पटना: बिहार के मौजूदा डीजीपी संजीव कुमार सिंघल (DGP Sanjeev Kumar Singhal) 19 दिसंबर को रिटायर हो रहे हैं, ऐसे में बिहार के लिए नए डीजीपी के चयन को लेकर राज्य सरकार ने यूपीएससी को 11 डीजी रैंक के अधिकारियों की लिस्ट भेज दी है. हालांकि 11 डीजी रैंक के अधिकारियों में से 6 डीजी रैंक के अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं. बिहार में महज 5 डीजी रैंक के अधिकारी हैं.
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डीजीपी की नियुक्ति: दरअसल डीजी रैंक के 11 ऑफिसर में से बिहार को नया डीजीपी मिलेगा. बिहार के वर्तमान पुलिस महानिदेशक संजीव कुमार सिंघल का विस्तारित कार्यकाल 19 दिसंबर 2022 को समाप्त हो रहा है. डीजीपी संजीव कुमार सिंघल के रिटायरमेंट के बाद बिहार में डीजी रैंक के 11 अफसर बचेंगे, जिनके बीच नए डीजीपी का चुनाव होगा.
केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं 6 अधिकारी: आपको बता दें कि बिहार कैडर के डीजी रैंक के 11 अफसर में फिलहाल 6 केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं, जबकि पांच बिहार में ही विभिन्न विभाग में संभाल रहे हैं. वरीयता के आधार पर 1986 बैच के सील वर्धन सिंह और 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी एसेमा रंजन सबसे वरिष्ठ हैं, लेकिन वो केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं. उनके बाद 1988 बैच के अरविंद पांडे का नाम है.
राज्य सरकार ने यूपीएससी को भेजी लिस्ट: अरविंद पांडे डीजी और कमिश्नर सिविल डिफेंस बिहार के पद पर हैं. 1988 बैच के ही डीजी मनमोहन सिंह भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं. 1989 बैच के आलोक राज बिहार के डीजे ट्रेनिंग की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं और 1990 बैच के 2 डीजी जिनमें आर एस भट्टी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं जबकि शोभा अहोतकर होमगार्ड और अग्निशमन सेवा बिहार के डीजीपी पद पर कार्यरत हैं.
19 दिसंबर को समाप्त होगा एसके सिंघल का कार्यकाल: इसके अलावा 1991 बैच के तीन अधिकारी विनय कुमार, प्रवीण विष्ट और प्रीता वर्मा, जबकि 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी एकके अंबेडकर भी डीजी पद पर तैनात हैं. हालांकि बिहार में कार्यरत डीजी रैंक के तीन अफसर अरविंद पांडे, आलोक राज और सोभा अहोतकर में से ही किन्ही एक को डीजी बनाए जाने की संभावना और चर्चा जताई जा रही है. इन तीनों अधिकारियों का नाम डीजी के रेष में सबसे आगे चल रहा है.
हालांकि, पूर्व आईपीएस अधिकारी और पूर्व डीजीपी अभयानंद की माने तो अगला डीजीपी कौन बनेगा, इसका निर्णय राज्य सरकार और बिहार के मुख्यमंत्री को लेना है. राज्य सरकार के द्वारा डीजी रैंक के अधिकारियों का पैनल यूपीएससी को भेजा जाता है और यूपीएससी के द्वारा उनमें से वरीयता के आधार पर तीनों डीजी रैंक के अधिकारियों का नाम राज्य सरकार को वापस भेजा जाता है. उन्हीं तीनों में से राज्य सरकार को चुनना होता है.
हालांकि, उन्होंने बताया कि जरूरी नहीं है कि जो 3 नाम यूपीएससी के द्वारा भेजा जाएगा, अगर राज्य सरकार को पसंद नहीं होगा तो चौथा को चुना जा सकता है, जो कि इस बार के मौजूद डीजीपी के कार्यकाल के समय देखने को मिला है. उन्होंने बताया कि एक नियम बनाया गया है, जिसके तहत जिस डीजी रैंक के अधिकारी का कम से कम 6 महीने का कार्यकाल बचा होगा, उन्हें डीजीपी बनाया जाता है.
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