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सुस्त है बिहार राज्य फिल्म विकास निगम, फिल्मकारों के लिए अब तक नहीं हो पाया कोई काम

जानकारी के मुताबिक फिल्म विकास निगम बिहार में क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्मों और एक फिल्म सिटी के सपने को लेकर स्थापित किया गया था. लेकिन, फिल्म विकास निगम पूरी तरह फेल नजर आ रहा है.

जानकारों ने रखी राय
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Published : Dec 13, 2019, 6:10 PM IST

पटना: बिहार राज्य फिल्म विकास निगम का दफ्तर पटना के गांधी मैदान के पास मॉरिसन बिल्डिंग में चल रहा है. ईटीवी भारत की टीम जब यहां पहुंची तो सलाहकार के साथ इक्के-दुक्के लोग ही यहां नजर आए. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर बिहार में बॉलीवुड फिल्मों और क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों के निर्माण के लिए फिल्म विकास निगम क्या कर रहा है?

जानकारी के मुताबिक फिल्म विकास निगम बिहार में क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्मों और एक फिल्म सिटी के सपने को लेकर स्थापित किया गया था. इसका उद्देश्य था कि फिल्मकारों को बिहार में शूटिंग के लिए आकर्षित किया जाए. उन्हें फिल्म बनाने से जुड़ी हर सुविधा प्रदान की जाए ताकि स्थानीय स्तर पर फिल्म और फिल्म से जुड़े अन्य विभागों का एक माहौल स्थापित हो. लेकिन, फिल्म विकास निगम पूरी तरह फेल नजर आ रहा है.

PATNA
बिहार में हो रही फिल्म की शूटिंग

फिल्म निर्माताओं की पूरी नहीं हुई उम्मीद
कलाकारों और फिल्मकारों का कहना है कि कहीं ना कहीं फिल्म विकास निगम अपने उद्देश्य में पिछड़ रहा है. फिल्म निर्माता प्रणव प्रताप शाही कहते हैं कि सालों से निगम सुस्त पड़ा हुआ है. कोई खास आयोजन भी नहीं किया जा रहा है. पटना में फिल्म फेस्टिवल कराने की योजना भी फ्लॉप साबित हुई.

ईटीवी भारत संवाददाता अमित वर्मा की रिपोर्ट

'सुविधाएं हैं केवल सरकार को देना होगा ध्यान'
वहीं, फिल्म समीक्षक विनोद अनुपम कहते हैं कि सरकार जिस तरह पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रही है अगर उसी तरह इस दिशा में भी काम हो तो फायदा दिखेगा. उनका कहना है कि पर्यटन के साथ-साथ शूटिंग साइट्स को भी बढ़ावा दिया जाए. सुविधाएं जैसे की गांव और शहर बिहार में हैं केवल सरकार उनका विकास करें तो फिल्म निर्माण को बढ़ावा जरूर मिलेगा.

ये भी पढ़ें: बिहार में 14 जेल सुपरिटेंडेंट का हुआ ट्रांसफर

शायद अगले साल होगा कुछ अच्छा...
पूरे मामले पर बिहार राज्य फिल्म विकास निगम के परामर्शी डीके सिंह भी यह स्वीकार करते हैं कि जो उद्देश्य था वह अब तक पूरा नहीं हुआ. लेकिन, उन्होंने ये दावा जरूर किया कि इस दिशा में लगातार प्रयास हो रहे हैं. फिल्म सिटी के लिए राजगीर में 20 एकड़ जमीन का अधिग्रहण हो चुका है. हालांकि यह कब तक फिल्म सिटी का आकार लेगा, इसपर कुछ नहीं कहा जा सकता.

पटना: बिहार राज्य फिल्म विकास निगम का दफ्तर पटना के गांधी मैदान के पास मॉरिसन बिल्डिंग में चल रहा है. ईटीवी भारत की टीम जब यहां पहुंची तो सलाहकार के साथ इक्के-दुक्के लोग ही यहां नजर आए. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर बिहार में बॉलीवुड फिल्मों और क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों के निर्माण के लिए फिल्म विकास निगम क्या कर रहा है?

जानकारी के मुताबिक फिल्म विकास निगम बिहार में क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्मों और एक फिल्म सिटी के सपने को लेकर स्थापित किया गया था. इसका उद्देश्य था कि फिल्मकारों को बिहार में शूटिंग के लिए आकर्षित किया जाए. उन्हें फिल्म बनाने से जुड़ी हर सुविधा प्रदान की जाए ताकि स्थानीय स्तर पर फिल्म और फिल्म से जुड़े अन्य विभागों का एक माहौल स्थापित हो. लेकिन, फिल्म विकास निगम पूरी तरह फेल नजर आ रहा है.

PATNA
बिहार में हो रही फिल्म की शूटिंग

फिल्म निर्माताओं की पूरी नहीं हुई उम्मीद
कलाकारों और फिल्मकारों का कहना है कि कहीं ना कहीं फिल्म विकास निगम अपने उद्देश्य में पिछड़ रहा है. फिल्म निर्माता प्रणव प्रताप शाही कहते हैं कि सालों से निगम सुस्त पड़ा हुआ है. कोई खास आयोजन भी नहीं किया जा रहा है. पटना में फिल्म फेस्टिवल कराने की योजना भी फ्लॉप साबित हुई.

ईटीवी भारत संवाददाता अमित वर्मा की रिपोर्ट

'सुविधाएं हैं केवल सरकार को देना होगा ध्यान'
वहीं, फिल्म समीक्षक विनोद अनुपम कहते हैं कि सरकार जिस तरह पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रही है अगर उसी तरह इस दिशा में भी काम हो तो फायदा दिखेगा. उनका कहना है कि पर्यटन के साथ-साथ शूटिंग साइट्स को भी बढ़ावा दिया जाए. सुविधाएं जैसे की गांव और शहर बिहार में हैं केवल सरकार उनका विकास करें तो फिल्म निर्माण को बढ़ावा जरूर मिलेगा.

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शायद अगले साल होगा कुछ अच्छा...
पूरे मामले पर बिहार राज्य फिल्म विकास निगम के परामर्शी डीके सिंह भी यह स्वीकार करते हैं कि जो उद्देश्य था वह अब तक पूरा नहीं हुआ. लेकिन, उन्होंने ये दावा जरूर किया कि इस दिशा में लगातार प्रयास हो रहे हैं. फिल्म सिटी के लिए राजगीर में 20 एकड़ जमीन का अधिग्रहण हो चुका है. हालांकि यह कब तक फिल्म सिटी का आकार लेगा, इसपर कुछ नहीं कहा जा सकता.

Intro:बिहार राज्य फिल्म विकास निगम नाम का एक दफ्तर पटना के गांधी मैदान के पास स्थित मॉरिसन बिल्डिंग में चल रहा है। ईटीवी भारत की टीम जब यहां पहुंची तो सलाहकार के साथ इक्के दुक्के लोग यहां नजर आए। ईटीवी भारत ने यह जानने की कोशिश की कि आखिर बिहार में बॉलीवुड फिल्मों और क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों के निर्माण के लिए फिल्म विकास निगम क्या कर रहा है। पेश है पटना से यह एक बेहद खास रिपोर्ट।


Body:बिहार में कहने को एक निगम है जिसका नाम है, बिहार राज्य फिल्म विकास निगम। गोलघर के बिल्कुल बगल में स्थित मॉरिसन बिल्डिंग में बिहार राज्य फिल्म विकास निगम का दफ्तर भी है लेकिन यह बताना और समझाना मुश्किल है कि आखिर यह फिल्म विकास निगम किस का विकास कर रहा है।
जानकारी के मुताबिक फिल्म विकास निगम बिहार में क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्मों के विकास और एक फिल्म सिटी की संकल्पना के साथ स्थापित हुआ था। उद्देश्य था कि फिल्मकारों को बिहार में शूटिंग के लिए आकर्षित किया जाए उन्हें फिल्म बनाने से जुड़ी हर सुविधा प्रदान की जाए ताकि स्थानीय स्तर पर फिल्म और फिल्म से जुड़े अन्य विभागों का एक माहौल स्थापित हो लेकिन अब तक इनमें से कोई भी काम करने या दिखाने में फिल्म विकास निगम पूरी तरह असफल साबित हुआ है। यह हम नहीं कह रहे यह इस निगम से जुड़े लोग और निगम से उम्मीदें पाल रखे कलाकारों और फिल्मकारों का कहना है कहीं ना कहीं फिल्म विकास निगम के परामर्शी भी यह स्वीकार करते हैं कि जो उद्देश्य था वह अब तक पूरा नहीं हुआ है। हां यह दावा जरूर है इस दिशा में लगातार प्रयास हो रहे हैं। फिल्म सिटी के लिए राजगीर में बीस एकड़ जमीन का अधिग्रहण हो चुका है। हालांकि यह कब तक फिल्म सिटी का आकार ले सकेगा यह बताना उनके लिए भी असंभव सा लगा। बिहार से फिल्मकार अब तक दूर क्यों है इसका जवाब भी फिल्म विकास निगम के परामर्शी नहीं दे पाए हालांकि यह दवा जरूर किया कि फिल्मकार लगातार बिहार में रुचि दिखा रहे हैं। कुछेक फिल्मों की शूटिंग भी हुई है लेकिन जो माहौल और जो संरचना फिल्मकारों को चाहिए वह प्रदान करने में बिहार अब तक पीछे रहा है।
पटना में लगातार फिल्म फेस्टिवल कराने की योजना भी फ्लॉप साबित हुई। पटना फिल्म फेस्टिवल आखरी बार 2016 में हुआ था। अब अगला फिल्म फेस्टिवल कब होगा यह जानकारी भी किसी के पास नहीं है।
फिल्म विकास निगम के जरिए हर साल फिल्म फेस्टिवल कराना, फिल्म एप्रिसिएशन कोर्स योजना, कलाकारों और डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर का एक डेटाबेस बनाना और इसके साथ ही फिल्म निर्माण के लिए पॉलिसी का काम वर्षों से पेंडिंग है।



Conclusion:प्रणव प्रताप शाही फिल्म निर्माता
विनोद अनुपम फिल्म समीक्षक
डीके सिंह परामर्शी बिहार राज्य फिल्म विकास निगम
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