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बिहार में बाढ़ से 5 हजार करोड़ के नुकसान का अनुमान, डबल इंजन सरकार को है मदद की दरकार

बिहार में बाढ़ से पांच हजार करोड़ से अधिक का नुकसान होने का अनुमान है. नीतीश सरकार मंत्रियों के रिपोर्ट के आधार पर एक नई रिपोर्ट भेजने की तैयारी कर रही है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Sep 17, 2021, 8:39 PM IST

पटना: बिहार में इस साल 27 जिलों के 8 लाख से अधिक लोगों को बाढ़ ( Bihar Floods ) का सामना करना पड़ा है. जून के महीने से ही उत्तर बिहार में बाढ़ ने दस्तक दे दिया था और उसके बाद दो बार और बिहार के लोगों को बाढ़ का सामना करना पड़ा है. यानी इस मानसून में तीन बार बाढ़ बिहार में आ चुकी है और इससे हजारों करोड़ का नुकसान हुआ है.

प्रारंभिक रिपोर्ट में सरकार ने 3763 करोड़ की मांग केंद्र सरकार से की है. केंद्रीय टीम आई थी, उसके सामने यह रिपोर्ट दिया गया है लेकिन मुख्यमंत्री ने उसके बाद मंत्रियों को भी जिलों में बाढ़ से क्षति के आंकलन करने का निर्देश दिया और उसके आधार पर मंत्रियों ने अपने प्रभार वाले जिले में जाकर 2 दिनों तक मंथन किया है और रिपोर्ट तैयार हो रही है.

देखें वीडियो

ये भी पढ़ें- VIDEO: तालाब में 71 नाव और 71 किलो के लड्डू के साथ मनाया गया PM मोदी का 71वां जन्मदिन

इसी रिपोर्ट के आधार पर बिहार सरकार बाढ़ से हुए क्षति का अंतिम रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजेगी और क्षतिपूर्ति की मांग करेगी और ये 5000 करोड़ से अधिक होने का अनुमान लगाया जा रहा है. प्रारंभिक रिपोर्ट में बिहार सरकार की ओर से 3763 करोड़ की केंद्र से क्षतिपूर्ति की मांग की गई है उसमें सबसे अधिक जल संसाधन विभाग की ओर से 1470 करोड़, आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से 1169 करोड़, कृषि विभाग की ओर से 661 करोड़, पथ निर्माण विभाग की ओर से 203 करोड़, ग्रामीण कार्य विभाग की ओर से 234 करोड़ प्रमुख है.

इसके अलावा ऊर्जा विभाग, पीएचइडी विभाग, शिक्षा विभाग, भवन निर्माण विभाग स्वास्थ जैसे विभागों की ओर से भी क्षतिपूर्ति की मांग के लिए रिपोर्ट गई है. हालांकि ये रिपोर्ट उस वक्त तैयार की गई थी जब कई इलाकों में बाढ़ का पानी लगा हुआ था. ऐसे में कृषि से लेकर जल संसाधन और आपदा प्रबंधन सहित पथ निर्माण विभाग की क्षति बढ़ना तय है.

ये भी पढ़ें- CM नीतीश ने व्हाइट बोर्ड पर लिखकर PM मोदी को दी जन्मदिन की बधाई, कहा- आज 30 लाख लोगों को लगेगा टीका

मंत्रियों ने अपने प्रभार वाले जिले की समीक्षा की है और कई जिलों की स्थिति काफी खराब रही है. उत्तर बिहार के इलाके में आंकड़ा काफी बढ़ सकता है. खासकर कृषि का नुकसान बहुत ज्यादा हुआ है. ग्रामीण कार्य मंत्री जयंत राज का तो यहां तक कहना है कि वैशाली जैसे जिले में जहां बाढ़ उतना नहीं आता था, इस बार काफी नुकसान हुआ है. सब्जियों का नुकसान हुआ है. केला की फसल को पहली बार इतना नुकसान हुआ है.


वहीं, पूर्व मंत्री और विधान पार्षद नीरज कुमार का कहना है कि इस बार बिहार सरकार पर बाढ़ के कारण वित्तीय बोझ बढ़ा है. तीन बार बाढ़ आने के कारण इस बार जो क्षति हुई है, वह अधिक है. सरकार ने बाढ़ राहत में बड़ी राशि खर्च की है. ऐसे केंद्र को प्रारंभिक रिपोर्ट भेज दी गई है.

ये भी पढ़ें- गोपालगंज: गंडक नदी की तेज धार के कारण तटबंध में कटाव शुरू, मरम्मती कार्य में जुटा विभाग

'मंत्रियों ने अपने प्रभार वाले जिले की समीक्षा की है और रिपोर्ट मुख्यमंत्री को दे रहे हैं. उस रिपोर्ट के आधार पर अंतिम रिपोर्ट तैयार होगी. जिसे बिहार सरकार केंद्र को भेजेगी. रिपोर्ट कितना का हो सकता है इस पर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी'- अशोक चौधरी, भवन निर्माण मंत्री, बिहार


बाढ़ से हुए क्षतिपूर्ति को लेकर अगर पिछला रिकॉर्ड देखें तो बहुत बेहतर नहीं है लेकिन पिछले कुछ सालों में जरूर केंद्र से मदद बढ़ी है. 2017 में 1700 करोड़, 2019 में 1000 करोड़, 2020 में 1255 करोड़ की मदद केंद्र ने दिया है. इस साल सरकार ने प्रारंभिक क्षति आकलन 3763 करोड़ का किया है, उसकी क्षतिपूर्ति की मांग की गई है. हालांकि अभी तक कुछ मिला नहीं है. केन्द्र से कितनी राशि मिलती है, इस पर सबकी नजर है.

पटना: बिहार में इस साल 27 जिलों के 8 लाख से अधिक लोगों को बाढ़ ( Bihar Floods ) का सामना करना पड़ा है. जून के महीने से ही उत्तर बिहार में बाढ़ ने दस्तक दे दिया था और उसके बाद दो बार और बिहार के लोगों को बाढ़ का सामना करना पड़ा है. यानी इस मानसून में तीन बार बाढ़ बिहार में आ चुकी है और इससे हजारों करोड़ का नुकसान हुआ है.

प्रारंभिक रिपोर्ट में सरकार ने 3763 करोड़ की मांग केंद्र सरकार से की है. केंद्रीय टीम आई थी, उसके सामने यह रिपोर्ट दिया गया है लेकिन मुख्यमंत्री ने उसके बाद मंत्रियों को भी जिलों में बाढ़ से क्षति के आंकलन करने का निर्देश दिया और उसके आधार पर मंत्रियों ने अपने प्रभार वाले जिले में जाकर 2 दिनों तक मंथन किया है और रिपोर्ट तैयार हो रही है.

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इसी रिपोर्ट के आधार पर बिहार सरकार बाढ़ से हुए क्षति का अंतिम रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजेगी और क्षतिपूर्ति की मांग करेगी और ये 5000 करोड़ से अधिक होने का अनुमान लगाया जा रहा है. प्रारंभिक रिपोर्ट में बिहार सरकार की ओर से 3763 करोड़ की केंद्र से क्षतिपूर्ति की मांग की गई है उसमें सबसे अधिक जल संसाधन विभाग की ओर से 1470 करोड़, आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से 1169 करोड़, कृषि विभाग की ओर से 661 करोड़, पथ निर्माण विभाग की ओर से 203 करोड़, ग्रामीण कार्य विभाग की ओर से 234 करोड़ प्रमुख है.

इसके अलावा ऊर्जा विभाग, पीएचइडी विभाग, शिक्षा विभाग, भवन निर्माण विभाग स्वास्थ जैसे विभागों की ओर से भी क्षतिपूर्ति की मांग के लिए रिपोर्ट गई है. हालांकि ये रिपोर्ट उस वक्त तैयार की गई थी जब कई इलाकों में बाढ़ का पानी लगा हुआ था. ऐसे में कृषि से लेकर जल संसाधन और आपदा प्रबंधन सहित पथ निर्माण विभाग की क्षति बढ़ना तय है.

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मंत्रियों ने अपने प्रभार वाले जिले की समीक्षा की है और कई जिलों की स्थिति काफी खराब रही है. उत्तर बिहार के इलाके में आंकड़ा काफी बढ़ सकता है. खासकर कृषि का नुकसान बहुत ज्यादा हुआ है. ग्रामीण कार्य मंत्री जयंत राज का तो यहां तक कहना है कि वैशाली जैसे जिले में जहां बाढ़ उतना नहीं आता था, इस बार काफी नुकसान हुआ है. सब्जियों का नुकसान हुआ है. केला की फसल को पहली बार इतना नुकसान हुआ है.


वहीं, पूर्व मंत्री और विधान पार्षद नीरज कुमार का कहना है कि इस बार बिहार सरकार पर बाढ़ के कारण वित्तीय बोझ बढ़ा है. तीन बार बाढ़ आने के कारण इस बार जो क्षति हुई है, वह अधिक है. सरकार ने बाढ़ राहत में बड़ी राशि खर्च की है. ऐसे केंद्र को प्रारंभिक रिपोर्ट भेज दी गई है.

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'मंत्रियों ने अपने प्रभार वाले जिले की समीक्षा की है और रिपोर्ट मुख्यमंत्री को दे रहे हैं. उस रिपोर्ट के आधार पर अंतिम रिपोर्ट तैयार होगी. जिसे बिहार सरकार केंद्र को भेजेगी. रिपोर्ट कितना का हो सकता है इस पर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी'- अशोक चौधरी, भवन निर्माण मंत्री, बिहार


बाढ़ से हुए क्षतिपूर्ति को लेकर अगर पिछला रिकॉर्ड देखें तो बहुत बेहतर नहीं है लेकिन पिछले कुछ सालों में जरूर केंद्र से मदद बढ़ी है. 2017 में 1700 करोड़, 2019 में 1000 करोड़, 2020 में 1255 करोड़ की मदद केंद्र ने दिया है. इस साल सरकार ने प्रारंभिक क्षति आकलन 3763 करोड़ का किया है, उसकी क्षतिपूर्ति की मांग की गई है. हालांकि अभी तक कुछ मिला नहीं है. केन्द्र से कितनी राशि मिलती है, इस पर सबकी नजर है.

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