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बिहार के स्कूलों में लागू होगा केजरीवाल मॉडल.. स्टडी के लिए दिल्ली जाएगी टीम

बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने पहले ही दिन राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठा दिया है. उन्होंने कहा कि बिहार में जो शिक्षा का मॉडल चल रहा, वो चिंताजनक है. इसलिए दिल्ली सहित अन्य राज्यों के शिक्षा मॉडल के अध्ययन के लिए Bihar Government एक टीम भेजेगी. पढ़ें.

बिहार के स्कूलों में लागू होगा केजरीवाल मॉडल
बिहार के स्कूलों में लागू होगा केजरीवाल मॉडल
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Published : Aug 18, 2022, 10:20 AM IST

पटना: बिहार के नवनियुक्त शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव (Bihar education minister chandrasekhar Yadav) ने बुधवार को कहा कि वह बिहार में अरविंद केजरीवाल द्वारा राष्ट्रीय राजधानी के सरकारी स्कूलों में लागू किए गए शिक्षा मॉडल को अपना सकते हैं. आरजेडी विधायक ने कहा कि अगर बिहार के स्कूलों में शिक्षा (Bihar School Education System) की गुणवत्ता में सुधार होता है तो ऐसे मॉडल को अपनाने में कोई बुराई नहीं है.

ये भी पढ़ें: बिहार में शिक्षा व्यवस्था का हाल देखिए- यहां पेड़ों के नीचे लगती है पाठशाला, 70 साल से नहीं बदली तस्वीर

सवाल: क्या आप बिहार में शिक्षा के केजरीवाल मॉडल को अपनाएंगे?
जवाब: बिहार में शिक्षा का वार्षिक बजट लगभग 50,000 करोड़ रुपये है, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता उतनी अच्छी नहीं है. मैंने दिल्ली में शिक्षा के केजरीवाल मॉडल के बारे में जाना है. दिल्ली के सरकारी स्कूलों में दुनिया भर से कई लोग आए हैं. अगर यह बिहार की शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करता है, तो ऐसे मॉडल को अपनाने में कोई बुराई नहीं है. हम दिल्ली के स्कूलों का दौरा करेंगे और अगर हम पाते हैं कि शिक्षा का तरीका वास्तव में उतना ही अच्छा है, जैसा बताया जा रहा है, तो हम निश्चित रूप से इसे अपनाएंगे.

सवाल: सामाजिक न्याय के प्रति आपकी क्या प्रतिबद्धता होगी?
जवाब: हम सामाजिक न्याय की वकालत कर रहे हैं और हम इसके लिए प्रतिबद्ध हैं. हमें सांप्रदायिक ताकतों की परवाह नहीं है. वे चाहें तो गोलवलकर के विचारों का प्रसार करें, हम अंबेडकर की विचारधारा पर ही आगे बढ़ेंगे.

सवाल: शिक्षकों के लिए समान काम, समान वेतन पर आपका क्या विचार है?
जवाब: इस समय शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना हमारी प्राथमिकता है. यदि शिक्षक आवश्यक आउटपुट उत्पन्न करते हैं, तो हम नीति को बदलने में संकोच नहीं करेंगे. स्कूलों में वर्तमान शिक्षा प्रणाली हमारे लिए चिंता का विषय है.

सवाल: विश्वविद्यालयों में सत्र देर से होने पर आपका क्या विचार है?
जवाब: विश्वविद्यालयों में देर से सत्र हमारे लिए चिंता का कारण है. हमने उन्हें जल्दी से परीक्षा आयोजित करने के लिए कहा है. हालांकि, हमें यह भी शिकायतें मिली हैं कि एक के बाद एक परीक्षा आयोजित करने से छात्रों पर बोझ पड़ता है. फिर भी हम इस पर काम कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: बिहार में अजब-गजब खेल! जन्म से पहले ही स्कूल में बच्चों का कर लिया एडमिशन, अब दे रहे FIR की धमकी

पटना: बिहार के नवनियुक्त शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव (Bihar education minister chandrasekhar Yadav) ने बुधवार को कहा कि वह बिहार में अरविंद केजरीवाल द्वारा राष्ट्रीय राजधानी के सरकारी स्कूलों में लागू किए गए शिक्षा मॉडल को अपना सकते हैं. आरजेडी विधायक ने कहा कि अगर बिहार के स्कूलों में शिक्षा (Bihar School Education System) की गुणवत्ता में सुधार होता है तो ऐसे मॉडल को अपनाने में कोई बुराई नहीं है.

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सवाल: क्या आप बिहार में शिक्षा के केजरीवाल मॉडल को अपनाएंगे?
जवाब: बिहार में शिक्षा का वार्षिक बजट लगभग 50,000 करोड़ रुपये है, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता उतनी अच्छी नहीं है. मैंने दिल्ली में शिक्षा के केजरीवाल मॉडल के बारे में जाना है. दिल्ली के सरकारी स्कूलों में दुनिया भर से कई लोग आए हैं. अगर यह बिहार की शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करता है, तो ऐसे मॉडल को अपनाने में कोई बुराई नहीं है. हम दिल्ली के स्कूलों का दौरा करेंगे और अगर हम पाते हैं कि शिक्षा का तरीका वास्तव में उतना ही अच्छा है, जैसा बताया जा रहा है, तो हम निश्चित रूप से इसे अपनाएंगे.

सवाल: सामाजिक न्याय के प्रति आपकी क्या प्रतिबद्धता होगी?
जवाब: हम सामाजिक न्याय की वकालत कर रहे हैं और हम इसके लिए प्रतिबद्ध हैं. हमें सांप्रदायिक ताकतों की परवाह नहीं है. वे चाहें तो गोलवलकर के विचारों का प्रसार करें, हम अंबेडकर की विचारधारा पर ही आगे बढ़ेंगे.

सवाल: शिक्षकों के लिए समान काम, समान वेतन पर आपका क्या विचार है?
जवाब: इस समय शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना हमारी प्राथमिकता है. यदि शिक्षक आवश्यक आउटपुट उत्पन्न करते हैं, तो हम नीति को बदलने में संकोच नहीं करेंगे. स्कूलों में वर्तमान शिक्षा प्रणाली हमारे लिए चिंता का विषय है.

सवाल: विश्वविद्यालयों में सत्र देर से होने पर आपका क्या विचार है?
जवाब: विश्वविद्यालयों में देर से सत्र हमारे लिए चिंता का कारण है. हमने उन्हें जल्दी से परीक्षा आयोजित करने के लिए कहा है. हालांकि, हमें यह भी शिकायतें मिली हैं कि एक के बाद एक परीक्षा आयोजित करने से छात्रों पर बोझ पड़ता है. फिर भी हम इस पर काम कर रहे हैं.

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