पटनाः अपराधियों पर सीसीए लगाने और जिला बदर करने को लेकर गृह विभाग की ओर से सभी जिले के जिला अधिकारियों को स्पष्ट गाइडलाइन जारी किया गया है. गृह विभाग की ओर से जारी गाइडलाइंस के मुताबिक बिहार अपराध नियंत्रण अधिनियम 1981 की धारा 3 और धारा 12 को लेकर सारे प्रधानों पर कार्रवाई के लिए दिशानिर्देश जारी किया गया है.
गृह विभाग की गाइड लाइन में कहा गया है कि जिन व्यक्तियों के विरुद्ध धारा तीन के तहत कार्रवाई का निर्णय लिया जाता है, उन्हें सुनवाई का पर्याप्त अवसर दिया जाना चाहिए. ऐसे मामलों में सबसे पहले ऐसे व्यक्तियों को नोटिस देकर निर्धारित तिथि और समय पर जिला दंडाधिकारी के समक्ष उपस्थित होना पड़ेगा.
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गृह विभाग के निर्देश में और क्या है
गृह विभाग ने जारी निर्देश के मुताबिक धारा तीन के तहत जिला लोक प्रशांति एवं लोक व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिला दंडाधिकारी सक्षम पदाधिकारी हैं जबकि धारा 12 के तहत कार्रवाई के लिए जिला दंडाधिकारी को सरकार की ओर से समय-समय पर शक्ति प्रदान की जाती है. 2 वर्षों से अधिक पुराने कांडों को सीसीए के आधार पर बंदी के पूर्व अपराधिक इतिहास के रूप में दर्शाया जाए इसके अलावा निर्देश दिया गया है कि मात्र आर्म्स एक्ट के तहत दर्ज कांडों को CCA का आधार नहीं बनाया जाएगा. इसके साथ-साथ जिला दंडाधिकारी के द्वारा अपराधी को जिन मामलों में जमानत मुक्त किया गया है उसका स्पष्ट उल्लेख किया जाए.
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इसका भी रखा जाए ध्यान
विभाग ने सभी डीएम को सीसीए पर प्रभावी ढंग से कार्रवाई करने का निर्देश देते हुए कहा है कि 6-6 माह की अवधि के लिए कुल 2 वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है. जारी निर्देश के मुताबिक सीसीए एक्ट या अन्य कार्रवाई से पहले अपराध को चिन्हित कर नोटिस देने का निर्देश दिया गया है. इसकी सूचना 24 घंटे के अंदर सरकार को देनी होगी, जिससे 12 दिन केंद्र अनुमोदन प्राप्त किया जा सके. दरअसल सीसीए एक्ट के तहत तड़ीपार की कार्रवाई की जा रही है, लेकिन कई बार तकनीकी कारणों से उसे परामदृष्टांत समिति रद्द कर देती है.