पटना: बिहार सरकार की ओर से पिछले कई सालों से आम बजट से पहले वित्त मंत्रियों की बैठक में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा विशेष मदद और केंद्रीय योजनाओं को कम करने की मांग होती रही है. इस बार भी आम बजट आने वाला है. वित्त मंत्रियों की बैठक में बिहार सरकार की ओर से कई मांग रखी गई हैं. इसमें केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं में बिहार को विशेष सहायता के रूप में केंद्र और राज्य का शेयरिंग पेटर्न 90:10 करने की मांग की गई है.
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बिहार को बजट से विशेष उम्मीद: इसके अलावा ₹20000 करोड़ की आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए बिहार को स्पेशल प्लान के रूप में स्वीकृत करने की मांग की गई है. इसी तरह कई मांग बिहार के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बिहार की ओर से रखी है. आर्थिक विशेषज्ञ कहते हैं कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना जरूरी है क्योंकि जिन राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा मिला है वहां तेजी से विकास हुआ है. बिहार देश में सबसे पिछड़े राज्यों में से एक है इसलिए इसको आगे बढ़ाने के लिए विशेष मदद और विशेष राज्य का दर्जा जरूरी है.
विशेष राज्य के दर्जे के लिए शर्तों में कई तरह के बदलाव:आम बजट आने से पहले हर बार विशेष राज्य के दर्जे और विशेष मदद की मांग की चर्चा होने लगती है. बिहार की सत्ताधारी दल जदयू के तरफ से लंबे समय से विशेष राज्य के दर्जे को लेकर अभियान चलाया जाता रहा है. बिहार विधानसभा से प्रस्ताव भी पास करा कर केंद्र को भेजा गया है. पहले केंद्र की कांग्रेस सरकार की तरफ से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया गया और अब विशेष राज्य के दर्जे के लिए शर्तों में कई तरह के बदलाव किए गए हैं. इसके कारण भी एनडीए सरकार में भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिला.
बिहार सरकार की मांग- 'मिले विशेष राज्य का दर्जा': नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार को हर बार पिछड़े राज्यों में दिखाया जाता रहा है और इसलिए बिहार सरकार की तरफ से लगातार बिहार को विशेष मदद और विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग होती रही है. इस बार भी केंद्रीय वित्त मंत्री के साथ बैठक में बिहार सरकार ने अपनी यह मांग रखी है.
"प्रधानमंत्री से हम लोग लगातार विशेष राज्य के दर्जे की मांग करते रहे हैं. एनडीए सरकार में सर्वसम्मति से प्रस्ताव विधानसभा से पास करा कर भेजा गया है. केंद्र सरकार बिहार के 13 करोड़ लोगों को इसी तरह नहीं छोड़ सकती है. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा आज दे या कल देना पड़ेगा."- जयंत राज, लघु जल संसाधन मंत्री, बिहार
"1969 से जितने राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा मिला है वहां पर कैपिटा इनकम बढ़ा है. उनका विकास बेहतर हुआ है. बिहार सबसे पिछड़े राज्यों में है और इसलिए विशेष राज्य का दर्जा और विशेष मदद बिहार के विकास के लिए जरूरी है. पिछले कई सालों से बजट में बिहार के लोग उम्मीद लगाए हुए रहते हैं और इस बार भी उम्मीद है कि बिहार के लिए कुछ विशेष व्यवस्था होगी."- डॉक्टर विद्यार्थी विकास, विशेषज्ञ, ए एन सिन्हा इंस्टिट्यूट
"विशेष राज्य के दर्जे की मांग जदयू का पुराना एजेंडा है. अब यह राजनीतिक एजेंडा हो गया है और इसके सहारे नीतीश कुमार 2024 लोकसभा चुनाव में केंद्र पर दबाव डालेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विशेष राज्य के बदले हैं 125000 करोड़ का विशेष मदद दिया था लेकिन नीतीश कुमार ने उसका भी उपहास उड़ाया था. बाद में एनडीए के साथ सरकार में आए है तो फिर इसकी सराहना भी की."- अरुण पांडे, वरिष्ठ पत्रकार
बीजेपी ने मांग को बताया राजनीतिक स्टंट: बीजेपी के नेता भी लगातार कहते रहे हैं कि विशेष राज्य के दर्जे के स्थान पर बिहार को प्रधानमंत्री ने 2015 में विशेष मदद के तौर पर 125000 करोड़ की राशि दी थी, जिससे बिहार के कई क्षेत्रों में विकास का कार्य किया गया. कुछ पर अभी भी काम हो रहा है. बीजेपी प्रवक्ता अरविंद सिंह का तो यह भी कहना है कि जब प्रावधान हो गया है और उसी हिसाब से विशेष राज्य का दर्जा अब किसी राज्य को नहीं मिल सकता है तो फिर इस मांग को उठाना केवल राजनीतिक स्टंट हीं है.
यह है प्रावधान: इस बार बजट पूर्व तैयारियों में केंद्रीय वित्त मंत्री के साथ बैठक में आधारभूत संरचना के विकास के लिए बिहार सरकार की ओर से विशेष प्लान के तहत 20000 करोड़ की मांग की गई है. देखना है कि केंद्र सरकार यह मदद भी देती है कि नहीं. वहीं जहां तक विशेष राज्य से होने वाले फायदे की बात है तो विशेष राज्य का दर्जा पाने वाले राज्यों को केंद्र सरकार द्वारा दी गई राशि में 90% अनुदान और 10% रकम बिना ब्याज के कर्ज के तौर पर मिलती है. जबकि दूसरे श्रेणी के राज्यों को केंद्र सरकार 30% राशि अनुदान के रूप में और 70% राशि कर्ज के रूप में देती है. इसके अलावा एक्साइज, कस्टम, कॉर्पोरेट, इनकम टैक्स में भी रियायत मिलती है. केंद्रीय बजट में प्लांड खर्च का 30% हिस्सा विशेष राज्यों को मिलता है. विशेष राज्यों द्वारा खर्च नहीं होने पर उसे अगले वित्त वर्ष के लिए जारी कर दिया जाता है.
इन राज्यों को मिल सकता है विशेष का दर्जा: राज्य जहां पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्र हों, अंतरराष्ट्रीय सीमा से जुड़ा हो, जनसंख्या का घनत्व काफी कम हो या फिर जनजाति आबादी की संख्या ज्यादा हो, प्रति व्यक्ति आय और गैर कर राजस्व काफी कम हो औ बुनियादा ढांचे का अभाव हो और आर्थिक रूप से काफी पिछड़ा हो,को विशेष दर्जा मिल सकता है.
10 राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त: देश में 10 राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है. वहीं पांच अन्य राज्य भी विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर रहे हैं जिसमें बिहार के अलावे आंध्र प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान और गोवा शामिल है. लेकिन 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों की वजह से नार्थ ईस्ट और पहाड़ी राज्यों के अलावा किसी और को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिल सकता है और इसलिए बिहार का मामला पहले कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार में भी लटका रहा था और अब एनडीए सरकार में भी मंजूर नहीं हो रहा. लेकिन बिहार के विशेषज्ञ और मंत्रियों को उम्मीद है कि बिहार की 13 करोड़ लोगों को केन्द्र भूल नहीं सकती है. विशेष मदद के साथ विशेष राज्य का दर्जा भी आज नहीं तो कल देना ही होगा. इस बार के भी आम बजट से काफी उम्मीदें हैं.