पटना: बिहार में प्राकृतिक आपदा ने लोगों का जीना दुश्वार कर रखा है. जहां एक ओर बिजली गिरने से मौतें हो रही हैं. वहीं, बाढ़ ने भी कई सांसें छीन ली हैं. वज्रपात के कारण बड़ी संख्या में लोग काल के गाल में समा चुके हैं. अब मकानों पर भी बिजली गिर रही है. ऐसा कहा जा रहा है कि पेड़-पौधों की कटाई की वजह से अब मकानों पर बिजली गिर रही है.
साल 2017 में की थी घोषणा
मालूम हो कि बिहार पिछले कई सालों से प्राकृतिक आपदा की चपेट में है. सूखार-बाढ़ के अलावा बिजली गिरने से भी लोगों की जान जा रही है. नीतीश सरकार ने घोषणा की थी कि अमेरिका से लाइटनिंग सेंसर मशीन मंगवाई जाएगी जो इस बात की जानकारी पहले दे देगी कि किस इलाके में बिजली गिरने वाली है. घोषणा 11 जुलाई 2017 को हुई थी. लेकिन, उनकी यह घोषणा के दो साल बाद मशीन नजर नहीं आ रही है.
मंत्री दे रहे अजीबोगरीब तर्क
नीतीश कुमार की घोषणा के कारण बिहार सरकार के मंत्री बहाने बनाने को मजबूर हैं. तर्क यह दिया जा रहा है कि पेड़-पौधों की कटाई की वजह से अब आवासीय घरों पर बिजली गिर रही है. बिहार सरकार के मंत्री इसे ग्लोबल वार्मिंग के कारण पैदा हुए हालात करार दे रहे हैं. आपदा प्रबंधन मंत्री लक्ष्मेश्वर राय ने कहा है कि बेमौसम बिजली गिरना चिंता का विषय है. यह ग्लोबल वार्मिंग का इफेक्ट है. वहीं, कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि पेड़-पौधों की कटाई को लेकर सरकार चिंतित है. अब सरकार ने योजना बनाई है कि 1.5 करोड़ पेड़ पूरे बिहार में लगाए जाएंगे.