पटना: लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2024) में अभी एक साल से अधिक की देरी हैं, लेकिन बीजेपी ने देश भर में ऐसी 160 सीटों को चिन्हित किया है, जिसमे पार्टी खुद को कमजोर पाती है. इन सीटों में बिहार की 10 सीटों की पहचान (Bihar 10 weak Lok Sabha seats ) की गई है. ये सभी 10 लोकसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां पार्टी खुद को कमजोर महसूस करती है. इन सीटों पर या तो बीजेपी की हार हुई या फिर पार्टी ने चुनाव नहीं लड़ा. अभी से बीजेपी की तैयारी पूरी है, पार्टी ने सभी 10 लोकसभा क्षेत्र में विस्तारक नियुक्त किए (BJP deploys vistaraks in Bihar) हैं.
ये भी पढ़ें: मिशन 2024 की तैयारी में जुटी बीजेपी : बिहार में नीतीश बेअसर या असरदार? बड़ी चुनौती के लिए कौन तैयार
बिहार की 10 लोकसभा सीटों पर BJP की नजर : बिहार की बात करें तो बीजेपी ने लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Chunav 2024) में बिहार की 10 कमजोर सीट की पहचान किशनगंज, नवादा, गया, झंझारपुर, कटिहार, मुंगेर, पूर्णिया, सुपौल, वैशाली, वाल्मीकिनगर के रूप में की है. बताया जाता है पार्टी भले ही 10 सीटों को चिन्हित किया है लेकिन कम से कम पार्टी की नजर 20 लोकसभा सीटों पर है.
जेपी नड्डा का संदेश, 'मिशन 2024 में जुट जाएं' : बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा (BJP national president JP Nadda) ने बिहार के वैशाली में कार्यकर्ता सम्मेलन में साफ तौर पर संदेश दे दिया है कि अगला लोकसभा चुनाव के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी जाए. बीजेपी के नेताओं की मानें तो बीजेपी पिछले चुनाव की तरह विस्तारकों को क्षेत्र में खुद के कान, नाक के तौर पर तैनाती शुरू कर दी है.
'हम सब एक ऐसी यात्रा में निकल पड़े हैं, जिसका लक्ष्य भारत को परम वैभव दिलाना है. इस यात्रा में आपकी पीठ थपथपाई या कोई शाबाशी दे या उपेक्षा करें, आपको प्रसन्न होने या विचलित होने की जरूरत नहीं है. आज आप विस्तारक हैं, कल प्रदेश के अध्यक्ष भी हो सकते हैं. यह भारतीय जनता पार्टी में ही संभव है. आप पीएम नरेंद्र मोदी जी द्वारा किए गए लोक कल्याणकारी योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने का काम करें.' - जेपी नड्डा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, बीजेपी
कैसे काम करेंगे विस्तारक : पार्टी ने हर लोकसभा क्षेत्र में सात विस्तारक तैनात किये जा चुके हैं. इनमें एक लोकसभा क्षेत्र का प्रभारी है जबकि 6 विस्तारकों को उस लोकसभा के तहत आनेवाले विधानसभा क्षेत्रों का दायित्व सौंपा गया है. विस्तारकों के साथ ही मंडल अध्यक्ष और सभी बूथों पर पन्ना प्रमुखों को सामंजस्य बैठकर कर प्रचार-प्रसार आरंभ कर है. विस्तारक पार्टी की कान, आंख बनकर काम करेंगे. बीजेपी ने एक रणनीति के तहत केंद्रीय मंत्रियों को भी कलस्टर प्रभारी बना कर कार्यकतार्ओं के बीच अभी से ही उतार दिया है, जबकि लोकसभा क्षेत्रों के लिए संयोजक भी बनाकर जमीनी हकीकत जानने समझने की योजना बनाई है.
कौन हैं विस्तारक : विस्तारक ऐसे कार्यकर्ता होते हैं, जो सालों से बीजेपी या आरएसएस में काम कर रहे हैं. ये बूथ लेवल या यूं कहे बूथ को मजबूत करने का काम करते है. बिहार में मिशन 2014 के लिए इन्हीं विस्तारकों को काम सौंपा गया है और ये संगठन के लिए काम करेंगे. पार्टी का कहना है कि इन्हे पार्ट की विचारधारा को आगे बढ़ाना है और नरेंद्र मोदी सरकार की विकास योजनाओं को लोगों तक पहुंचाना और उसके साथ ही उसकी जमीनी सच्चाई फीडबैक देना है. बीजेपी उन सीटों पर भी विशेष ध्यान दे रही है जहां से सहयोगी दल अब तक विजयी होते रहे हैं.
''बीजेपी रिजल्ट आने के बाद से ही फिर से चुनाव तैयारी में लग जाती है. लेकिन, जनता पर हम लोगों को भरोसा है. क्योंकि जनता नीतीश कुमार के काम पर विश्वास करती है. इसलिए चुनौती हम लोगों के लिए नहीं बीजेपी के लिए है. महागठबंधन की ताकत के सामने एक 2 सीट भी बचा ले यही बीजेपी के लिए बड़ी बात होगी'' - परिमल राजा, प्रवक्ता जेडीयू
नड्डा का प्लान, ऐसे जीतेंगे बिहार: बीजेपी के एक नेता ने नड्डा द्वारा लोकसभा चुनाव की तैयारी का आगाज वैशाली से करने के संबंध में बताते हैं कि बीजेपी इस सीट पर 1994 के बाद से चुनाव नहीं लड़ी है. इसी तरह नालंदा और जहानाबाद सीट से बीजेपी 1991 के बाद प्रत्याशी नहीं उतारी है. सीतामढ़ी सीट पर बीजेपी 1998 से अपने प्रत्याशी नहीं उतारे है.
2014 और 2019 लोकसभा चुनाव पर एक नजर: दरअसल, 2014 के चुनाव में बीजेपी नीतीश कुमार से अलग होकर चुनाव लड़ी थी और पार्टी को 22 सीटों पर जीत हासिल हुई थी जबकि 30 सीटों पर बीजेपी ने उम्मीदवार खड़े किए थे. सीमांचल के इलाके में बीजेपी 2014 में उपस्थिति दर्ज नहीं करा सकी थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और जेडीयू ने 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ा था और रामविलास पासवान की एलजेपी 6 सीटों पर लड़ी थी. इसमें नीतीश कुमार की पार्टी एक सीट हारी थी. बाकी 40 में से सभी 39 सीटों पर बीजेपी गठबंधन का कब्जा हुआ था. लेकिन जेडीयू के अलग होने से समीकरण बदल चुका है.
'बीजेपी के लिए सीमांचल बड़ी चुनौती है और रैली के जरिए राष्ट्रीय स्तर पर ध्रुवीकरण की राजनीति को धार दी जाएगी. संभव है कि सीमांचल के रैली से सीएए, एनआरसी, बांग्लादेशी घुसपैठ और रोहिंग्या का मुद्दा उछाला जा सकता है.' - कौशलेंद्र प्रियदर्शी, वरिष्ठ पत्रकार
बीजेपी के मुकाबले महागठबंधन की तैयारी? : बीजेपी के मुकाबले महागठबंधन की क्या तैयारी है? ना तो इसका जवाब जेडीयू नेता के पास है और ना ही आरजेडी के पास. महागठबंधन के सातों दलों के साथ एकजुटता बनाए रखना भी सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक होगा. सातों दलों के साथ लोकसभा सीट का बंटवारा आसान नहीं होगा. मुख्यमंत्री ने पूरे देश में विपक्ष को एकजुट करने का अभियान बिहार विधानसभा के बजट सत्र के बाद शुरू करने की बात कही है. लेकिन, बीजेपी नीतीश कुमार को बिहार में ही घेरने में लगी है. ऐसे में भले ही महागठबंधन की तरफ से 40 सीट जीतने का दावा किया जा रहा है लेकिन नीतीश कुमार के लिए बिहार में 16 लोकसभा सीट और कांग्रेस को 1 सीट बचाए रखना बड़ी चुनौती होगी.