पटना: राजधानी पटना के बोरिंग रोड स्थित मीन भवन में बिहार राज्य मत्स्य जीवी सहकारी संघ (Bihar State Fisheries Cooperative Federation) की ओर से प्रेस वार्ता की गई. जहां संघ के निदेशक ऋषिकेश कश्यप ने कहा कि राज्य के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग और सहकारिता विभाग प्रखंड स्तरीय मछुआ समितियों के लिए ऑनलाइन सदस्यता अभियान चला रही है, ऐसे में उनकी मांग है कि सरकार द्वारा सदस्यता अभियान शुरू करने से पहले परंपरागत मछुआरों की सूची अविलंब जारी की जाए. उन्होंने कहा कि संगठन की मांग लंबे समय से है. जिस पर सरकार कोई संज्ञान नहीं ले रही है.
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परंपरागत मछुआरों की सूची जारी करने की मांग: ऋषिकेश कश्यप ने कहा कि पूर्व के वर्षों में देखे तो परंपरागत मछुआरों की सूची में गैर मछुआरा जाति के सदस्यों को शामिल किया गया है और अब राज्य के कई मछुआ समितियों में तो गैर मछुआरों की सदस्यता 50 प्रतिशत से भी अधिक हो गई है. ऐसे में संघ सरकार से आग्रह करता है कि बिना परंपरागत मछुआरों की सूची जारी किए बिना ऑनलाइन सदस्यता अभियान नहीं चलाया जाए.
बिहार राज्य मत्स्य जीवी सहकारी संघ करेगी प्रदर्शन: बिहार राज्य मत्स्य जीवी सहकारी संघ के प्रबंध निदेशक ने कहा कि अगर विभाग संगठन के आग्रह पर ध्यान नहीं देता है तो भविष्य में लोकतांत्रिक कदम के माध्यम से विरोध प्रदर्शन करने के लिए उन्हें विवश होना पड़ेगा और मछुआरे पटना की सड़कों पर प्रदर्शन करते नजर आएंगे. उन्होंने कहा कि इस संबंध में हाईकोर्ट ने भी सरकार को पूर्व में निर्देश दे दिया है कि परंपरागत मछुआरों की सूची जारी की जाए.
जीविका दीदी को सरकार दे रही तालाब: बिहार राज्य मत्स्य जीवी सहकारी संघ के प्रबंध निदेशक ऋषिकेश कश्यप ने कहा कि कोऑपरेटिव सोसाइटी का उद्देश्य है कि भूमिहीन मछुआरों को जलकर का आवंटन किया जाए और यह आजादी के पूर्व से चला आ रहा है. उसमें सरकार अब हकमारी कर रही है. जो तालाब मछुआरों के साथ बंदोबस्त था उसे जीविका दीदी को सरकार द्वारा दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सूचना के अधिकार से उन्होंने जो जानकारी प्राप्त की है उसके अनुसार 5000 तालाबों को जीविका दीदी को दिया गया है. जो मछुआरे पहले रोजगार प्राप्त किए हुए थे. उनसे सरकार रोजगार छीन रही है. जल जीवन हरियाली के तहत तालाब के पुनर्विकास के बाद जीविका दीदी को सरकार दे रही है.
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