पटना: मंगलवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में आम बजट 2022 (Union Budget 2022 ) पेश किया. बजट को बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (Bihar Industries Association) ने संतोषजनक बताया है. अध्यक्ष अरुण कुमार अग्रवाल ने कहा कि देश के हिसाब से बजट अच्छा है और बजट मेंइंडस्ट्रियलाइजेशन, अर्बनाइजेशन और इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर दिया गया है. बजट में एमएसएमई के लिए भी फंड की व्यवस्था है. इन सब को देखते ही वह एक अच्छा बजट है लेकिन बिहार के परिदृश्य में बजट में कोई विशेष बात नजर नहीं आ रही.
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अरुण कुमार अग्रवाल ने कहा कि बिहार के उद्यमी इस बात की उम्मीद लगाए बैठे थे कि बजट में बिहार के लिए कुछ प्रावधान होगा. उन्होंने कहा की कोरोना काल चल रहा है, ऐसे में बजट से लोगों की भी अपेक्षाएं नहीं थी, क्योंकि उन्हें पता है कि सरकार के पास भी अधिक फंड नहीं है लेकिन फिर भी इतनी तो उम्मीद थी कि पिछड़ा राज्य होने के कारण बिहार के लिए केंद्र सरकार से कुछ स्पेशल प्रोजेक्ट या स्पेशल पैकेज आता. वैसे राष्ट्रीय स्तर पर यह एक अच्छा बजट है.
वहीं, बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष रामलाल खेतान ने बताया कि बिहार के उद्यमी सिर्फ बिहार के बारे में सोचते हैं. बिहार के उद्यमी जानते हैं कि बिहार आगे बढ़ेगा तभी वह आगे बढ़ेंगे. बिहार एक पिछड़ा राज्य है, ऐसे में पिछड़े राज्य को आगे लाने के लिए जब तक कुछ स्पेशल नहीं किया जाएगा, तब तक पिछड़ा आगे नहीं हो पाएगा. इसी बात पर सोचने की भी आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि ऐसा कहने की केंद्र सरकार को जरूरत नहीं है कि हमारा ऐसा प्रावधान नहीं है और हम नहीं दे सकते हैं. अगर परिवार में कोई सदस्य कमजोर और बीमार है तो इसे ठीक करना परिवार के मुखिया और सभी सदस्यों का काम है. इसी प्रकार सभी राज्यों का गार्जियन केंद्र सरकार होता है.
रामलाल खेतान ने कहा कि केंद्र सरकार का काम है कि पिछड़े राज्यों को कैसे आगे लाया जाए. इसके लिए केंद्र सरकार बजट में प्रावधान करें या फिर नियम कानून में संशोधन करें लेकिन किसी भी तरह पिछड़े राज्यों को आगे लाने के लिए कोई ना कोई व्यवस्था केंद्र सरकार के पास होनी चाहिए. बिहार के उद्यमियों को भी उम्मीद थी कि बजट में इस प्रकार कुछ होगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं. इस बजट में ऐसा कुछ दिख नहीं रहा. उन्होंने कहा कि एमएसएमई के लिए फंड दिए जाने से बिहार के एमएसएमई को जरूर फायदा होगा लेकिन बिहार में स्मॉल स्केल के इंडस्ट्री की भी संख्या काफी कम है. ऐसे में इसका बहुत कम ही लाभ बिहार को मिल पाएगा. बिहार में उद्योग जो कुछ भी बढ़ रहे हैं, वह प्रदेश में राज्य सरकार के और राज्य के उद्योग मंत्री के प्रयासों का प्रतिफल है और इसमें क्रेंद्र का कहीं कोई योगदान नहीं दिख रहा है.
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