पटना: बिहार सरकार (Bihar Government) ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो बढ़ाने पर जोर दे रही है. सरकार की कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा बच्चे मैट्रिक और इंटर करने के बाद आगे की पढ़ाई करें. वहीं, बिहार के ज्यादातर बच्चे तकनीकी शिक्षा (Technical Education) का माहौल राज्य में नहीं होने की वजह से आगे की पढ़ाई के लिए बाहर चले जाते हैं. इसके पीछे की बड़ी वजह का खुलासा हुआ है. एआईसीटीई (AICTE) की रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार में तकनीकी शिक्षा के लिए महज करीब 38 हजार सीटें ही उपलब्ध हैं.
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कहने को तो बिहार में तकनीकी शिक्षा (इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, एमसीए, होटल मैनेजमेंट, फार्मेसी, आर्किटेक्चर आदि) के मामले में दिनों दिन विस्तार हो रहा है, लेकिन अभी भी देश के दक्षिणी राज्यों का तकनीकी शिक्षा के मामले में वर्चस्व साफ नजर आता है. एआईसीटीई की रिपोर्ट के मुताबिक तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में देश की करीब 25 करोड़ आबादी के लिए तकनीकी शिक्षा की 14 लाख सीटें उपलब्ध हैं, जबकी शेष भारत की 105 करोड़ की आबादी के लिए महज 16 लाख सीटें उपलब्ध हैं.
देश के 5 प्रमुख उत्तरी राज्यों की बात करें तो उत्तर प्रदेश में करीब तीन लाख, मध्यप्रदेश में करीब 1.35 लाख, बिहार में करीब 38.5 हजार, हरियाणा में करीब 87 हजार और राजस्थान में करीब 84 हजार सीटें ही उपलब्ध हैं. कुल मिलाकर पूरे उत्तर भारत में करीब 6,41,500 सीटें ही उपलब्ध हैं. ऑल इंडिया काउंसिल फोर टेक्निकल एजुकेशन के आंकड़ों के मुताबिक देश में तकनीकी शिक्षा के लिए वर्तमान में 9626 कॉलेजों में 30.82 लाख सीटें उपलब्ध हैं.
एआईसीटीई के मुताबिक बिहार में AICTE अप्रूव्ड 35 विश्वविद्यालय हैं, जिनके अंतर्गत 165 संस्थान काम कर रहे हैं. 12 करोड़ की आबादी पर महज 38000 सीट हैं. अगर जनसंख्या के अनुपात में देखें तो प्रति दस लाख की आबादी पर महज एक एआईसीटीई अप्रूव्ड संस्थान बिहार में है. प्रति 10 लाख की आबादी पर एआईसीटीई अप्रूव्ड संस्थानों के मामले में पुडुचेरी और उत्तराखंड टॉप पर हैं. यहां 18-18 एआईसीटीई अप्रूव्ड संस्थान हैं. इनके अलावा तमिलनाडु में 17, तेलंगाना में 16, आंध्र प्रदेश में 15 और चंडीगढ़ हरियाणा में 14-14 एआईसीटीई अप्रूव्ड तकनीकी संस्थान प्रति दस लाख की आबादी पर हैं.
इस संबंध में पटना विश्वविद्यालय (Patna University) के पूर्व कुलपति प्रोफेसर रासबिहारी सिंह ने कहा, "कहीं न कहीं सरकार की शिक्षा के प्रति संवेदनहीनता ही इसकी बड़ी वजह रही है कि आज देश के कई राज्य बिहार से कई गुना आगे निकल चुके हैं. बिहार के छात्र तकनीकी शिक्षा के लिए दूसरे राज्यों के भरोसे हैं."
"सिर्फ कॉलेज की बिल्डिंग खड़ा करना ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि उन कॉलेजों में स्थायी शिक्षकों की बहाली सबसे महत्वपूर्ण है ताकि अभिभावकों का भरोसा बिहार के तकनीकी कॉलेजों पर हो सके. वे अपने बच्चों को बाहर भेजने की जगह अपने राज्य में ही तकनीकी शिक्षा दिला सकें. तकनीकी शिक्षा लेने के बाद छात्रों के प्लेसमेंट की व्यवस्था करना भी बेहद जरूरी है तभी लोगों का भरोसा बिहार के तकनीकी कॉलेजों पर हो पाएगा."- प्रोफेसर रासबिहारी सिंह, पूर्व कुलपति, पटना विश्वविद्यालय
"बिहार में तकनीकी शिक्षा के मामले में स्थिति बेहद कमजोर नजर आती है. कम से कम एआईसीटीई की रिपोर्ट तो यही कहती है. सिर्फ पांच राज्यों में ही एआईसीटीई अप्रूव्ड 6000 से ज्यादा संस्थान काम कर रहे हैं. पूरे देश में महज 10900 तकनीकी संस्थान एआईसीटीई अप्रूव्ड हैं. बिहार को सबसे पहले आबादी के हिसाब से तकनीकी संस्थान खोलने पर विचार करना चाहिए. बिहार में तकनीकी संस्थान हर जिले में खुल रहे हैं. यह अच्छी बात है, लेकिन फिर भी प्रति दस लाख की आबादी पर बिहार में अभी भी एआईसीटीई अप्रूव्ड एक ही संस्थान है. यह चिंता का विषय है."- विद्यार्थी विकास, शिक्षाविद
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