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विपक्ष से ज्यादा BJP कर रही अपनी सरकार को परेशान, अफसरों की मनमानी के खिलाफ खोल रखा है मोर्चा

बिहार सरकार में बीजेपी के विधायक से लेकर मंत्री तक अधिकारियों की मनमानी को लेकर लगातार सरकार को कटघरे में खड़ा करते रहे हैं. हाल में विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा (Bihar Assembly Speaker Vijay Kumar Sinha) ने भी अधिकारियों के रवैए पर नाराजगी जताई और चेतावनी भी दे दी है. वहीं, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भी लगातार सवाल उठाते रहते हैं. जो काम विपक्ष को करना चाहिए वो बिहार में बीजेपी (BJP is in role of opposition in Bihar government) करती दिख रही है. पढ़ें ये रिपोर्ट..

बिहार में विपक्ष की भूमिका में बीजेपी
बिहार में विपक्ष की भूमिका में बीजेपी
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Published : Feb 13, 2022, 10:53 PM IST

पटना: बिहार में एनडीए सरकार में जदयू, बीजेपी, हम और वीआईपी चार दल शामिल हैं. 2020 विधानसभा चुनाव में जदयू तीसरे नंबर की पार्टी बनी थी, लेकिन उसके बावजूद बीजेपी ने एनडीए में सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी नीतीश कुमार को फिर से मुख्यमंत्री बनाया है. लेकिन, सरकार में रहते हुए भी बीजेपी के विधायक से लेकर मंत्री तक लगातार सरकार की परेशानी बढ़ा रहे हैं. बीजेपी के विधायक और मंत्री खुलकर बोलने लगे हैं कि अधिकारी सुनते नहीं हैं. झंझारपुर के विधायक नीतीश मिश्रा ने तो धरना देने की भी बात कह दी थी. विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा ने भी इस मामले में मोर्चा खोल दिया है. कार्रवाई नहीं होने पर चेतावनी भी दी है.

ये भी पढ़ें- विरूपुर थाना प्रभारी पर भड़के विजय सिन्हा, कहा- 'सुशासन में कुशासन नहीं करेंगे बर्दाश्त'

बिहार एनडीए में कई मुद्दों पर जेडीयू और बीजेपी आमने सामने (JDU and BJP face to face) हैं. अब सूबे की पुलिस की कार्यशैली पर भी बीजेपी के नेताओं ने सवाल उठाना शुरू कर दिया है. शीतकालीन सत्र में बीजेपी मंत्री जीवेश मिश्रा ने अधिकारियों के रवैए पर जमकर हंगामा किया था. इससे भी बढ़कर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल (BJP State President Sanjay Jaiswal) लगातार अधिकारियों के रवैए पर अपनी नाराजगी जताते रहे हैं. सरकार के कामकाज पर भी सवाल उठाते रहे हैं. कुल मिलाकर देखें तो जो काम विपक्ष को करना चाहिए एनडीए सरकार में बीजेपी करती दिख रही है.

राजनीतिक विशेषज्ञ प्रोफेसर अजय झा का कहना है कि ''बीजेपी नेताओं के रवैए से साफ दिख रहा है कि तेजस्वी यादव की नीतीश कुमार को फिलहाल जरूरत नहीं है, क्योंकि विपक्ष का काम बीजेपी के नेता कर रहे हैं.''

वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का भी कहना है कि ''सरकार में शामिल घटक दल जब सरकार को कटघरे में खड़ा करेगी तो निश्चित रूप से सवाल खड़े होंगे. पहले के कार्यकाल में नीतीश के खिलाफ इस तरह की स्थिति देखने को नहीं मिलती थी. बीजेपी के नेता मौन व्रत धारण किए रहते थे. इसका मतलब साफ है कि नीतीश कमजोर हुए हैं.''

जदयू प्रवक्ता निखिल मंडल का कहना है कि ''सरकार में शामिल कोई भी घटक दल यदि सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश करेगा तो उन्हें समझना होगा कि जिम्मेदार केवल जदयू नहीं वह भी हैं. बेहतर होगा कि सही प्लेटफॉर्म पर बातों को रखें, मुख्यमंत्री जरूर निदान निकालेंगे. पहले भी कई अधिकारियों पर कार्रवाई हुई है.''

बता दें कि ऐसे तो नीतीश सरकार को लेकर शुरू से यह आरोप लगते रहे हैं कि अधिकारियों की मनमानी होती है. जनप्रतिनिधियों की बात अधिकारी सुनते नहीं हैं, लेकिन पहले नीतीश कुमार के डर से घटक दल के नेता कुछ भी बोलने से बचते थे. 2020 में नीतीश कुमार चुनाव में कमजोर हुए हैं और इसलिए बीजेपी के नेता अब खुलकर हमलावर हैं. किसी मामले में भी सरकार को कटघरे में भी खड़ा करने से चुकते नहीं हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि नीतीश कुमार कुछ नहीं करेंगे.

ये भी पढ़ें- विजय सिन्हा के बाद संजय जायसवाल ने पुलिसिया कार्यशैली पर उठाए सवाल, कहा- लखीसराय में पुलिस की कार्रवाई गलत

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पटना: बिहार में एनडीए सरकार में जदयू, बीजेपी, हम और वीआईपी चार दल शामिल हैं. 2020 विधानसभा चुनाव में जदयू तीसरे नंबर की पार्टी बनी थी, लेकिन उसके बावजूद बीजेपी ने एनडीए में सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी नीतीश कुमार को फिर से मुख्यमंत्री बनाया है. लेकिन, सरकार में रहते हुए भी बीजेपी के विधायक से लेकर मंत्री तक लगातार सरकार की परेशानी बढ़ा रहे हैं. बीजेपी के विधायक और मंत्री खुलकर बोलने लगे हैं कि अधिकारी सुनते नहीं हैं. झंझारपुर के विधायक नीतीश मिश्रा ने तो धरना देने की भी बात कह दी थी. विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा ने भी इस मामले में मोर्चा खोल दिया है. कार्रवाई नहीं होने पर चेतावनी भी दी है.

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बिहार एनडीए में कई मुद्दों पर जेडीयू और बीजेपी आमने सामने (JDU and BJP face to face) हैं. अब सूबे की पुलिस की कार्यशैली पर भी बीजेपी के नेताओं ने सवाल उठाना शुरू कर दिया है. शीतकालीन सत्र में बीजेपी मंत्री जीवेश मिश्रा ने अधिकारियों के रवैए पर जमकर हंगामा किया था. इससे भी बढ़कर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल (BJP State President Sanjay Jaiswal) लगातार अधिकारियों के रवैए पर अपनी नाराजगी जताते रहे हैं. सरकार के कामकाज पर भी सवाल उठाते रहे हैं. कुल मिलाकर देखें तो जो काम विपक्ष को करना चाहिए एनडीए सरकार में बीजेपी करती दिख रही है.

राजनीतिक विशेषज्ञ प्रोफेसर अजय झा का कहना है कि ''बीजेपी नेताओं के रवैए से साफ दिख रहा है कि तेजस्वी यादव की नीतीश कुमार को फिलहाल जरूरत नहीं है, क्योंकि विपक्ष का काम बीजेपी के नेता कर रहे हैं.''

वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का भी कहना है कि ''सरकार में शामिल घटक दल जब सरकार को कटघरे में खड़ा करेगी तो निश्चित रूप से सवाल खड़े होंगे. पहले के कार्यकाल में नीतीश के खिलाफ इस तरह की स्थिति देखने को नहीं मिलती थी. बीजेपी के नेता मौन व्रत धारण किए रहते थे. इसका मतलब साफ है कि नीतीश कमजोर हुए हैं.''

जदयू प्रवक्ता निखिल मंडल का कहना है कि ''सरकार में शामिल कोई भी घटक दल यदि सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश करेगा तो उन्हें समझना होगा कि जिम्मेदार केवल जदयू नहीं वह भी हैं. बेहतर होगा कि सही प्लेटफॉर्म पर बातों को रखें, मुख्यमंत्री जरूर निदान निकालेंगे. पहले भी कई अधिकारियों पर कार्रवाई हुई है.''

बता दें कि ऐसे तो नीतीश सरकार को लेकर शुरू से यह आरोप लगते रहे हैं कि अधिकारियों की मनमानी होती है. जनप्रतिनिधियों की बात अधिकारी सुनते नहीं हैं, लेकिन पहले नीतीश कुमार के डर से घटक दल के नेता कुछ भी बोलने से बचते थे. 2020 में नीतीश कुमार चुनाव में कमजोर हुए हैं और इसलिए बीजेपी के नेता अब खुलकर हमलावर हैं. किसी मामले में भी सरकार को कटघरे में भी खड़ा करने से चुकते नहीं हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि नीतीश कुमार कुछ नहीं करेंगे.

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