पटना: बिहार की राजनीति में दलित वोट बैंक का बड़ा महत्व है. राज्य में 16% से अधिक वोट दलितों का है. चिराग पासवान और जीतन राम मांझी बिहार के दो बड़े दलित नेता हैं. कुछ दिन पहले तक जीतन राम मांझी महागठबंधन का हिस्सा थे तो चिराग पासवान एनडीए के साथ थे. बदली परिस्थितियों में जीतन राम मांझी ने महागठबंधन का साथ छोड़ दिया है. चिराग पासवान पहले से ही नीतीश कुमार के एंटी हैं. फिर भी महागठबंधन के नेताओं को दलित वोट मिलने की उम्मीद है.
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"महागठबंधन में अब कोई बड़ा दलित नेता नहीं रह गया है. चिराग पासवान ने पहले ही महागठबंधन से दूरी बना रखी थी और अब जीतन राम मांझी ने भी महागठबंधन को बाय-बाय कह दिया है"- निखिल आनंद, भाजपा प्रवक्ता
नीतीश से आर-पार की लड़ाईः दोनों नेताओं ने अब तक औपचारिक रूप से किसी गठबंधन में जाने का फैसला नहीं लिया है, लेकिन फिर भी दावों का दौर जारी है. चिराग पासवान कई मौकों पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साथ प्रेम छलका तो रहे हैं. उपचुनाव में भी चिराग पासवान ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का साथ दिया था. अब जीतन राम मांझी ने भी नीतीश कुमार से आर-पार की लड़ाई छेड़ दी है.
केंद्र सरकार दलित विरोधी हैः राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा है कि केंद्र की भाजपा सरकार दलित विरोधी है. दलितों के लिए चल रही योजनाओं की राशि रोक रही है. जीतन राम मांझी ने भी पाला बदलकर दलितों के हितों का नुकसान किया है. दलितों का वोट महागठबंधन के साथ है. राजद नेता ने कहा कि भाजपा ने दलित नेताओं को 12वां खिलाड़ी बना दिया है. जो लोग भी वहां गए हैं या जाने वाले हैं उन्हें कुछ हासिल होने वाला नहीं है.
दलितों को बांटकर राज करने की राजनीतिः भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि नीतीश कुमार की राजनीति दलितों को दो भाग में बांटकर राज करने की है. इस बार दलित समुदाय के लोग नीतीश कुमार को पहचान चुके हैं और चुनाव में नीतीश कुमार को सबक सिखाने का काम करेंगे.