बेंगलुरु/पटना: देश के अधिकांश राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूर जल्द से जल्द अपने घर वापस लौटने की कोशिश में हैं. लॉकडाउन की 24 मार्च को हुई घोषणा के बाद से कर्नाटक में फंसे बिहारी के श्रमिक अपने घरों को लौटना चाहते हैं. ये सभी प्रवासी मजदूर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मदद की गुहार लगा रहे है.
कर्नाटक के कुछ मजदूर खुशनसीब थे कि पिछले दिनों चलाई गईं श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में सवार होकर अपने घरों को लौट गए. लेकिन शहर की बड़ी-बड़ी इमारतों में अपनी मेहनत, खून और पसीना लगाने वाले मजदूर उस वक्त ठगा सा महसूस करने लगे जब कर्नाटक सरकार ने अचानक श्रमिक स्पेशल ट्रेनें रद्द कर दी.
मजदूरों पर कर्नाटक में क्या बीत रही?
कर्नाटक से लौटने के लिए मजदूर कितने बेताब हैं. छपरा जिले के जलालवंसत गांव के निवासी लक्ष्मण मांझी बताते है कि यहां खाना रोज मिल रहा है, रहने के लिए छत भी है. लेकिन काम बंद है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आग्रह है कि हमलोगों को बिहार बुला लें. कर्नाटक में फंसे हुए है. हमलोगों बहुत तकलीफ में जी रहे है.
'मुख्यमंत्री जी, हम लोगों की मदद करें'
एक और श्रमिक सुरेन्द्र पासवान ने बताया कि, जिंदगी अब मुश्किल हो गई है. घर कैसे जाएंगे पता नहीं. ट्रेन कब खुलेगी पता नहीं. रोजाना पुलिस स्टेशन और तालुका के चक्कर लगाते है. फिर भी कोई सुनवाई नहीं होती है. यहां हमारे गांव के कई लोग फंसे हुए है. अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उम्मीद है कि हमें जल्दी बुला लें.
कर्नाटक सरकार दोबारा शुरू करेगी श्रमिक ट्रेन
चौतरफा विरोध के बाद कर्नाटक की बीएस येदियुरप्पा सरकार ने प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के लिए विशेष ट्रेनें रद्द करने का फैसला आखिरकार वापस ले लिया है. इस फैसले से पहले ट्रेनें रद्द करने पर कर्नाटक में फंसे प्रवासी मजदूर सड़क पर उतरकर सरकार के खिलाफ आंदोलन करने की तैयारी में थे.
बता दें कि कर्नाटक में फंसे प्रवासी मजदूरों की संख्या लाखों में है. बताया जाता है कि श्रमिक स्पेशल ट्रेन से घर वापसी के लिए कर्नाटक में बेंगलुरु समेत दूसरे क्षेत्रों में फंसे 2.13 लाख प्रवासी मजदूरों ने घर जाने के लिए आवेदन किया था. ऐसे में अब बाकी मजदूरों की वापसी कब होगी बताना मुश्किल है.