पटना: कोरोना महामारी की पहली लहर के कारण जिन उद्योगों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ, उनमें होटल, टूरिज्म और ट्रैवल उद्योग शामिल हैं. सबसे ज्यादा नुकसान राज्य के टूरिज्म इंडस्ट्री को हुआ. लोगों के घर से बाहर न निकलने और लॉकडाउन की वजह से इस इंडस्ट्री का बुरा हाल हो गया. वहीं, कोरोना की पहली लहर खत्म होने के बाद धीरे-धीरे इसमें कुछ सुधार हुआ था. लोगों ने यात्राएं शुरू की थी, लेकिन संक्रमण की दूसरी लहर और लॉकडाउन ने इसकी यह रफ्तार भी रोक दी.
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पर्यटकों की संख्या 17 फीसदी रह गई
दरअसल, राज्य में वर्ष 2019 की तुलना में वर्ष 2020 में पर्यटकों की कुल संख्या महज 17 फीसदी रह गई. पर्यटन विभाग के अधिकारी स्वीकार करते हैं कि अगर परिस्थितियां अच्छी रही और सामान्य जीवन की तरफ हम लौटते हैं, तभी सेक्टर भी भलेगा. हालांकि इसके पहले लोगों को खुद सामान्य होना होगा, इसके बाद अपने परिवार को, अपनी नौकरी, अपने आने-जाने की व्यवस्था और तमाम अन्य व्यवस्था दुरुस्त करेंगे, उसके बाद ही कहीं घूमने की सोचेंगे.
राजधानी के पर्यटन स्थलों का हाल
सामान्य दिनों में पटना के गोलघर में हर दिन करीब 1000 पर्यटक आते हैं. इसके अलावा मंगल तालाब लाइट एंड लेजर शो, गंगा नदी की सैर करने वाले पर्यटक, बुद्ध स्मृति पार्क, कुम्हरार ऐतिहासिक पार्क, बिहार म्यूजियम, पटना म्यूजियम, पटना जू, इको पार्क और सभ्यता द्वार समेत अन्य टूरिस्ट प्लेस पर पर्यटकों की आवाजाही लगातार होने से टूरिस्ट प्लेस के आसपास के इलाके में होटल, रेस्टोरेंट, फुटपाथ दुकानदार, ऑटो चालक, टैक्सी चालक से लेकर बड़ी आबादी इस पर आश्रित होती है. अब लॉकडाउन होने से सारी गतिविधियों बंद हो चुकी हैं.
आश्रित लोगों की आजीविका बंद
पिछला पूरा साल लॉकडाउन की वजह से बंद रहा और इस बार एक बार फिर अप्रैल महीने से ही सभी प्रमुख पर्यटन स्थलों पर ताला लटका है. जिससे हजारों की संख्या में टूरिज्म इंडस्ट्री पर आश्रित लोगों की आजीविका बंद है. वहीं टूरिस्ट प्लेस से होने वाली सरकार की कमाई भी बंद हो गई. पर्यटन निगम के मुताबिक बिहार में टूरिज्म सेक्टर से सरकार को होने वाली कमाई का एक बड़ा हिस्सा राजगीर में रोपवे पर हर दिन करीब 2500 से 3000 पर्यटकों के विजिट से आता है.
बोधगया में भी नहीं आ रहे पर्यटक
इनके अलावा बोधगया में आनेवाले पर्यटक पिछले एक डेढ़ साल से लगभग नहीं के बराबर आ रहे हैं. वही चंपारण के मशहूर वाल्मिकी टाइगर रिजर्व में लॉकडाउन की वजह से स्थानीय व्यवसाय पर बड़ा असर पड़ा है. जिससे ना सिर्फ सरकार को आय होती है बल्कि इन जगहों के आसपास के लोग बड़ी संख्या में पर्यटकों की आवाजाही से अपना रोजगार चलाते हैं.
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ट्रैवल एजेंटों को काफी नुकसान
'वह हर साल कम से कम 4 से 5 बार बिहार या देश के अन्य जगहों पर कभी अपनी फैमिली तो कभी अपने मित्रों के साथ छुट्टियां बिताने जाते थे, लेकिन पिछले डेढ़ साल से वे कहीं नहीं निकले हैं. अप्रैल महीने से एक बार फिर वह वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं.' : संभव कुमार, निजी कंपनी के अधिकारी
'जनवरी और फरवरी महीने में कुछ स्थिति सुधरी थी, लेकिन अप्रैल महीने से एक बार फिर लॉकडाउन और कर्फ्यू की वजह से सब कुछ बंद पड़ा है.' : राकेश कुमार, ट्रैवल एजेंट