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CAG Report : बिहार की प्रति व्यक्ति आय झारखंड, यूपी, ओडिशा व एमपी से कम: सीएजी

बिहार की प्रति व्यक्ति आय उसके पड़ोसी राज्यों से काम है. इस बात का खुलासा कैग की रिपोर्ट में सामने आया है. 2021-22 के अंत में बिहार की प्रति व्यक्ति आय 54,383 रुपये पाई गई है, जो यूपी, एमपी और झारखंड जैसे राज्यों से कम है.

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Published : Aug 11, 2023, 11:08 PM IST

पटना: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने कहा है कि बिहार की प्रति व्यक्ति आय उसके पड़ोसियों झारखंड, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और मध्य प्रदेश से कम है. सीएजी रिपोर्ट में 2011 से 2022 की अवधि के लिए आर्थिक विकास में वृद्धि दिखाई गई है, क्योंकि इसके सकल राज्य घरेलू उत्पाद जीएसडीपी की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) 10.18 प्रतिशत रही है, जो देश के राष्ट्रीय सीएजीआर 10.11 फीसदी से अधिक है.

ये भी पढ़ें : CAG रिपोर्ट में खुलासा: सिर्फ गाल बजाते हैं बिहार के अधिकारी, बाढ़ और कटाव की 46 परियोजनाएं अधूरी

कैग रिपोर्ट सरकार की आंख खोलने वाला : हालांकि, 2021-22 के अंत में बिहार की प्रति व्यक्ति आय 54,383 रुपये है. यह आंकड़ा झारखंड, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और मध्य प्रदेश जैसे अन्य राज्यों की तुलना में कम है, जहां क्रमश: 88,535 रुपये, 79,396 रुपये,1,39,995 रुपये और 1,37,339 रुपये है. यह नीतीश कुमार सरकार के लिए आंखें खोलने वाला है, क्योंकि वह 18 वर्षों से राज्य में सत्ता में हैं, लेकिन प्रति व्यक्ति आय पड़ोसी राज्यों की तुलना में बहुत कम है.

जीडीपी भी पिछले साल से कम दर्ज : बिहार ने वर्ष 2021-22 के दौरान 15.04 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ जीएसडीपी के रूप में 6,75,448 करोड़ रुपये दर्ज किए हैं. महामारी की अवधि को छोड़कर इसमें प्रति वर्ष 10 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, जब 2020-21 में विकास दर 0.80 प्रतिशत थी. भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2020-21 में पिछले साल की तुलना में -1.36 फीसदी दर्ज किया गया.

आंतरिक ऋण में वृद्धि : 2021-22 के दौरान, आंतरिक ऋण में 14.60 प्रतिशत की वृद्धि और भारत सरकार से ऋण और अग्रिम 47.57 प्रतिशत की वृद्धि के कारण राजकोषीय देनदारियां पिछले वर्ष की तुलना में 13.34 प्रतिशत बढ़ गईं. 31 मार्च, 2022 तक सरकारी संस्थाओं ने बिहार राज्य सरकार की ओर से 1,482.50 करोड़ रुपये का ऋण प्राप्त किया है. ये ऋण राज्य सरकार द्वारा बजट से बाहर उधार हैं.

राज्य सरकार ने इन ऋणों के लिए गारंटी प्रदान की है, क्योंकि ये उधार सीधे सरकार की उधारी का हिस्सा नहीं है. इन्हें वित्तीय खातों के सार्वजनिक ऋण में शामिल नहीं किया गया और इसलिए आंकड़ों की गणना राज्य के राजकोषीय घाटे के रूप में की जा रही है. इस प्रकार, राज्य की ऑफ-बजट उधारी को ध्यान में रखते हुए, मार्च 2022 के अंत में कुल बकाया ऋण 2,57,510,21 करोड़ रुपये के मुकाबले 2,58,992,71 करोड़ रुपये हो गया. फलस्वरूप वर्ष 2022 के अंत में जीएसडीपी का कुल ऋण प्रतिशत 0.22 प्रतिशत माना गया.

सोर्स- आईएएनएस

पटना: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने कहा है कि बिहार की प्रति व्यक्ति आय उसके पड़ोसियों झारखंड, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और मध्य प्रदेश से कम है. सीएजी रिपोर्ट में 2011 से 2022 की अवधि के लिए आर्थिक विकास में वृद्धि दिखाई गई है, क्योंकि इसके सकल राज्य घरेलू उत्पाद जीएसडीपी की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) 10.18 प्रतिशत रही है, जो देश के राष्ट्रीय सीएजीआर 10.11 फीसदी से अधिक है.

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कैग रिपोर्ट सरकार की आंख खोलने वाला : हालांकि, 2021-22 के अंत में बिहार की प्रति व्यक्ति आय 54,383 रुपये है. यह आंकड़ा झारखंड, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और मध्य प्रदेश जैसे अन्य राज्यों की तुलना में कम है, जहां क्रमश: 88,535 रुपये, 79,396 रुपये,1,39,995 रुपये और 1,37,339 रुपये है. यह नीतीश कुमार सरकार के लिए आंखें खोलने वाला है, क्योंकि वह 18 वर्षों से राज्य में सत्ता में हैं, लेकिन प्रति व्यक्ति आय पड़ोसी राज्यों की तुलना में बहुत कम है.

जीडीपी भी पिछले साल से कम दर्ज : बिहार ने वर्ष 2021-22 के दौरान 15.04 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ जीएसडीपी के रूप में 6,75,448 करोड़ रुपये दर्ज किए हैं. महामारी की अवधि को छोड़कर इसमें प्रति वर्ष 10 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, जब 2020-21 में विकास दर 0.80 प्रतिशत थी. भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2020-21 में पिछले साल की तुलना में -1.36 फीसदी दर्ज किया गया.

आंतरिक ऋण में वृद्धि : 2021-22 के दौरान, आंतरिक ऋण में 14.60 प्रतिशत की वृद्धि और भारत सरकार से ऋण और अग्रिम 47.57 प्रतिशत की वृद्धि के कारण राजकोषीय देनदारियां पिछले वर्ष की तुलना में 13.34 प्रतिशत बढ़ गईं. 31 मार्च, 2022 तक सरकारी संस्थाओं ने बिहार राज्य सरकार की ओर से 1,482.50 करोड़ रुपये का ऋण प्राप्त किया है. ये ऋण राज्य सरकार द्वारा बजट से बाहर उधार हैं.

राज्य सरकार ने इन ऋणों के लिए गारंटी प्रदान की है, क्योंकि ये उधार सीधे सरकार की उधारी का हिस्सा नहीं है. इन्हें वित्तीय खातों के सार्वजनिक ऋण में शामिल नहीं किया गया और इसलिए आंकड़ों की गणना राज्य के राजकोषीय घाटे के रूप में की जा रही है. इस प्रकार, राज्य की ऑफ-बजट उधारी को ध्यान में रखते हुए, मार्च 2022 के अंत में कुल बकाया ऋण 2,57,510,21 करोड़ रुपये के मुकाबले 2,58,992,71 करोड़ रुपये हो गया. फलस्वरूप वर्ष 2022 के अंत में जीएसडीपी का कुल ऋण प्रतिशत 0.22 प्रतिशत माना गया.

सोर्स- आईएएनएस

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