगे तो अल्पसंख्यकों को उसका हक मिलेगा? बीजेपी सांसद ने कहा कि बिहार में 201 जातियों की संख्या बहुत कम है. क्या उसे बिहार में रहने का हक नहीं है. क्या उसे सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिलेगा.

जातीय गणना के आधार पर भेद पैदा करने की कोशिश: बीजेपी सांसद ने कहा कि जिस तरह से जातीय गणना कराकर विभेद उत्पन्न करने की कोशिश की है, यह चालाकी इनकी नहीं चलने वाली है. उन्होंने कहा कि जो बात उनके नेता बोल रहे हैं या जो महागठबंधन के लोग बोल रहे हैं, उससे कहीं भी कभी भी समाज के सभी वर्गों का कल्याण नहीं होगा. रुडी ने कहा कि आखिर सत्ता पक्ष के नेता यह क्यों कह रहे हैं कि हमने जातीय गणना लोगों की आर्थिक स्थिति को देखने के लिए करवाया है, जबकि आर्थिक सर्वे इन्होंने जारी नहीं की है.

बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी

पटना: बिहार के सारण से बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि जातियों की गिनता करवाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद ही जाल में फंस गए हैं. उन्होंने कहा कि पिछले 33 साल से बड़े भाई और छोटे भाई का शासन काल बिहार में रहा है. इस दौरान 4 करोड़ से ज्यादा बिहार के लोग दूसरे राज्य में जाकर बस गए हैं, यानी बिहार छोड़ चुके हैं. रूडी ने कहा कि यह बात सब लोग जानते हैं कि किस परिस्थिति में लोगों का पलायन हुआ है. इसका जवाब लालू यादव और नीतीश कुमार को देना होगा.

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"किस आधार पर सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाएगा. क्या यह जाति का आधार बनाकर सरकारी योजनाओं का लाभ लोगों को देना चाहते हैं, हमारे समझ से सब कुछ राजनीति करने के लिए हुआ है. सरकार तो 33 साल से लालू यादव और नीतीश कुमार ने ही चलाया है तो फिर बताना चाहिए कि किस परिस्थिति के कारण बिहारी बिहार छोड़कर अन्य प्रदेश में जा बसे हैं"- राजीव प्रताप रूडी, सांसद, बीजेपी

किस आधार पर योजनाओं का बंटवारा होगा: राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि जाति आधारित गणना में जिस जाति की संख्या बहुत ज्यादा बताई गई है और जिसकी जितनी भागीदारी उसकी उतनी हिस्सेदारी की बात कही जा रही है तो आप खुद बताइए कि क्या इसके हिसाब से अगर वह काम करेंगे तो अल्पसंख्यकों को उसका हक मिलेगा? बीजेपी सांसद ने कहा कि बिहार में 201 जातियों की संख्या बहुत कम है. क्या उसे बिहार में रहने का हक नहीं है. क्या उसे सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिलेगा.

जातीय गणना के आधार पर भेद पैदा करने की कोशिश: बीजेपी सांसद ने कहा कि जिस तरह से जातीय गणना कराकर विभेद उत्पन्न करने की कोशिश की है, यह चालाकी इनकी नहीं चलने वाली है. उन्होंने कहा कि जो बात उनके नेता बोल रहे हैं या जो महागठबंधन के लोग बोल रहे हैं, उससे कहीं भी कभी भी समाज के सभी वर्गों का कल्याण नहीं होगा. रुडी ने कहा कि आखिर सत्ता पक्ष के नेता यह क्यों कह रहे हैं कि हमने जातीय गणना लोगों की आर्थिक स्थिति को देखने के लिए करवाया है, जबकि आर्थिक सर्वे इन्होंने जारी नहीं की है.

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