पटना: बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Bihar State Pollution Control Board) ने प्रदेश के 6 जिलों के 1800 से अधिक स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों को बायो मेडिकल वेस्ट के निष्पादन के नियमों का पालन नहीं करने को लेकर प्रीक्लोजर नोटिस (preclosure notices to 1800 health centers) भेजा है. इसमें पटना जिला के सबसे अधिक स्वास्थ्य केंद्र और अस्पताल शामिल है. इसके अलावा भोजपुर, बक्सर, नालंदा, रोहतास और कैमूर जिला के स्वास्थ्य केंद्र और अस्पताल शामिल हैं. कई बार रिमाइंडर भेजे जाने के बाद भी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों ने अपने यहां बायो मेडिकल वेस्ट के निष्पादन को लेकर जो जरूरी प्रक्रिया है, उसको नहीं अपनाई. जिसके बाद प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने इतना कड़ा निर्णय लिया है. प्रीक्लोजर नोटिस के माध्यम से 15 दिनों का समय दिया गया है कि वह अपने यहां बायो मेडिकल वेस्ट के निष्पादन को लेकर जो जरूरी प्रक्रिया है, उसे अपना ले या फिर इसे अपनाने में क्या कठिनाई है उसके बारे में उन्हें लिखित जानकारी दें.
ये भी पढ़ें: हो जाइये सावधान! फूड चेन में आ चुका है माइक्रोप्लास्टिक, सेहत के लिए बजी खतरे की घंटी
1800 स्वास्थ्य केंद्रों को प्रीक्लोजर नोटिस: बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष अशोक कुमार घोष ने बताया कि स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों को बायो मेडिकल वेस्ट के सही निष्पादन के लिए जो जरूरी प्रक्रिया है, उसे अपनाना बेहद जरूरी है. यह लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ भी सवाल है और इस मुद्दे पर बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड काफी गंभीर है. स्वास्थ्य के लिए बायो मेडिकल वेस्ट बहुत हानिकारक है और किसी भी स्वास्थ्य केंद्र से बायो मेडिकल वेस्ट निकलते हैं तो उसमें बहुत सारे कीटाणु और जीवाणु होते हैं. इससे कई प्रकार की संक्रामक बीमारियों को फैलने का खतरा होता है.
बायो मेडिकल वेस्ट नियमों का पालन नहीं करने पर एक्शन: अशोक कुमार घोष ने बताया कि इसके लिए नियम है कि कोई भी हॉस्पिटल चाहे बड़ा हो या छोटा या कोई पैथोलॉजी लैब उसे पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से ऑथराइजेशन लेना होता है. उसके लिए जरूरी है कि वह अपने यहां के बायो मेडिकल वेस्ट के प्रॉपर डिस्पोजल के लिए टाइअप करें सेंट्रलाइज इंसीग्रेशन फैसिलिटी से. यह बिहार में चार जगह है, पटना मुजफ्फरपुर भागलपुर और गया. इसका काम होता है कि यह अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों से बायो मेडिकल वेस्ट इकट्ठा करेगा और उसे प्रॉपर तरीका से इंसिग्रेट करेगा ताकि वह संक्रमण ना फैला पाए. इस करार के बाद ही राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड अस्पतालों को ऑथराइज करता है.
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष ने बताया कि प्रदेश के बड़े अस्पतालों ने तो यह करार कर लिया है लेकिन अभी भी छोटे हॉस्पिटल और पैथोलॉजी सेंटर 10000 से अधिक की संख्या में प्रदेश में है, जो यह करार नहीं किए हैं और अपने यहां के बायो मेडिकल वेस्ट के प्रॉपर ट्रीटमेंट को लेकर ध्यान नहीं देते. उन्होंने कहा कि ऐसे अस्पतालों को अखबारों में विज्ञापन देकर अलर्ट किया गया कि जल्दी से अपने संस्थान को बायो मेडिकल वेस्ट के प्रॉपर ट्रीटमेंट को लेकर प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से ऑथराइज करा लें. कई केंद्रों ने यह करा लिया लेकिन अभी भी कई सारे ऐसे हैं जो लापरवाह बने हुए हैं.
"लापहवाही बरतने वाले स्वास्थ्य केंद्रों को चिन्हित करके वह अपने हस्ताक्षर से 1-1 अस्पताल को और पैथोलॉजी सेंटर को प्रीक्लोजर नोटिस भेज रहे हैं. 15 दिन का उन्हें समय दिया गया है कि वह बायो मेडिकल वेस्ट के निष्पादन का प्रॉपर तरीका अपना लें, अन्यथा ऐसे स्वास्थ्य केंद्रों के यहां वाटर सप्लाई बंद की जाएगी, बिजली बोर्ड को पत्र लिखकर ऐसे केंद्रों की बिजली सप्लाई बंद कराई जाएगी, ऑल जिला प्रशासन द्वारा ऐसे अस्पतालों को पूरी तरह बंद भी कराया जा सकता है"- अशोक कुमार घोष, अध्यक्ष, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
अशोक कुमार घोष ने कहा कि अस्पताल में लोग बीमारी के इलाज के लिए आते हैं और यही के कचरा से लोग अगर फिर से बीमार पड़ रहे हैं तो यह गलत है. यह चेन की बीमार पड़ने के बाद अस्पताल गए और अस्पताल में इलाज कराने गए परिजन बीमार हुए हैं, वह फिर से अपना इलाज कराने अस्पताल गए इससे अस्पताल का बिजनेस तो फलेगा फूलेगा लेकिन यह बिहार के लोगों के हित में नहीं होगा और यह व्यवस्था वह नहीं चलने देंगे. अस्पताल संचालकों और पैथोलॉजी सेंटर को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए. उनका प्रयास होना चाहिए कि उनके यहां के गंदगी के माध्यम से समाज का कोई भी व्यक्ति बीमार ना पड़े और इसके लिए बायो मेडिकल वेस्ट का निष्पादन सही तरीका से जरूरी है.