पटना: बिहार पुलिस अब दिल्ली पुलिस की तर्ज पर ऑनलाइन एफआईआर (Online FIR in Bihar ) दर्ज करने की व्यवस्था शुरू करेगी. इसके लिए बिहार पुलिस के वरीय अधिकारी दिल्ली पुलिस ऑनलाइन माध्यम की बारीकियों से अध्ययन कर रहे हैं. बिहार पुलिस मुख्यालय के एडीजी मॉर्डनाइजेशन और एससीआरबी कमल किशोर सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि सीआरपीसी की धारा 154 के तहत ऑनलाइन एफआईआर दर्ज नहीं हो सकता. एफआईआर में पीड़ित का हस्ताक्षर अनिवार्य होता है. जो ऑनलाइन के माध्यम से पूरा नहीं हो सकता. हालांकि बिहार में ऑनलाइन कंप्लेंट की व्यवस्था शुरू हो चुकी है. जिसे सुदृढ़ बनाने के लिए बिहार पुलिस मुख्यालय द्वारा काम किया जा रहा है.
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एडीजी कमल किशोर सिंह (ADG Kamal Kishore Singh) ने बताया कि सीआरपीसी के तहत वर्तमान के नियम के अनुसार ऑनलाइन एफआईआर दर्ज नहीं हो सकता, लेकिन दिल्ली पुलिस ने नई पहल शुरू की है. संपत्ति से जुड़े अपराध के ऑनलाइन कंप्लेंट को एफआईआर में तब्दील किया जा रहा है. उन्हीं मामलों में ऑनलाइन एफआईआर दर्ज हो रही है. जिसमें कंप्लेंट करने वाला व्यक्ति किसी अज्ञात व्यक्ति पर एफआईआर दर्ज करवाता हो.
उन्होंने बताया कि बिहार में ऑनलाइन कंप्लेंट की व्यवस्था शुरू की गई है और उसके आधार पर अगर एफआईआर दर्ज होती है तो पुलिस द्वारा पीड़ित को बताया जाता है कि एफआईआर दर्ज हुई है. दिल्ली पुलिस के द्वारा शुरू की गई इस मुहिम को बिहार पुलिस स्टडी और समीक्षा कर रही है. जिस तरह से बिहार में में ऑनलाइन वेरिफिकेशन की शुरुआत की गई है ठीक उसी प्रकार बिहार में ऑनलाइन कंप्लेंट की भी व्यवस्था अच्छे ढंग से की जाएगी. इसके लिए पोर्टल भी बनाया जाएगा 80% काम हो चुका है. इसे जल्द ही लागू किया जाएगा. इसकी बारीकियों का अध्ययन करने के बाद पुलिस मुख्यालय निर्णय लेगा और गृह विभाग से इसकी अनुमति प्राप्त की जाएगी.
उन्होंने बताया कि ऑनलाइन एफआईआर दर्ज होने से नुकसान और फायदे भी हो सकते हैं. जिसमें कोई भी आसानी से पुलिस के सामने झूठ नहीं बोल पाता. वहीं, ऑनलाइन माध्यम से आसानी से किसी पर झूठा और गलत आरोप लगाया जा सकता है. इसके अलावा कोई भी ऑनलाइन एफआईआर का सहारा लेकर किसी का इमेज खराब कर सकता है. यह उन लोगों के लिए कारगर नहीं है, जिनके पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है. दूरदराज में रहने वाले जिनकों इंटरनेट की समझ नहीं है, उन्हें यह फायदा नहीं मिल पाएगा.
अगर सभी लोग ऑनलाइन आवेदन करने लगे तो एफआईआर की संख्या बढ़ सकती है. ऐसा माना जाता है कि भारत में जितने लोग एफआईआर दर्ज करवाते हैं, उनमें 10% लोग फेक केस करते हैं. ऑनलाइन एफआईआर से पॉलिटिकल विरोधी और विरोधी के खिलाफ केस करना आसान हो जाएगा. वही, ऑनलाइन की मदद से लोग आसानी से केस दर्ज कर सकेंगे तो पुलिस भी इस मामले में न नहीं कर पाएगी. पुलिस के टालमटोल और इंकार से बचा जा सकता है. महिलाओं के ऊपर हो रहे अत्याचार को देखते हुए ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करवाना महिलाओं के लिए काफी आसान हो जाएगा.
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बता दें कि ऑनलाइन एफआईआर करने का हक जनता को सीआरपीसी की धारा 154 के तहत मिलता है, लेकिन आम जनता को एफआईआर दर्ज करवाने के लिए अक्सर थानों का चक्कर लगाना पड़ता है. अक्सर आम लोगों पुलिस के पास जाने से असहज या डरा हुआ महसूस करते है. छोटी-छोटी घटनाओं को लेकर कई बार आम लोगों को एफआईआर दर्ज करवाने के लिए काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है. जिसको ध्यान में रखते हुए. बिहार में ऑनलाइन कंप्लेन की सुविधा उपलब्ध कराई गई है, परंतु अब तक ऑनलाइन एफआईआर दर्ज की व्यवस्था बिहार में नहीं शुरू हो पाई है. जिसे बिहार पुलिस अब दिल्ली पुलिस के तर्ज पर जल्द ही लागू करेगी.
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