पटना: बिहार के राजनेताओं को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections 2022) का इंतजार है. यूपी चुनाव के बाद बीजेपी कोटे के मंत्रियों के भाग्य का फैसला (BJP Quota Ministers in Bihar) होना है. पार्टी और संगठन के स्तर पर मंत्रियों के परफॉर्मेंस का आंकलन किया जा रहा है. अपने परफॉर्मेंस को बेहतर साबित करने के लिए मंत्री रिपोर्ट कार्ड लेकर जनता के बीच जा रहे हैं. एक साल पूरे होने पर मंत्री रिपोर्ट कार्ड पेश कर रहे हैं. खासकर बीजेपी कोटे के मंत्रियों में रिपोर्ट कार्ड पेश करने को लेकर होड़ मची है.
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बिहार में अब तक बीजेपी कोटे के तीन मंत्रियों ने रिपोर्ट कार्ड पेश किया है. उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन, पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन और पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने अपने कार्यों का लेखा-जोखा पेश किया है. बीजेपी कोटे के नीतीश कैबिनेट में 16 मंत्री हैं. इन मंत्रियों के पास अहम जिम्मेदारी है. पार्टी और सरकार के स्तर पर मंत्रियों के परफॉर्मेंस का आंकलन कराया जा रहा है. संभव है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद मंत्रियों के विभाग में फेरबदल होगा.
चर्चा है कि परफॉर्मिंग मंत्री कैबिनेट का हिस्सा बने रहेंगे लेकिन जो परफॉर्मिंग नहीं हैं, उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है. भारतीय जनता पार्टी परफॉर्मेंस के आधार पर मंत्रियों के भाग्य का फैसला करती है. केंद्र में दो बार फेरबदल किया जा चुका है और अब बारी बिहार की है. बीजेपी प्रवक्ता विनोद शर्मा ने कहा है कि पार्टी में मंत्रियों और नेताओं के परफॉर्मेंस का आंकलन बराबर किया जाता है. तमाम मंत्री काम कर रहे हैं और पार्टी की नजर सभी पर है. जाहिर तौर पर समय-समय पर पार्टी परफॉर्मेंस के आधार पर फेरबदल करती है.
आरजेडी के प्रधान महासचिव आलोक मेहता ने कहा है कि बिहार में भले ही सरकार डबल इंजन की है लेकिन दोनों इंजन अलग-अलग दिशाओं में चल रही है. बीजेपी कोटे के मंत्री रिपोर्ट कार्ड पेश कर रहे हैं लेकिन नीतीश कुमार को पूरे सरकार का रिपोर्ट कार्ड पेश करना चाहिए.
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वहीं, राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार का मानना है कि यूपी चुनाव के बाद बीजेपी कुछ बड़े फैसले लेगी (BJP Can Take Big Decision in Bihar). दूसरी पीढ़ी की लीडरशिप को लेकर पार्टी ने कुछ लोगों को जरूर मौका दिया था, ऐसे में उनके परफॉर्मेंस का आंकलन किया जा रहा है. उसी आधार पर फैसला लिया जाएगा. जो बेहतर काम करेंगे, वह मंत्रिमंडल में रहेंगे और जो बेहतर काम नहीं करेंगे उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर किया जा सकता है.
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