पटना: एक तरफ जहां पूरा देश कोरोना का संक्रमण झेल रहा है. वहीं, दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर उससे जुड़ी भ्रामक सूचनाएं प्रचारित और प्रसारित की जा रही है. फेसबुक और व्हाट्सएप के दुरुपयोग के मामले दोगुने हो चुके हैं. आर्थिक अपराध इकाई रोजाना 10 से 12 केस की जांच कर रही है. इस कोरोना महामारी के संकट में सोशल मीडिया के जरिए माहौल बिगाड़ने के लिए पुलिस और चिकित्सा कर्मी को लेकर तरह-तरह के पोस्ट किए जा रहे हैं.
104 लोगों पर प्राथमिकी दर्ज
पुलिस मुख्यालय की एक रिपोर्ट के अनुसार रविवार शाम तक पूरे राज्य में सोशल मीडिया पर लॉक डाउन से जुड़ी भ्रामक सूचनाएं प्रचारित व प्रसारित वाले 104 लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है. वहीं अफवाह फैलाने के लिए 79 लोगों को जेल भी भेजा जा चुका है. अब आर्थिक अपराध इकाई कार्रवाई के साथ जागरूकता अभियान भी चला रही है.
भोजपुर के एक पुलिस अधिकारी इसकी सजा भी भुगत रहे हैं. बता दें फेसबुक और व्हाट्सएप से सबसे अधिक अफवाह फैलाई जा रही है. जिसकी वजह से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे को इस पर लगाम लगाने का निर्देश भी जारी किया था.
प्रतिदिन तैयार किया जा रहा बुलेटिन
आर्थिक अपराध इकाई इस संकट के समय में अफवाह फैलाने से रोकने के लिए जागरूकता अभियान भी चला रही है. प्रतिदिन बुलेटिन तैयार किया जाता है. इसमें साइबर क्राइम से बचने और मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर आदि का ब्यौरा भी दिया जाता है. पुलिस ने इन पर लगाम लगाने के लिए अब कमर कस ली है और लगातार भ्रामक सूचना फैलाने वाले लोगों पर कार्रवाई भी कर रही है.
बिहार पुलिस अफवाह को रोकने के लिए उन लोगों पर कार्रवाई कर रही है, जो गलत जानकारी का प्रचार-प्रसार करने वाली अथवा घृणा फैलाने वाले पोस्ट शेयर कर रहे हैं. ग्रुप के एडमिन और उसमें जितने भी सदस्य हैं, उन पर कार्रवाई की जा रही है. इसके बावजूद लॉक डाउन के दौरान लगातार सोशल मीडिया पर भ्रामक सूचनाएं प्रसारित हो रही है.