पटना: बिहार सरकार ने आरक्षण की सीमा को बढ़ाने का फैसला लिया है. जातिगत जनगणना सर्वे रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद से उम्मीद बताई जा रही थी कि आरक्षण की सीमा बढ़ाई जाएगी. उसके मुताबिक सरकार ने आरक्षण की सीमा बढ़ाने का फैसला लिया. गुरुवार 9 नवंबर को बिहार विधानसभा में बिल को पारित कर दिया गया.
राजनीतिक दलों के बीच क्रेडिट लेने की होड़ः सरकार के फैसले के मुताबिक अब बिहार में ईबीसी की आरक्षण सीमा 18% से बढ़कर 25% कर दी गयी है. बैकवर्ड क्लासेस के लिए 12% से बढ़ा कर 18% कर दी गयी है. शेड्यूल कास्ट के लिए 16% से बढ़ा 20% और एसटी के लिए एक प्रतिशत से बढ़कर 2% कर दी गयी. आरक्षण बिल पारित होने के बाद सियासत शुरू हो गई. राजनीतिक दलों के बीच क्रेडिट लेने की होड़ लग गई.
भाजपा के प्रयासों से बिल पास हुआः भाजपा नेता और पूर्व मंत्री जीवेश मिश्रा ने कहा "आरक्षण बिल पारित हुआ यह खुशी की बात है. हम लोग भी यह चाहते थे कि बिल पारित हो जाए लेकिन जिस तरीके से एक दलित नेता को नीतीश कुमार ने अपमानित किया है वह उनके मंसूबों पर सवाल खड़े करता है." शेड्यूल ट्राइब समुदाय से आने वाली भाजपा विधायक निक्की हेंब्रम ने कहा कि "हम लोग लंबे समय से आरक्षण की सीमा बढ़ाने की मांग कर रहे थे. भाजपा के चलते ही आरक्षण बिल पारित कराया जा सका."
नीतीश और तेजस्वी को श्रेयः एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान ने कहा कि हम लोग ओबीसी की सीमा को बढ़ाना चाहते थे. हमारी मांग थी कि इसको बढ़कर 50% की जाए. लेकिन सरकार ने नहीं बढ़ाया. अल्पसंख्यक समुदाय के ओबीसी को उनका हक नहीं दिया जा रहा है. राजद नेता बिहार सरकार के मंत्री जितेंद्र राय ने कहा कि खुशी की बात है कि आरक्षण बिल पारित कर दिया गया. हम इसका श्रेय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को देते हैं. सदन के सदस्यों ने भी बिल पारित करने में सहयोग किया.
इसे भी पढ़ेंः Bihar Reservation Bill: बिहार विधानसभा में आरक्षण संशोधन बिल पास, अब राज्य में 75% आरक्षण
इसे भी पढ़ेंः Watch Video: सदन के बाहर आपस में भिड़े BJP और RJD विधायक, एक दूसरे को बताया अज्ञानी
इसे भी पढ़ेंः Prashant Kishore ने समझाया आरक्षण विधेयक का पेच, पिछड़े वर्ग की खराब स्थिति के लिए नीतीश और लालू को ठहराया जिम्मेवार