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BJP Foundation Day: 43 साल की हुई बिहार भाजपा, पार्टी ने तय किया शून्य से शिखर तक की यात्रा

बिहार की राजनीति में भाजपा कदम दर कदम आगे बढ़ रही है. 1980 में चुनावी राजनीति में कदम रखने के बाद भाजपा ने कई उतार-चढ़ाव देखे. खास बात यह है कि भाजपा की सीटें तो कम और ज्यादा होती रहीं, लेकिन वोट प्रतिशत में इजाफा होता रहा. हाल के दिनों में हुए कई चुनाव और उपचुनाव में भाजपा को अकेले 40% से अधिक वोट हासिल हुए.

43 साल की हुई बिहार भाजपा
43 साल की हुई बिहार भाजपा
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Published : Apr 6, 2023, 10:18 AM IST

Updated : Apr 6, 2023, 12:27 PM IST

पटनाः बिहार में भारतीय जनता पार्टी की यात्रा अप्रैल 1980 से शुरू हुई थी, बीजेपी ने संघर्ष की सीढ़ियों पर चढ़ते हुए ऊंचाई हासिल की है, बिहार में कुछ समय पहले भाजपा को सबसे बड़ी पार्टी होने का गौरव भी हासिल हो चुका है. भाजपा ने 1980 में ही चुनावी राजनीति में कदम रखा. अगले ही विधानसभा चुनाव में पार्टी को 8.41 प्रतिशत वोट हासिल हुए पार्टी ने 246 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे जिसमें कि 21 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. कुल 324 सीट वाली विधानसभा में उस समय बिहार झारखंड एक ही थे.

ये भी पढ़ेंः BJP Foundation Day: BJP स्थापना दिवस पर बिहार में कार्यक्रम, प्रदेश मुख्यालय में सम्राट चौधरी करेंगे ध्वजारोहण

1985 के विधानसभा चुनाव में 16 उम्मीदवार जीतेः भारतीय जनता पार्टी ने 1985 में दूसरे चुनाव में हिस्सा लिया, हालांकि इस बार पार्टी के वोट शेयर में कमी आई, 7.54 प्रतिशत वोट मिले और 5 सीटों का भी नुकसान हुआ. पार्टी ने 234 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे जिसमें कि 16 उम्मीदवार चुनाव जीतने में कामयाब हुए. साल 1990 का चुनाव महत्वपूर्ण था इसी समय लालू प्रसाद यादव की एंट्री बिहार की सत्ता में हुई थी. भाजपा के लिहाज से अगर बात कर ले तो भाजपा कोई 11.17% वोट इस चुनाव में मिले. पार्टी ने 237 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे इस बार पार्टी को 23 सीटों का फायदा हुआ कुल 39 विधायक जीत कर आए.

पार्टी ने तय किया शून्य से शिखर तक की यात्रा
पार्टी ने तय किया शून्य से शिखर तक की यात्रा

2000 के विधानसभा चुनाव में 26 सीटों का फायदाः इसके बाद 1995 के चुनाव में भाजपा को 2 सीटों का फायदा हुआ. वोट प्रतिशत में भी इजाफा देखा गया. कुल 12.96% वोट मिले और पार्टी ने 315 में से 41 सीटों पर जीत हासिल की. वहीं, 2000 के विधानसभा चुनाव में भाजपा हांलाकि कम सीटों पर लड़ी लेकिन जीत अधिक सीटों पर मिली और वोट प्रतिशत में भी जबरदस्त इजाफा हुआ. 2000 के चुनाव में भाजपा को 14.6 4% वोट मिले पार्टी ने 168 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए जिसमें कि 67 विधायक चुनाव जीतने में कामयाब हुए, कुल 26 सीटों का फायदा हुआ.

2005 में 18 सीटें अधिक मिलीं वोट प्रतिशत कम हुआः 2005 के चुनाव में पार्टी को फिर वोट प्रतिशत कम हासिल हुआ. 10.97% वोट भाजपा को हासिल हुए. 103 सीटों पर भाजपा ने उम्मीदवार खड़े किए जिसमें पार्टी के 37 विधायक चुनाव जीते इस बार 30 सीटों का नुकसान देखा गया. साल 2005 में एक और चुनाव हुए जिसमें कि भाजपा ने 102 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए और पार्टी के 55 विधायक जीते. इस चुनाव में पार्टी को 18 सीटें अधिक मिली और वोट प्रतिशत में भी उछाल आया. कुल 15.65% वोट भाजपा को हासिल हुए. 2010 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 102 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए जिसमें पार्टी के 91 विधायक चुनाव जीते. विधानसभा में पार्टी का यह सबसे बेहतर प्रदर्शन था. आंकड़ों के हिसाब से पार्टी का स्ट्राइक रेट भी सबसे बेहतर रहा था वोट प्रतिशत कि अगर बात कर ले तो भाजपा को 2010 के चुनाव में 16.5% वोट हासिल हुए.

पार्टी ने तय किया शून्य से शिखर तक की यात्रा
पार्टी ने तय किया शून्य से शिखर तक की यात्रा

2020 के विधानसभा चुनाव में 21 सीटों का फायदा ः इसके बाद 2015 का चुनाव महत्वपूर्ण था. नीतीश कुमार भाजपा को छोड़ महागठबंधन में शामिल हो चुके थे. भाजपा ने कुल 157 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे, जिसमें कि पार्टी के मात्र 53 विधायक जीतने में कामयाब हुए. भाजपा को 38 सीटों का नुकसान हुआ. हालांकि वोट प्रतिशत में जरूर इजाफा हुआ कुल 24.42% वोट पार्टी को मिले. 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 110 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए जिसमें कि 74 विधायक चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे. इस बार वोट प्रतिशत में कमी आई कुल 19.46% वोट भाजपा को हासिल हुए. पार्टी को 21 सीटों का फायदा हुआ.

बिहार में इन दिनों शिखर पर भाजपाः वर्तमान में बिहार भाजपा शिखर पर दिखाई दे रही है. भारतीय जनता पार्टी कि आज की तारीख में विधानसभा में 243 में 78 विधायक हैं तो 22 की संख्या में विधान पार्षद भी हैं. बात अगर लोकसभा की कर लें तो बिहार में भाजपा के 40 में 17 सांसद हैं राज्य के अंदर 16 राज्यसभा की सीटें हैं जिसमें 4 पर भाजपा का कब्जा है. फिलहाल भाजपा की नजर मिशन 2024 और 2025 पर है. अमित शाह जेपी नड्डा और पीएम मोदी की नजर बिहार पर है. उपचुनाव के नतीजों ने भाजपा को उत्साहित किया है बीजेपी अब बिहार में भविष्य की सियासत एकला चलो की राह पर करना चाहती है. हालांकि छोटे दलों के साथ से भाजपा को परहेज नहीं है.

पटनाः बिहार में भारतीय जनता पार्टी की यात्रा अप्रैल 1980 से शुरू हुई थी, बीजेपी ने संघर्ष की सीढ़ियों पर चढ़ते हुए ऊंचाई हासिल की है, बिहार में कुछ समय पहले भाजपा को सबसे बड़ी पार्टी होने का गौरव भी हासिल हो चुका है. भाजपा ने 1980 में ही चुनावी राजनीति में कदम रखा. अगले ही विधानसभा चुनाव में पार्टी को 8.41 प्रतिशत वोट हासिल हुए पार्टी ने 246 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे जिसमें कि 21 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. कुल 324 सीट वाली विधानसभा में उस समय बिहार झारखंड एक ही थे.

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1985 के विधानसभा चुनाव में 16 उम्मीदवार जीतेः भारतीय जनता पार्टी ने 1985 में दूसरे चुनाव में हिस्सा लिया, हालांकि इस बार पार्टी के वोट शेयर में कमी आई, 7.54 प्रतिशत वोट मिले और 5 सीटों का भी नुकसान हुआ. पार्टी ने 234 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे जिसमें कि 16 उम्मीदवार चुनाव जीतने में कामयाब हुए. साल 1990 का चुनाव महत्वपूर्ण था इसी समय लालू प्रसाद यादव की एंट्री बिहार की सत्ता में हुई थी. भाजपा के लिहाज से अगर बात कर ले तो भाजपा कोई 11.17% वोट इस चुनाव में मिले. पार्टी ने 237 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे इस बार पार्टी को 23 सीटों का फायदा हुआ कुल 39 विधायक जीत कर आए.

पार्टी ने तय किया शून्य से शिखर तक की यात्रा
पार्टी ने तय किया शून्य से शिखर तक की यात्रा

2000 के विधानसभा चुनाव में 26 सीटों का फायदाः इसके बाद 1995 के चुनाव में भाजपा को 2 सीटों का फायदा हुआ. वोट प्रतिशत में भी इजाफा देखा गया. कुल 12.96% वोट मिले और पार्टी ने 315 में से 41 सीटों पर जीत हासिल की. वहीं, 2000 के विधानसभा चुनाव में भाजपा हांलाकि कम सीटों पर लड़ी लेकिन जीत अधिक सीटों पर मिली और वोट प्रतिशत में भी जबरदस्त इजाफा हुआ. 2000 के चुनाव में भाजपा को 14.6 4% वोट मिले पार्टी ने 168 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए जिसमें कि 67 विधायक चुनाव जीतने में कामयाब हुए, कुल 26 सीटों का फायदा हुआ.

2005 में 18 सीटें अधिक मिलीं वोट प्रतिशत कम हुआः 2005 के चुनाव में पार्टी को फिर वोट प्रतिशत कम हासिल हुआ. 10.97% वोट भाजपा को हासिल हुए. 103 सीटों पर भाजपा ने उम्मीदवार खड़े किए जिसमें पार्टी के 37 विधायक चुनाव जीते इस बार 30 सीटों का नुकसान देखा गया. साल 2005 में एक और चुनाव हुए जिसमें कि भाजपा ने 102 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए और पार्टी के 55 विधायक जीते. इस चुनाव में पार्टी को 18 सीटें अधिक मिली और वोट प्रतिशत में भी उछाल आया. कुल 15.65% वोट भाजपा को हासिल हुए. 2010 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 102 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए जिसमें पार्टी के 91 विधायक चुनाव जीते. विधानसभा में पार्टी का यह सबसे बेहतर प्रदर्शन था. आंकड़ों के हिसाब से पार्टी का स्ट्राइक रेट भी सबसे बेहतर रहा था वोट प्रतिशत कि अगर बात कर ले तो भाजपा को 2010 के चुनाव में 16.5% वोट हासिल हुए.

पार्टी ने तय किया शून्य से शिखर तक की यात्रा
पार्टी ने तय किया शून्य से शिखर तक की यात्रा

2020 के विधानसभा चुनाव में 21 सीटों का फायदा ः इसके बाद 2015 का चुनाव महत्वपूर्ण था. नीतीश कुमार भाजपा को छोड़ महागठबंधन में शामिल हो चुके थे. भाजपा ने कुल 157 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे, जिसमें कि पार्टी के मात्र 53 विधायक जीतने में कामयाब हुए. भाजपा को 38 सीटों का नुकसान हुआ. हालांकि वोट प्रतिशत में जरूर इजाफा हुआ कुल 24.42% वोट पार्टी को मिले. 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 110 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए जिसमें कि 74 विधायक चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे. इस बार वोट प्रतिशत में कमी आई कुल 19.46% वोट भाजपा को हासिल हुए. पार्टी को 21 सीटों का फायदा हुआ.

बिहार में इन दिनों शिखर पर भाजपाः वर्तमान में बिहार भाजपा शिखर पर दिखाई दे रही है. भारतीय जनता पार्टी कि आज की तारीख में विधानसभा में 243 में 78 विधायक हैं तो 22 की संख्या में विधान पार्षद भी हैं. बात अगर लोकसभा की कर लें तो बिहार में भाजपा के 40 में 17 सांसद हैं राज्य के अंदर 16 राज्यसभा की सीटें हैं जिसमें 4 पर भाजपा का कब्जा है. फिलहाल भाजपा की नजर मिशन 2024 और 2025 पर है. अमित शाह जेपी नड्डा और पीएम मोदी की नजर बिहार पर है. उपचुनाव के नतीजों ने भाजपा को उत्साहित किया है बीजेपी अब बिहार में भविष्य की सियासत एकला चलो की राह पर करना चाहती है. हालांकि छोटे दलों के साथ से भाजपा को परहेज नहीं है.

Last Updated : Apr 6, 2023, 12:27 PM IST
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