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बाढ़ से बिहार के कई जिले बेहाल, 33 फीसदी फसल तबाह - Natural disaster in Bihar

बिहार में बाढ़ ने तबाही मचाई है. पिछले 40 साल से लगातार आ रही बाढ़ ने इस बार भी सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को पहुंचाया है. हजारों एकड़ में खड़ी उनकी फसलें जलमग्न हो गई हैं. खेत तालाब जैसे नजर आ रहे हैं.

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Published : Aug 26, 2020, 10:53 PM IST

पटना : बिहार में कोरोना संक्रमण तेजी से फैला हुआ है, तो वहीं हर साल आने वाली बाढ़ भी कहर मचा रही है. जहां मानसून के कहर से अगस्त में राहत जरूर मिली. लेकिन बाढ़ के हालात से निजात नहीं मिली है. प्रदेश के कई जिले अभी भी बाढ़ से बेहाल हैं. प्रदेश के करीब 20 जिलों में बाढ़ से फसल को नुकसान हुआ है. भारी-बारिश और बाढ़ से बिहार में करीब 33 फीसदी फसल को नुकसान का अनुमान है.

बिहार में बीते सप्ताह तक 32.59 लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई हो चुकी थी, जबकि प्रदेश के किसानों ने मक्के की बुवाई 3.92 लाख हेक्टेयर में की है. ये आधिकारिक आंकड़े प्रदेश के कृषि विभाग से मिले हैं. आंकड़ों के अनुसार, बिहार में चालू खरीफ सीजन में 92,000 हेक्टेयर में दलहन फसलों की बुवाई हुई है जबकि तिलहनों की बुवाई 80,000 हेक्टेयर में हुई है.

देखें ये रिपोर्ट

बारिश से 33 फीसदी खरीफ फसलों का नुकसान
विभागीय अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार, प्रदेश में बाढ़ और अत्यधिक बारिश के चलते करीब 33 फीसदी खरीफ फसलों का नुकसान होने का अनुमान है. ईटीवी भारत ने जिलेवार ग्राउंड रिपोर्ट में आपको दिखाया कि जिन खेतों में पहले फसलें लहलाने को तैयार थीं, वहां सिर्फ और पानी ही पानी नजर आया. खेत झील में तब्दील हो गये. कई जगह तो समंदर जैसा नजारा देखने को मिला. अपने खेतों पर ही किसान नाव से गये और बर्बाद फसलों को देख मायूस होकर वापस लौट गए.

किसानों का दर्द, बाढ़ से फसल बर्बाद
बिहार के गोपालगंज जिले सदर प्रखंड के कोटवा गांव निवासी दोष मोहम्मद बताते है कि मानूसन इस बार सीजन के आरंभ से ही मेहरबान रहा, जिससे शुरुआत में धान की रोपाई में काफी मदद मिली, लेकिन बाद में लगातार भारी बारिश और बाढ़ के हालात हालात पैदा होने से कई इलाकों में फसल का नुकसान हुआ है.

डिजाइन इमेज, ईटीवी भारत
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'फसल बेचकर कर्च चुकाना था लेकिन...'
दोष मोहम्मद कहते है कि कर्ज लेकर नातिन की शादी करवाई. जिस कर्ज को खत्म करने के लिए बटाई पर खेत लेकर धान की खेती किया. ताकि फसल होने पर उसे बेचकर कर्ज समाप्त कर सके. लेकिन बाढ़ के कारण सारी योजना पर पानी फिर गया. अब बस सरकारी मदद की आस है.

औसत से नौ फीसदी कम बारिश
बिहार में इस साल जून में औसत से 82 फीसदी अधिक ज्यादा बारिश हुई, जबकि जुलाई में औसत से 72 फीसदी अधिक बारिश हुई, हालांकि अगस्त में बीते सप्ताह तक औसत से नौ फीसदी कम बारिश हुई है.

16 जिलों में बाढ़ के हालात
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 1 जून से लेकर 25 अगस्त तक बिहार में औसत से 23 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है. प्रदेश के करीब 16 जिलों में बाढ़ के हालात बने हुए हैं.

डिजाइन इमेज, ईटीवी भारत
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केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट
केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, 25 अगस्त को देश में जिन 26 स्टेशनों में बाढ़ की स्थिति बेहद गंभीर थी उनमें से 15 स्टेशन बिहार के हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में पांच, झारखंड में दो और एक-एक स्टेशन असम, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के हैं. वहीं, सामान्य से ज्यादा खराब बाढ़ की स्थिति वाले 17 स्टेशनों में भी सात बिहार के ही हैं. वहीं, अन्य में सात असम और तीन उत्तर प्रदेश के हैं.

बिहार के इन इलाकों में बाढ़ से तबाही
बिहार के दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, गोपालगंज, सारण, सीवान, शिवहर, खगड़िया, भागलपुर, सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, पुर्णिया समेत करीब 20 जिले बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, जहां फसलों को भी नुकसान हुआ है.

पटना : बिहार में कोरोना संक्रमण तेजी से फैला हुआ है, तो वहीं हर साल आने वाली बाढ़ भी कहर मचा रही है. जहां मानसून के कहर से अगस्त में राहत जरूर मिली. लेकिन बाढ़ के हालात से निजात नहीं मिली है. प्रदेश के कई जिले अभी भी बाढ़ से बेहाल हैं. प्रदेश के करीब 20 जिलों में बाढ़ से फसल को नुकसान हुआ है. भारी-बारिश और बाढ़ से बिहार में करीब 33 फीसदी फसल को नुकसान का अनुमान है.

बिहार में बीते सप्ताह तक 32.59 लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई हो चुकी थी, जबकि प्रदेश के किसानों ने मक्के की बुवाई 3.92 लाख हेक्टेयर में की है. ये आधिकारिक आंकड़े प्रदेश के कृषि विभाग से मिले हैं. आंकड़ों के अनुसार, बिहार में चालू खरीफ सीजन में 92,000 हेक्टेयर में दलहन फसलों की बुवाई हुई है जबकि तिलहनों की बुवाई 80,000 हेक्टेयर में हुई है.

देखें ये रिपोर्ट

बारिश से 33 फीसदी खरीफ फसलों का नुकसान
विभागीय अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार, प्रदेश में बाढ़ और अत्यधिक बारिश के चलते करीब 33 फीसदी खरीफ फसलों का नुकसान होने का अनुमान है. ईटीवी भारत ने जिलेवार ग्राउंड रिपोर्ट में आपको दिखाया कि जिन खेतों में पहले फसलें लहलाने को तैयार थीं, वहां सिर्फ और पानी ही पानी नजर आया. खेत झील में तब्दील हो गये. कई जगह तो समंदर जैसा नजारा देखने को मिला. अपने खेतों पर ही किसान नाव से गये और बर्बाद फसलों को देख मायूस होकर वापस लौट गए.

किसानों का दर्द, बाढ़ से फसल बर्बाद
बिहार के गोपालगंज जिले सदर प्रखंड के कोटवा गांव निवासी दोष मोहम्मद बताते है कि मानूसन इस बार सीजन के आरंभ से ही मेहरबान रहा, जिससे शुरुआत में धान की रोपाई में काफी मदद मिली, लेकिन बाद में लगातार भारी बारिश और बाढ़ के हालात हालात पैदा होने से कई इलाकों में फसल का नुकसान हुआ है.

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'फसल बेचकर कर्च चुकाना था लेकिन...'
दोष मोहम्मद कहते है कि कर्ज लेकर नातिन की शादी करवाई. जिस कर्ज को खत्म करने के लिए बटाई पर खेत लेकर धान की खेती किया. ताकि फसल होने पर उसे बेचकर कर्ज समाप्त कर सके. लेकिन बाढ़ के कारण सारी योजना पर पानी फिर गया. अब बस सरकारी मदद की आस है.

औसत से नौ फीसदी कम बारिश
बिहार में इस साल जून में औसत से 82 फीसदी अधिक ज्यादा बारिश हुई, जबकि जुलाई में औसत से 72 फीसदी अधिक बारिश हुई, हालांकि अगस्त में बीते सप्ताह तक औसत से नौ फीसदी कम बारिश हुई है.

16 जिलों में बाढ़ के हालात
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 1 जून से लेकर 25 अगस्त तक बिहार में औसत से 23 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है. प्रदेश के करीब 16 जिलों में बाढ़ के हालात बने हुए हैं.

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केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट
केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, 25 अगस्त को देश में जिन 26 स्टेशनों में बाढ़ की स्थिति बेहद गंभीर थी उनमें से 15 स्टेशन बिहार के हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में पांच, झारखंड में दो और एक-एक स्टेशन असम, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के हैं. वहीं, सामान्य से ज्यादा खराब बाढ़ की स्थिति वाले 17 स्टेशनों में भी सात बिहार के ही हैं. वहीं, अन्य में सात असम और तीन उत्तर प्रदेश के हैं.

बिहार के इन इलाकों में बाढ़ से तबाही
बिहार के दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, गोपालगंज, सारण, सीवान, शिवहर, खगड़िया, भागलपुर, सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, पुर्णिया समेत करीब 20 जिले बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, जहां फसलों को भी नुकसान हुआ है.

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